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सीएए मुसलमानों और गरीबों पर हमला : इरफान हबीब

सीएए को लेकर इतिहासकार इरफान हबीब ने कहा है कि इस कानून से गरीब और मुसलमानों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा. यह कानून सिर्फ मुसलमानों पर हमला नहीं बल्कि गरीबों पर हमला है.

irfan habib
इरफान हबीब
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Published : Jan 13, 2020, 8:05 PM IST

Updated : Jan 13, 2020, 8:21 PM IST

अलीगढ़ : जाने माने इतिहासकार इरफान हबीब ने कहा है कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) न सिर्फ मुसलमानों बल्कि गरीबों पर हमला है. इस कानून से गरीब और मुसलमानों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा. हबीब सोमवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन द्वारा सीएए और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) के लेकर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.

इरफान हबीब ने अपने संबोधन में कहा कि सीएए से जो गरीब और जरूरतमंद लोग हैं, उनको सबसे ज्यादा नुकसान होगा.उन्होंने कहा कि अगर वह व्यक्ति मुसलमान हुआ तो पुलिस उससे कहेगी कि पाकिस्तान चले जाओ, जिस तरह आज कल कह रही है. उन्होंने आगे कि यह सिर्फ मुसलमानों पर नहीं बल्कि गरीबों पर भी हमला है.

इरफान हबीब

हबीब ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उसने इलाहाबाद का नाम हटाया तो हिन्दी को भी हटा दे और हिन्दुओं को भी हटा दे क्योंकि ये दोनों ही अरबी भाषा के शब्द हैं. यह उनकी अज्ञानता का प्रमाण है. वह नहीं जानते कि हिन्दू भी एक अरबी शब्द है. किसी भी संस्कृत पुस्तक में हिन्दू शब्द नहीं है.

इरफान हबीब ने आगे कहा कि सावरकर ने हिन्दुत्व की कहानी शुरू की. सावरकर को अंग्रेजों ने जेल में डाल दिया था. इसके बाद अंग्रेजों ने सावरकर को रिहा किया और कहा कि अगर तुम फिर से हमारे खिलाफ कुछ बोलोगे तो हम तुमको फिर से जेल में डाल देंगे. इसके बाद सावरकर ने 1922 से अंग्रेजों के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा.

हबीब ने बताया कि दो राष्ट्र का सिद्धांत सावरकर द्वारा लाया गया. गोडसे, सावरकर का सबसे अच्छा दोस्त था. गांधीजी की हत्या में गोडसे शामिल था, इसलिए जिस व्यक्ति पर इतना बड़ा आरोप है और अगर अपील की जाती है, तो निश्चित रूप से उसे दंडित किया जाता है, उसे कुछ लोग अपना नेता मान रहे हैं और शायद सावरकर को भारत रत्न भी घोषित कर दें.

इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि अमित शाह का नाम भी एक फारसी शब्द है, वह अपना भी नाम बदल लें.

पढ़ें- सीएए पर अपने आलोचकों से बात नहीं करते प्रधानमंत्री : चिदंबरम

उन्होंने कहा कि जब मोदी और शाह भाषण देते हैं, तो वे मुसलमानों पर हमला करते हैं. मुझे नहीं पता कि मोदी ने इतिहास कहां से पढ़ा है. उनका (पीएम मोदी ) कहना है कि भारतीय इतिहासकार सिर्फ राजाओं की बात करते हैं. अगर मोदी किताबें पढ़ना शुरू करते हैं, तो उन्हें पता चलेगा कि वह कितने अज्ञानी हैं.

इतिहासकार ने कहा कि सरकार जो सीएए लेकर आई है, वह बहुत भयानक कानून है. चाहे वे कितना भी कहें, लेकिन इसका असर गरीबों और मुसलमानों पर पड़ेगा. इतना ही नहीं इस कानून से विदेशों में भारत की बदनामी भी हो रही है.

अलीगढ़ : जाने माने इतिहासकार इरफान हबीब ने कहा है कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) न सिर्फ मुसलमानों बल्कि गरीबों पर हमला है. इस कानून से गरीब और मुसलमानों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा. हबीब सोमवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन द्वारा सीएए और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) के लेकर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.

इरफान हबीब ने अपने संबोधन में कहा कि सीएए से जो गरीब और जरूरतमंद लोग हैं, उनको सबसे ज्यादा नुकसान होगा.उन्होंने कहा कि अगर वह व्यक्ति मुसलमान हुआ तो पुलिस उससे कहेगी कि पाकिस्तान चले जाओ, जिस तरह आज कल कह रही है. उन्होंने आगे कि यह सिर्फ मुसलमानों पर नहीं बल्कि गरीबों पर भी हमला है.

इरफान हबीब

हबीब ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उसने इलाहाबाद का नाम हटाया तो हिन्दी को भी हटा दे और हिन्दुओं को भी हटा दे क्योंकि ये दोनों ही अरबी भाषा के शब्द हैं. यह उनकी अज्ञानता का प्रमाण है. वह नहीं जानते कि हिन्दू भी एक अरबी शब्द है. किसी भी संस्कृत पुस्तक में हिन्दू शब्द नहीं है.

इरफान हबीब ने आगे कहा कि सावरकर ने हिन्दुत्व की कहानी शुरू की. सावरकर को अंग्रेजों ने जेल में डाल दिया था. इसके बाद अंग्रेजों ने सावरकर को रिहा किया और कहा कि अगर तुम फिर से हमारे खिलाफ कुछ बोलोगे तो हम तुमको फिर से जेल में डाल देंगे. इसके बाद सावरकर ने 1922 से अंग्रेजों के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा.

हबीब ने बताया कि दो राष्ट्र का सिद्धांत सावरकर द्वारा लाया गया. गोडसे, सावरकर का सबसे अच्छा दोस्त था. गांधीजी की हत्या में गोडसे शामिल था, इसलिए जिस व्यक्ति पर इतना बड़ा आरोप है और अगर अपील की जाती है, तो निश्चित रूप से उसे दंडित किया जाता है, उसे कुछ लोग अपना नेता मान रहे हैं और शायद सावरकर को भारत रत्न भी घोषित कर दें.

इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि अमित शाह का नाम भी एक फारसी शब्द है, वह अपना भी नाम बदल लें.

पढ़ें- सीएए पर अपने आलोचकों से बात नहीं करते प्रधानमंत्री : चिदंबरम

उन्होंने कहा कि जब मोदी और शाह भाषण देते हैं, तो वे मुसलमानों पर हमला करते हैं. मुझे नहीं पता कि मोदी ने इतिहास कहां से पढ़ा है. उनका (पीएम मोदी ) कहना है कि भारतीय इतिहासकार सिर्फ राजाओं की बात करते हैं. अगर मोदी किताबें पढ़ना शुरू करते हैं, तो उन्हें पता चलेगा कि वह कितने अज्ञानी हैं.

इतिहासकार ने कहा कि सरकार जो सीएए लेकर आई है, वह बहुत भयानक कानून है. चाहे वे कितना भी कहें, लेकिन इसका असर गरीबों और मुसलमानों पर पड़ेगा. इतना ही नहीं इस कानून से विदेशों में भारत की बदनामी भी हो रही है.

Intro:
علی گڑھ مسلم یونیورسٹی جواہر لعل نہرو میڈیکل کالج کے
ریسیڈینٹ ڈاکٹرز ایسوسی کے زیر اہتمام سی اے اے، این آر سی اور این پی آر کے ایک روزہ پینل ڈسکشن میں مرخ عرفان حبیب کا خطاب۔


Body:پروفیسر عرفان حبیب نے کہا جب ہمارا ملک آزاد ہوا اس وقت گاندھی جی کلکتہ میں تھے وہا بلوا نہ ہو تو تندولکر جو ان کے ساتھیوں میں سے تھے انہوں نے ان سے کہا ایک شخص کو ان سے ایک تعویذ چاہیے تو گاندھی جی نے کہا میں تعویذ دیتا ہوں انہوں نے تعویذ یہ دیا جب کوئی کام کرو تو یہ دیکھو جو غریب آدمی ہے اور بے مددگار ہے اس کو اس سے فائدہ ہوگا یا تکلیف ہوگی۔

آج جب سی اے اے پاس ہوا شہر یوں کے اوپر دو ڈاؤن ہونگے گنتی کے تو اس سے جو سب سے غریب ہے اور بے مددگار ہے اسی پر سب سے زیادہ ظلم ہوگا۔ وہ یتیم ہو سکتا ہے اس کے ماں باپ کہیں مر گئے، گناہ یہ ہوا کہ اس کا نام مسلمان دے دیا اس نے پڑھا نہیں۔ پولیس اس سے کہے گی پاکستان جاؤ جیسے اب کہہ رہی ہے تو یہ صرف مسلمانوں پر حملہ نہیں یہ غریبوں پر حملہ ہے۔

1922 میں سوال کرنے تین معافیاں مانگ کر ہندوتوا کا قصہ شروع کیا۔

لفظ ہندی لفظ ہندو یہ دونوں عربی کے لفظ ہیں اگر الہ آباد کا نام ہٹا رہے ہو تو ہندی بھی تو ہٹاؤ، ہندو بھی ہٹاؤ یہ انکی جاہلیت کا ثبوت ہے ان کو یہ نہیں معلوم ہندو بھی عربی لفظ ہےاس میں توا اپنے ضرور جوڑ دیا۔

کسی سنسکرت کتاب میں ہندو کا لفظ نہیں ہے تیرویں شاداب دی سے پہلے کوئی نہیں کہیں نہیں۔

ساورکر نے یہ ہندوتوا کا قصہ شروع کیا انگریزوں نے کہا اگر تم ہمارے خلاف کوئی بات کرو گے تو ہم تمہیں دوبارہ جیل میں ڈال دیں گے۔ 1922 کے بعد ایک لفظ انگریزوں کے خلاف نہیں کہا۔

ٹو نیشن تھیوری ساورکر جی کی ہی لائی ہوئی ہے اور
گوڈسے، ساورکر کے بالکل دوست تھے۔

گوڑے سے نے گاندھی جی کے قتل میں ہاتھ لیا تو اس شخص پر جس پر اتنا بڑا الزام ہے اور اگر اپیل کی جاتی تو یقینا اس کو سزا ہو جاتی اس کو یہ اپنا نیتا اور رہنما مان رہے ہیں اور شاید بھارت رتن ڈکلیئر کر دیں۔

امت شاہ کانام بھی شاہ عربی لفظ ہے یہ بھی اپنا نام بدلے تو اچھا رہے گا۔ مودی اور شاہ جب تقریر کرتے ہیں تو مسلمانوں پر حملہ کرتے ہیں وہ دیمک کہتے ہیں۔

مودی جی نے پتا نہیں کہاں سے تاریخ پڑھی ہے مجھ کو بہت سک ہے وہ کہتے ہیں ہندوستان کے ہسٹورین صرف راجاؤں کی بات کرتے ہیں۔ مودی جی کتابیں پڑھنا شروع کرے تو پتہ چلے گا انہیں کتنی جہالیت ہے ان میں۔




Conclusion:دوستوں میں سمجھتا ہوں جو انہوں نے سی اے اے کیا ہے وہ نہایت بھیانک قانون ہے یہ چاہے کتنا ہی کہے لیکن اس کا اثر جو سب سے غریب ترین مسلمان ہے ان پر ہوگا اور لوگوں پر بھی ہوگا، رشوت بہت چلے گی اور اس ملک کی جتنی بدنامی ہورہی ہے وہ تو ہو ہی رہی ہے۔

تو پھر سے انسے کہتا ہوں حالانکہ کہنا بیکار ہے کہ گاندھی جی کا عینک جو غسلخانوں پر دکھانا بیکار ہے۔ گاندھی جی نے جو بات کہی ہے ان کو مانو لیکن جو لوگ گوڈسے سے کو دیش بھکت کہتے ہیں ظاہر ہے وہ گاندھی جی کی بات کیوں
کہیں گے لیکن ہندوستان کے لوگ سنیں گے۔

پنڈت نہرو پر ہر وقت چھینٹے اڑاتے ہیں، کیوں اڑاتے ہیں ان کی رائٹنگ میں ایک بھی جگہ کوئی ایسا بیان نہیں ہے جسے یہ استعمال کرے۔

۱۔بائٹ۔۔۔۔۔۔پروفیسر عرفان حبیب۔۔۔۔۔۔مورخ۔۔۔۔۔۔۔اے ایم یو علی گڑھ۔




Suhail Ahmad
7206466
9760108621
Last Updated : Jan 13, 2020, 8:21 PM IST
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