अलीगढ़ : जाने माने इतिहासकार इरफान हबीब ने कहा है कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) न सिर्फ मुसलमानों बल्कि गरीबों पर हमला है. इस कानून से गरीब और मुसलमानों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा. हबीब सोमवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन द्वारा सीएए और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) के लेकर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.
इरफान हबीब ने अपने संबोधन में कहा कि सीएए से जो गरीब और जरूरतमंद लोग हैं, उनको सबसे ज्यादा नुकसान होगा.उन्होंने कहा कि अगर वह व्यक्ति मुसलमान हुआ तो पुलिस उससे कहेगी कि पाकिस्तान चले जाओ, जिस तरह आज कल कह रही है. उन्होंने आगे कि यह सिर्फ मुसलमानों पर नहीं बल्कि गरीबों पर भी हमला है.
हबीब ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उसने इलाहाबाद का नाम हटाया तो हिन्दी को भी हटा दे और हिन्दुओं को भी हटा दे क्योंकि ये दोनों ही अरबी भाषा के शब्द हैं. यह उनकी अज्ञानता का प्रमाण है. वह नहीं जानते कि हिन्दू भी एक अरबी शब्द है. किसी भी संस्कृत पुस्तक में हिन्दू शब्द नहीं है.
इरफान हबीब ने आगे कहा कि सावरकर ने हिन्दुत्व की कहानी शुरू की. सावरकर को अंग्रेजों ने जेल में डाल दिया था. इसके बाद अंग्रेजों ने सावरकर को रिहा किया और कहा कि अगर तुम फिर से हमारे खिलाफ कुछ बोलोगे तो हम तुमको फिर से जेल में डाल देंगे. इसके बाद सावरकर ने 1922 से अंग्रेजों के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा.
हबीब ने बताया कि दो राष्ट्र का सिद्धांत सावरकर द्वारा लाया गया. गोडसे, सावरकर का सबसे अच्छा दोस्त था. गांधीजी की हत्या में गोडसे शामिल था, इसलिए जिस व्यक्ति पर इतना बड़ा आरोप है और अगर अपील की जाती है, तो निश्चित रूप से उसे दंडित किया जाता है, उसे कुछ लोग अपना नेता मान रहे हैं और शायद सावरकर को भारत रत्न भी घोषित कर दें.
इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि अमित शाह का नाम भी एक फारसी शब्द है, वह अपना भी नाम बदल लें.
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उन्होंने कहा कि जब मोदी और शाह भाषण देते हैं, तो वे मुसलमानों पर हमला करते हैं. मुझे नहीं पता कि मोदी ने इतिहास कहां से पढ़ा है. उनका (पीएम मोदी ) कहना है कि भारतीय इतिहासकार सिर्फ राजाओं की बात करते हैं. अगर मोदी किताबें पढ़ना शुरू करते हैं, तो उन्हें पता चलेगा कि वह कितने अज्ञानी हैं.
इतिहासकार ने कहा कि सरकार जो सीएए लेकर आई है, वह बहुत भयानक कानून है. चाहे वे कितना भी कहें, लेकिन इसका असर गरीबों और मुसलमानों पर पड़ेगा. इतना ही नहीं इस कानून से विदेशों में भारत की बदनामी भी हो रही है.