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लॉकडाउन का असर, शराब दुकानें खुलने के बावजूद 25 फीसदी लोगों ने नशे से बनाई दूरी - राजस्थान में लॉकडाउन का प्रभाव

देश में लॉकडाउन को आज पूरे 44 दिन बीत चुके हैं. इस लॉकडाउन के दौरान काफी उतार-चढ़ाव लोगों ने अपनी जिंदगी में देखे हैं. इसके बीच राजस्थान के बूंदी से एक अच्छी तस्वीर यह सामने आई है, जहां लोग बुरी आदत और नशा अपनाते थे, वो अब नशा छोड़ने के कगार पर आ चुके हैं.

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Published : May 7, 2020, 2:11 PM IST

जयपुर : देश में कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन 3.0 लागू है. लॉकडाउन को अब 44 दिन बीत चुके हैं. इन 44 दिनों के दौरान जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव लोगों को देखने को मिले हैं. कोरोना वायरस के चलते देश में हजारों जिंदगी दांव पर लगी हुई हैं. तो कई लोगों की जान भी जा चुकी है. रोज कोरोना वायरस के केसों में इजाफा हो रहा है. तो मौतों के आंकड़ें भी लगातार बढ़ रहे हैं.

लॉकडाउन के चलते लोग बीते 44 दिनों तक घरों में कैद होकर रह गए हैं. लेकिन इसके कई सकारात्मक प्रभाव भी सामने आ रहे हैं. आमतौर पर देश में बड़ी तादाद में लोग पान, गुटखा, तंबाकू और शराब का सेवन करते थे. इस लॉकडाउन के बीच इन तीनों की बिक्री पूरी तरह से बंद रही. जिन-जिन लोगों ने भी पान और गुटखा का सेवन किया. उन पर कानूनी डंडा भी चला और उन्हें जेल तक की हवा खानी पड़ी.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ऐसे में जो लोग आमतौर पर इनका सेवन किया करते थे. उन्हें आसानी से यह चीजें उपलब्ध नहीं हो सकी. बूंदी में 44 दिन तक बाजार बंद रहे. मार्केट में तम्बाकू, शराब नहीं मिलने से लोगों ने इसका सेवन करना बंद कर दिया.

पढ़ें-भारत में गैस रिसाव की प्रमुख घटनाओं पर एक नजर

25 प्रतिशत लोगों ने छोड़ा नशा

लोगों ने बताया कि 44 दिनों के इस दौर के बीच अपनी नई जिंदगी के अध्याय को लिखा है और इन बुरी आदतों को छोड़ दिया है. बूंदी में करीब 25% लोगों ने तंबाकू और नशीली चीजों को अब त्याग दिया है.

लॉकडाउन ने बनाया लोगों को जिम्मेदार

अधिवक्ता मोहसिन खान बताते हैं कि इस लॉकडाउन में अनेक फायदे देश को और लोगों के स्वास्थ्य को हुए हैं. लोगों ने तंबाकू और गुटका खाना बंद कर दिया है. इतना ही नहीं आमजन नियमों की पालन करना भी सीख गया हैं.

पढ़ें-विशाखापट्टनम : बेहोश होकर जहां-तहां पर गिर पड़े लोग

बजट से निकला बाहर

जब से लॉकडाउन लगा है तब से तंबाकू की बिक्री पर भी रोक लग गई है और जो दुकानदार तंबाकू बेचते थे. उन दुकानदारों ने इसकी दरों को भी बढ़ा दिया है. जो तंबाकू केवल 5 रुपए में मिलता था. वह अब 100 से 200 रुपए में बिकने लगा. ऐसे में आमतौर पर जो लोग तंबाकू खाते थे, उन लोगों को परेशानी का सबब बन गया और तंबाकू उनके बजट से बाहर आ गया.

नशा छोड़ने का लिया संकल्प

बूंदी के लोगों का कहना है कि हमने अब संकल्प ले लिया है कि हम तंबाकू को छोड़कर रहेंगे और लोगों को भी प्रेरित करेंगे. हमें कोरोना वायरस के साथ-साथ नया जीवन मिला है, इसे हम पूरी तरह से नए रूप में निभाएंगे.

इस लॉकडाउन ने लोगों की बुरी आदतों को छुड़वाने का काम किया है. यही कारण रहा कि लोगों ने लॉकडाउन में अपनी नई जिंदगी की शुरुआत की है. इस लॉकडाउन के चलते सड़कों पर वाहन नहीं दौड़े और प्रदूषण नहीं फैला. जिससे वातावरण भी साफ रहा है. कहीं ना कहीं यह लॉकडाउन लोगों के लिए सार्थक भी साबित हुआ है.

जयपुर : देश में कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन 3.0 लागू है. लॉकडाउन को अब 44 दिन बीत चुके हैं. इन 44 दिनों के दौरान जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव लोगों को देखने को मिले हैं. कोरोना वायरस के चलते देश में हजारों जिंदगी दांव पर लगी हुई हैं. तो कई लोगों की जान भी जा चुकी है. रोज कोरोना वायरस के केसों में इजाफा हो रहा है. तो मौतों के आंकड़ें भी लगातार बढ़ रहे हैं.

लॉकडाउन के चलते लोग बीते 44 दिनों तक घरों में कैद होकर रह गए हैं. लेकिन इसके कई सकारात्मक प्रभाव भी सामने आ रहे हैं. आमतौर पर देश में बड़ी तादाद में लोग पान, गुटखा, तंबाकू और शराब का सेवन करते थे. इस लॉकडाउन के बीच इन तीनों की बिक्री पूरी तरह से बंद रही. जिन-जिन लोगों ने भी पान और गुटखा का सेवन किया. उन पर कानूनी डंडा भी चला और उन्हें जेल तक की हवा खानी पड़ी.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ऐसे में जो लोग आमतौर पर इनका सेवन किया करते थे. उन्हें आसानी से यह चीजें उपलब्ध नहीं हो सकी. बूंदी में 44 दिन तक बाजार बंद रहे. मार्केट में तम्बाकू, शराब नहीं मिलने से लोगों ने इसका सेवन करना बंद कर दिया.

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25 प्रतिशत लोगों ने छोड़ा नशा

लोगों ने बताया कि 44 दिनों के इस दौर के बीच अपनी नई जिंदगी के अध्याय को लिखा है और इन बुरी आदतों को छोड़ दिया है. बूंदी में करीब 25% लोगों ने तंबाकू और नशीली चीजों को अब त्याग दिया है.

लॉकडाउन ने बनाया लोगों को जिम्मेदार

अधिवक्ता मोहसिन खान बताते हैं कि इस लॉकडाउन में अनेक फायदे देश को और लोगों के स्वास्थ्य को हुए हैं. लोगों ने तंबाकू और गुटका खाना बंद कर दिया है. इतना ही नहीं आमजन नियमों की पालन करना भी सीख गया हैं.

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बजट से निकला बाहर

जब से लॉकडाउन लगा है तब से तंबाकू की बिक्री पर भी रोक लग गई है और जो दुकानदार तंबाकू बेचते थे. उन दुकानदारों ने इसकी दरों को भी बढ़ा दिया है. जो तंबाकू केवल 5 रुपए में मिलता था. वह अब 100 से 200 रुपए में बिकने लगा. ऐसे में आमतौर पर जो लोग तंबाकू खाते थे, उन लोगों को परेशानी का सबब बन गया और तंबाकू उनके बजट से बाहर आ गया.

नशा छोड़ने का लिया संकल्प

बूंदी के लोगों का कहना है कि हमने अब संकल्प ले लिया है कि हम तंबाकू को छोड़कर रहेंगे और लोगों को भी प्रेरित करेंगे. हमें कोरोना वायरस के साथ-साथ नया जीवन मिला है, इसे हम पूरी तरह से नए रूप में निभाएंगे.

इस लॉकडाउन ने लोगों की बुरी आदतों को छुड़वाने का काम किया है. यही कारण रहा कि लोगों ने लॉकडाउन में अपनी नई जिंदगी की शुरुआत की है. इस लॉकडाउन के चलते सड़कों पर वाहन नहीं दौड़े और प्रदूषण नहीं फैला. जिससे वातावरण भी साफ रहा है. कहीं ना कहीं यह लॉकडाउन लोगों के लिए सार्थक भी साबित हुआ है.

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