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बजट 2019: रेलवे में निजी भागीदारी पर मोदी सरकार का जोर, जानिए यात्रियों की राय - वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मौजूद रेलयात्री रोहित कहते हैं कि अगर पीपीपी मॉडल पर सेवाएं दी जाएंगी तो इसका सीधा बोझ यात्रियों की जेब पर पड़ेगा. ऐसे में मध्यम वर्ग के लोगों के लिए तो फिर भी ठीक है लेकिन गरीब लोगों की परेशानी बढ़ सकती है. जानें निजीकरण को लेकर क्या राय है रेल यात्रियों की....

रेलवे में निजी भागीदारी पर मोदी सरकार का जोर
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Published : Jul 5, 2019, 11:44 PM IST

Updated : Jul 6, 2019, 12:06 AM IST

नई दिल्ली: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने आज साल 2019-20 के लिए देश का आर्थिक बजट पेश किया है. इस बजट में शिक्षा, कृषि, लघु उद्योग आदि के लिए प्रावधानों के साथ-साथ रेलवे में निजी भागेदारी पर भी जोर दिया गया है. सरकार के इसी फैसले पर ईटीवी भारत ने रेलयात्रियों से उनकी राय ली.

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मौजूद रेलयात्री रोहित कहते हैं कि अगर पीपीपी मॉडल पर सेवाएं दी जाएंगी तो इसका सीधा बोझ यात्रियों की जेब पर पड़ेगा.

ऐसे में मध्यम वर्ग के लोगों के लिए तो फिर भी ठीक है लेकिन गरीब लोगों की परेशानी बढ़ सकती है. इससे अलावा, ज्यादा चीज़ें सरकार के हाथ में होनी चाहिए और निजीकरण को कम ही बढ़ावा देना चाहिए.

रेलवे में निजी भागीदारी को लेकर क्या है यात्रियों की राय, देखें ईटीवी भारत का यह वीडियो....

रमेश कहते हैं कि रेलवे करोड़ों लोगों को यात्रा कराती है. जब निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा तब सुविधाएं तो होंगी लेकिन लोगों के पास इतना पैसा नहीं होगा कि वो सभी सुविधाओं का लाभ ले सकें. वो कहते हैं कि इससे यात्रियों के अन्य कामों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पैसे भी किराए में ही लगेंगे.

पढ़ेंः बजट-2019 के बाद पेट्रोल-डीजल महंगा, जानें और किन चीजों पर हुआ असर

उधर रामानुज सरकार के इस फैसले की तारीफ करते हैं. वो कहते कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप में रेलवे के हालात सुधरेंगे.

इसकी मदद से जब निवेश आएगा तो रेलवे की बुनियादी संरचना मजबूत होगी और लोगों को इसका फायदा मिलेगा.

हालांकि वो कहते हैं कि रेल के किस हिस्से में निजीकरण होना चाहिए और किसमें नहीं, इसका फैसला बहुत सोच-समझकर करना होगा.

नई दिल्ली: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने आज साल 2019-20 के लिए देश का आर्थिक बजट पेश किया है. इस बजट में शिक्षा, कृषि, लघु उद्योग आदि के लिए प्रावधानों के साथ-साथ रेलवे में निजी भागेदारी पर भी जोर दिया गया है. सरकार के इसी फैसले पर ईटीवी भारत ने रेलयात्रियों से उनकी राय ली.

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मौजूद रेलयात्री रोहित कहते हैं कि अगर पीपीपी मॉडल पर सेवाएं दी जाएंगी तो इसका सीधा बोझ यात्रियों की जेब पर पड़ेगा.

ऐसे में मध्यम वर्ग के लोगों के लिए तो फिर भी ठीक है लेकिन गरीब लोगों की परेशानी बढ़ सकती है. इससे अलावा, ज्यादा चीज़ें सरकार के हाथ में होनी चाहिए और निजीकरण को कम ही बढ़ावा देना चाहिए.

रेलवे में निजी भागीदारी को लेकर क्या है यात्रियों की राय, देखें ईटीवी भारत का यह वीडियो....

रमेश कहते हैं कि रेलवे करोड़ों लोगों को यात्रा कराती है. जब निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा तब सुविधाएं तो होंगी लेकिन लोगों के पास इतना पैसा नहीं होगा कि वो सभी सुविधाओं का लाभ ले सकें. वो कहते हैं कि इससे यात्रियों के अन्य कामों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पैसे भी किराए में ही लगेंगे.

पढ़ेंः बजट-2019 के बाद पेट्रोल-डीजल महंगा, जानें और किन चीजों पर हुआ असर

उधर रामानुज सरकार के इस फैसले की तारीफ करते हैं. वो कहते कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप में रेलवे के हालात सुधरेंगे.

इसकी मदद से जब निवेश आएगा तो रेलवे की बुनियादी संरचना मजबूत होगी और लोगों को इसका फायदा मिलेगा.

हालांकि वो कहते हैं कि रेल के किस हिस्से में निजीकरण होना चाहिए और किसमें नहीं, इसका फैसला बहुत सोच-समझकर करना होगा.

Intro:नई दिल्ली:
भारत की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने आज साल 2019-20 के लिए देश का आर्थिक बजट पेश किया है. इस बजट में शिक्षा, कृषि, लघु उद्योग आदि के लिए प्रावधानों के साथ-साथ रेलवे में निजी भागेदारी पर भी जोर दिया गया है. सरकार के इसी फैसले पर ईटीवी भारत ने रेलयात्रियों से राय जानी...


Body:नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मौजूद रेलयात्री रोहित कहते हैं कि अगर पीपीपी मॉडल पर सेवाएं दी जाएंगी तो इसका सीधा बोझ यात्रियों की जेब पर पड़ेगा. ऐसे में मध्यम वर्ग के लोगों के लिए तो फिर भी ठीक है लेकिन गरीब लोगों की परेशानी बढ़ सकती है. इससे अलग, ज्यादा चीज़ें सरकार के हाथ में होनी चाहिए और निजीकरण को कम ही बढ़ाना चाहिए.

रमेश कहते हैं कि रेलवे करोड़ों लोगों को यात्रा कराती है. जब निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा तब सुविधाएं तो होंगी लेकिन लोगों के पास इतना पैसा नहीं होगा कि वो सभी सुविधाओं का लाभ ले सकें. वो कहते हैं कि इससे यात्रियों के अन्य कामों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पैसे भी किराए में ही लगेंगे.

वहीं प्रेमपाल इसमें रेलकर्मियों की बेकदरी की आशंका जताते हैं. वो कहते हैं कि अगर निजीकरण होगा तो रेल कर्मियों की हालत भी खराब हो जाएगी. ऐसे में ये नहीं होना चाहिए. उनके साथी भी उन्हीं की हां-में-हां मिलाते हुए ही इसके दुष्प्रभावों का हवाला देते हैं.

उधर रामानुज सरकार के इस फैसले की तारीफ करते हैं. वो कहते कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप में रेलवे के हालात सुधरेंगे. इसकी मदद से जब निवेश आएगा तो रेलवे की बुनियादी संरचना मजबूत होगी और लोगों को इसका फायदा मिलेगा. हलाबकी वो कहते है कि रेल के किस हिस्से में निजीकरण होना चाहिए और किसमें नहीं, इसका फैसला बाहत सोच-समझकर करना होगा.


Conclusion:----
Last Updated : Jul 6, 2019, 12:06 AM IST
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