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डीआरडीओ ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया - निशाने को तबाह करने की शक्ति

डीआरडीओ ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. आईएनएस चेन्नई से किए गए सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल परीक्षण के दौरान अरब सागर में लक्ष्य पर निशाना साधा गया. मिसाइल ने इस लक्ष्य को बेहद सटीकता से भेदा.

BRAHMOS supersonic cruise
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल
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Published : Oct 18, 2020, 3:09 PM IST

Updated : Oct 18, 2020, 5:55 PM IST

नई दिल्ली : रक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में भारत निरंतर नई ऊंचाइयां छू रहा है. इसी कड़ी में रविवार को नौसेना के चेन्नई से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया.

अधिकारियों ने बताया कि ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एक नौसेना प्रारूप का भारतीय नौसेना के स्वदेश निर्मित एक विध्वंसक पोत से रविवार को अरब सागर में सफल परीक्षण किया गया. उन्होंने बताया कि मिसाइल 'आईएनएस चेन्नई विध्वंसक पोत से दागी गई और इसने लक्ष्य को पूरी सटीकता से भेद दिया.

तनाव के बीच भारत ने शक्तियों को किया मजबूत
चीन के साथ सीमा पर जारी तनाव के बीच भारत अपनी शक्तियों को मजबूत करने में लगा हुआ है. इसी कड़ी में रविवार को देश को एक बड़ी कामयाबी मिली है. ब्रह्मोस प्राइम स्ट्राइक हथियार के रूप में नेवल सर्फेस लक्ष्यों को लंबी दूरी तक निशाना बनाकर युद्धपोतों की अजेयता सुनिश्चित करेगा.

पढ़ें: जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षाबलों पर ग्रेनेड हमला

रक्षा मंत्री ने भारतीय नौसेना को दी बधाई
ब्रह्मोस को भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित किया गया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सफल प्रक्षेपण के लिए डीआरडीओ, ब्रह्मोस और भारतीय नौसेना को बधाई दी.

भारतीय नौसेना का एक और घातक प्लेटफार्म
वहीं रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि ब्रह्मोस प्रमुख हमलावर शस्त्र के रूप में लंबी दूरी पर स्थित लक्ष्य को भेद कर युद्ध पोत की अपराजेयता को सुनिश्चित करेगा, इस तरह विध्वंसक युद्ध पोत भारतीय नौसेना का एक और घातक प्लेटफार्म बन जाएगा.

सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का निर्माण
बता दें कि ब्रह्मोस एयरोस्पेस, भारत-रूस का संयुक्त उद्यम है. यह सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का निर्माण कर रहा है, जो पनडुब्बी, जहाज, विमान या जमीन से दागी जा सकती हैं.

पढ़ें:कठिन चुनौतियों के बीच अन्नाद्रमुक अनिश्चित रास्ते चल पड़ी

450 किलोमीटर से निशाने को तबाह करने की शक्ति
भारत अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में चीन से लगने वाली सीमाओं पर पहले ही ये ब्रह्मोस मिसाइल तैनात कर चुका है. पहले इसकी रेंज 290 किलोमीटर थी बाद में 400 किलोमीटर से ज्यादा तक कर दी गई है. अनुमान के मुताबिक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल 450 किलोमीटर से अधिक दूरी तक निशाने को तबाह कर सकती है.

'भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमताओं में होगा इजाफा'
डीआरडीओ के चेयरमैन जी. सतीश रेड्डी ने इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों और सभी कर्मचारियों, ब्रह्मोस, भारतीय नौसेना और इंडस्ट्री को बधाई दी. उन्होंने कहा कि ब्रह्मोस मिसाइल कई तरीकों से भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमताओं में इजाफा करेगी.

एंटी रेडिएशन मिसाइल रूद्रम-वन
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ सप्ताह में भारत ने कई मिसाइलों का परीक्षण किया है, जिनमें सतह से सतह पर मार करने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस और एंटी रेडिएशन मिसाइल रूद्रम-वन शामिल हैं.

भारत ने परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल शौर्य का भी परीक्षण किया है.

रूद्रम- वन के सफल परीक्षण को एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि यह भारत का प्रथम स्वदेश विकसित एंटी रेडिएशन हथियार है.

मिसाइलों का परीक्षण ऐसे वक्त में किया गया है, जब पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर गतिरोध चल रहा है.

नई दिल्ली : रक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में भारत निरंतर नई ऊंचाइयां छू रहा है. इसी कड़ी में रविवार को नौसेना के चेन्नई से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया.

अधिकारियों ने बताया कि ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एक नौसेना प्रारूप का भारतीय नौसेना के स्वदेश निर्मित एक विध्वंसक पोत से रविवार को अरब सागर में सफल परीक्षण किया गया. उन्होंने बताया कि मिसाइल 'आईएनएस चेन्नई विध्वंसक पोत से दागी गई और इसने लक्ष्य को पूरी सटीकता से भेद दिया.

तनाव के बीच भारत ने शक्तियों को किया मजबूत
चीन के साथ सीमा पर जारी तनाव के बीच भारत अपनी शक्तियों को मजबूत करने में लगा हुआ है. इसी कड़ी में रविवार को देश को एक बड़ी कामयाबी मिली है. ब्रह्मोस प्राइम स्ट्राइक हथियार के रूप में नेवल सर्फेस लक्ष्यों को लंबी दूरी तक निशाना बनाकर युद्धपोतों की अजेयता सुनिश्चित करेगा.

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रक्षा मंत्री ने भारतीय नौसेना को दी बधाई
ब्रह्मोस को भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित किया गया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सफल प्रक्षेपण के लिए डीआरडीओ, ब्रह्मोस और भारतीय नौसेना को बधाई दी.

भारतीय नौसेना का एक और घातक प्लेटफार्म
वहीं रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि ब्रह्मोस प्रमुख हमलावर शस्त्र के रूप में लंबी दूरी पर स्थित लक्ष्य को भेद कर युद्ध पोत की अपराजेयता को सुनिश्चित करेगा, इस तरह विध्वंसक युद्ध पोत भारतीय नौसेना का एक और घातक प्लेटफार्म बन जाएगा.

सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का निर्माण
बता दें कि ब्रह्मोस एयरोस्पेस, भारत-रूस का संयुक्त उद्यम है. यह सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का निर्माण कर रहा है, जो पनडुब्बी, जहाज, विमान या जमीन से दागी जा सकती हैं.

पढ़ें:कठिन चुनौतियों के बीच अन्नाद्रमुक अनिश्चित रास्ते चल पड़ी

450 किलोमीटर से निशाने को तबाह करने की शक्ति
भारत अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में चीन से लगने वाली सीमाओं पर पहले ही ये ब्रह्मोस मिसाइल तैनात कर चुका है. पहले इसकी रेंज 290 किलोमीटर थी बाद में 400 किलोमीटर से ज्यादा तक कर दी गई है. अनुमान के मुताबिक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल 450 किलोमीटर से अधिक दूरी तक निशाने को तबाह कर सकती है.

'भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमताओं में होगा इजाफा'
डीआरडीओ के चेयरमैन जी. सतीश रेड्डी ने इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों और सभी कर्मचारियों, ब्रह्मोस, भारतीय नौसेना और इंडस्ट्री को बधाई दी. उन्होंने कहा कि ब्रह्मोस मिसाइल कई तरीकों से भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमताओं में इजाफा करेगी.

एंटी रेडिएशन मिसाइल रूद्रम-वन
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ सप्ताह में भारत ने कई मिसाइलों का परीक्षण किया है, जिनमें सतह से सतह पर मार करने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस और एंटी रेडिएशन मिसाइल रूद्रम-वन शामिल हैं.

भारत ने परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल शौर्य का भी परीक्षण किया है.

रूद्रम- वन के सफल परीक्षण को एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि यह भारत का प्रथम स्वदेश विकसित एंटी रेडिएशन हथियार है.

मिसाइलों का परीक्षण ऐसे वक्त में किया गया है, जब पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर गतिरोध चल रहा है.

Last Updated : Oct 18, 2020, 5:55 PM IST
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