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भारत-चीन गतिरोध : बॉट्स और ट्रोल्स के जरिए भारतीय सेना को बनाया गया निशाना

भारत और चीन के बीच चल रहे गतिरोध के दौरान भारतीय सेना को सोशल मीडिया पोस्टों की बमबारी का सामना करना पड़ा. एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि फेसबुक और यू-ट्यूब पर कम से कम 38 प्रतिशत ट्वीट्स और पोस्ट 'बॉट्स' द्वारा किए गए थे. विस्तार से पढ़िए, हमारे वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की विशेष रिपोर्ट...

India-China standoff
भारत-चीन गतिरोध
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Published : Aug 5, 2020, 8:10 PM IST

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख और उत्तरी सिक्किम में चीनी सेना के साथ चल रहे गतिरोध के दौरान भारतीय सेना को हिमालय के ऊंचाई वाले दुग्रम इलाकों में विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के साथ-साथ साइबर स्पेस में ट्वीट्स और सोशल मीडिया पोस्टों की बमबारी का भी सामना करना पड़ा.

साइबर सिक्योरिटी फर्म इनेफू (Innefu) द्वारा तीन महीने की अवधि (7 अप्रैल से 7 जुलाई, 2020 तक) के बीच किए गए एक अध्ययन में यह निष्कर्ष निकला कि फेसबुक और यू-ट्यूब पर कम से कम 38 प्रतिशत ट्वीट्स और पोस्ट 'बॉट्स' द्वारा किए गए थे.

बॉट्स इंटरनेट आधारित एक स्वचालित प्रोग्राम है, जो सिस्टम या उपयोगकर्ताओं के साथ वैसा ही संवाद और व्यवहार कर सकता है जैसे कुछ वीडियो गेम्स में खिलाड़ी करते देखे जाते हैं.

रिपोर्ट में बताया गया कि एक महीने (6 जून से 6 जुलाई, 2020) की अवधि के दौरान कुल 4,045 सोशल मीडिया प्रोफाइल से भारतीय सेना-विरोधी सामग्री साझा की गई. इस विषय पर दर्ज की गई संदिग्ध 'बॉट्स' की संख्या से यह पता चला है कि लगभग 38 प्रतिशत मनगढ़ंत कहानी (नैरेटिव) बॉट्स और ट्रोल्स द्वारा संचालित की गई थी.

दिलचस्प बात यह है कि रिपोर्ट में पाया गया कि भारतीय सेना के खिलाफ साइबर अपराध करने के लिए 1,366 ट्विटर प्रोफाइल 1 जून और 6 जुलाई, 2020 के बीच बनाई गई थीं.

इनेफू साइबर डोमेन में भारत सरकार के साथ मिलकर कार्य करता है.

रिपोर्ट में इस मामले में मजबूत पाकिस्तानी संबंध भी पाया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी नेटवर्क आधारित 1,689 सोशल मीडिया प्रोफाइल का पता चला है जो उनके इंटर-कनेक्शन को उजागर करता है.

हालांकि, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीनी सेना का एकत्रित होना पहले से ही शुरू हो गया था. लेकिन भारत-चीन के बीच ताजा संघर्ष पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर पांच मई को दो सेनाओं के बीच हाथापाई के साथ शुरू माना जा सकता है. इसके बाद 9-10 मई को उत्तरी सिक्किम में सीमा विवाद हुआ था.

सबसे खराब घटना 15 जून को गलवान घाटी में हिंसक झड़प के रूप में हुई थी, जिसमें कम से कम 20 भारतीय सैनिक और चीनी सेना के कई सैनिक मारे गए थे, लेकिन चीन ने मृतक सैनिकों की जानकारी सार्वजनिक नहीं की थी.

अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर दुनिया युद्ध का नया क्षेत्र बन गई है, जहां 'बॉट्स' और ट्रोल्स की सेना ने युद्ध छेड़ रखा है. सोशल मीडिया और साइबर दुनिया अब प्रमुख सूचनाओं और समाचारों का स्रोत बन गई है और सभी राष्ट्र इसे एक हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं.

यह भी पढ़ें- पैंगोग के लेकर भारत-चीन कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता पर नहीं बनी बात

माना जाता है कि ट्विटर पर 330 मिलियन मासिक एक्टिव यूजर्स, 145 मिलियन दैनिक एक्टिव यूजर्स और लगभग 35 मिलियन 'बॉट्स' हैं.

भारतीय सेना को निशान बनाने के अलावा, बॉट्स ने कश्मीर और खालिस्तान के मुद्दे पर भारत के खिलाफ नैरेटिव बनाया.

6 अप्रैल से 7 जुलाई, 2020 तक 6,599 से अधिक सोशल मीडिया अकाउंट कश्मीर के लिए कट्टरपंथी सामग्री प्रचारित करने के लिए बनाए गए थे, जिनमें से 2,633 अकाउंट 6 जून से 6 जुलाई, 2020 तक एक महीने की अवधि में बनाए गए थे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि उक्त महीने की अवधि के लिए कुल सोशल मीडिया आंकड़े बताते हैं कि कुल प्रोफाइल 13,419 से सामग्री पोस्ट की गई. 'बॉट' मैट्रिक्स के आधार पर, यह दर्ज किया गया कि कश्मीर अलगाववादी प्रचार के विषय पर लगभग 20 प्रतिशत पोस्ट किए गए, जो बॉट्स और ट्रोल्स हैं.

इनेफू की रिपोर्ट में कई पाकिस्तानी टीमों के नाम दिए गए हैं जो 'बॉट्स' संचालित करती हैं. इनमें टीम ईगल्स, टीम आईएसएफ, 'डिफेंडर्स_ऑफ_पीके', टीम पैट्रियट, ​​पाक साइबर फोर्स, डिफेंडर्सऑफपीके, टीम आईएसपी, पाकिस्तान वॉलंटियर्स फोर्स आदि शामिल हैं.

विश्लेषण की अवधि में बनाए गए खातों में से 30.1 प्रतिशत ने पाकिस्तान को अपना मूल स्थान बताया है, 11.5 प्रतिशत ने भारत को, 0.4 प्रतिशत ने अमेरिका को और 2 प्रतिशत अकाउंट अन्य भौगोलिक क्षेत्रों से हैं. जबकि 54 प्रतिशत ने अपने मूल स्थान की जानकारी का खुलासा नहीं किया है.

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख और उत्तरी सिक्किम में चीनी सेना के साथ चल रहे गतिरोध के दौरान भारतीय सेना को हिमालय के ऊंचाई वाले दुग्रम इलाकों में विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के साथ-साथ साइबर स्पेस में ट्वीट्स और सोशल मीडिया पोस्टों की बमबारी का भी सामना करना पड़ा.

साइबर सिक्योरिटी फर्म इनेफू (Innefu) द्वारा तीन महीने की अवधि (7 अप्रैल से 7 जुलाई, 2020 तक) के बीच किए गए एक अध्ययन में यह निष्कर्ष निकला कि फेसबुक और यू-ट्यूब पर कम से कम 38 प्रतिशत ट्वीट्स और पोस्ट 'बॉट्स' द्वारा किए गए थे.

बॉट्स इंटरनेट आधारित एक स्वचालित प्रोग्राम है, जो सिस्टम या उपयोगकर्ताओं के साथ वैसा ही संवाद और व्यवहार कर सकता है जैसे कुछ वीडियो गेम्स में खिलाड़ी करते देखे जाते हैं.

रिपोर्ट में बताया गया कि एक महीने (6 जून से 6 जुलाई, 2020) की अवधि के दौरान कुल 4,045 सोशल मीडिया प्रोफाइल से भारतीय सेना-विरोधी सामग्री साझा की गई. इस विषय पर दर्ज की गई संदिग्ध 'बॉट्स' की संख्या से यह पता चला है कि लगभग 38 प्रतिशत मनगढ़ंत कहानी (नैरेटिव) बॉट्स और ट्रोल्स द्वारा संचालित की गई थी.

दिलचस्प बात यह है कि रिपोर्ट में पाया गया कि भारतीय सेना के खिलाफ साइबर अपराध करने के लिए 1,366 ट्विटर प्रोफाइल 1 जून और 6 जुलाई, 2020 के बीच बनाई गई थीं.

इनेफू साइबर डोमेन में भारत सरकार के साथ मिलकर कार्य करता है.

रिपोर्ट में इस मामले में मजबूत पाकिस्तानी संबंध भी पाया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी नेटवर्क आधारित 1,689 सोशल मीडिया प्रोफाइल का पता चला है जो उनके इंटर-कनेक्शन को उजागर करता है.

हालांकि, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीनी सेना का एकत्रित होना पहले से ही शुरू हो गया था. लेकिन भारत-चीन के बीच ताजा संघर्ष पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर पांच मई को दो सेनाओं के बीच हाथापाई के साथ शुरू माना जा सकता है. इसके बाद 9-10 मई को उत्तरी सिक्किम में सीमा विवाद हुआ था.

सबसे खराब घटना 15 जून को गलवान घाटी में हिंसक झड़प के रूप में हुई थी, जिसमें कम से कम 20 भारतीय सैनिक और चीनी सेना के कई सैनिक मारे गए थे, लेकिन चीन ने मृतक सैनिकों की जानकारी सार्वजनिक नहीं की थी.

अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर दुनिया युद्ध का नया क्षेत्र बन गई है, जहां 'बॉट्स' और ट्रोल्स की सेना ने युद्ध छेड़ रखा है. सोशल मीडिया और साइबर दुनिया अब प्रमुख सूचनाओं और समाचारों का स्रोत बन गई है और सभी राष्ट्र इसे एक हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं.

यह भी पढ़ें- पैंगोग के लेकर भारत-चीन कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता पर नहीं बनी बात

माना जाता है कि ट्विटर पर 330 मिलियन मासिक एक्टिव यूजर्स, 145 मिलियन दैनिक एक्टिव यूजर्स और लगभग 35 मिलियन 'बॉट्स' हैं.

भारतीय सेना को निशान बनाने के अलावा, बॉट्स ने कश्मीर और खालिस्तान के मुद्दे पर भारत के खिलाफ नैरेटिव बनाया.

6 अप्रैल से 7 जुलाई, 2020 तक 6,599 से अधिक सोशल मीडिया अकाउंट कश्मीर के लिए कट्टरपंथी सामग्री प्रचारित करने के लिए बनाए गए थे, जिनमें से 2,633 अकाउंट 6 जून से 6 जुलाई, 2020 तक एक महीने की अवधि में बनाए गए थे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि उक्त महीने की अवधि के लिए कुल सोशल मीडिया आंकड़े बताते हैं कि कुल प्रोफाइल 13,419 से सामग्री पोस्ट की गई. 'बॉट' मैट्रिक्स के आधार पर, यह दर्ज किया गया कि कश्मीर अलगाववादी प्रचार के विषय पर लगभग 20 प्रतिशत पोस्ट किए गए, जो बॉट्स और ट्रोल्स हैं.

इनेफू की रिपोर्ट में कई पाकिस्तानी टीमों के नाम दिए गए हैं जो 'बॉट्स' संचालित करती हैं. इनमें टीम ईगल्स, टीम आईएसएफ, 'डिफेंडर्स_ऑफ_पीके', टीम पैट्रियट, ​​पाक साइबर फोर्स, डिफेंडर्सऑफपीके, टीम आईएसपी, पाकिस्तान वॉलंटियर्स फोर्स आदि शामिल हैं.

विश्लेषण की अवधि में बनाए गए खातों में से 30.1 प्रतिशत ने पाकिस्तान को अपना मूल स्थान बताया है, 11.5 प्रतिशत ने भारत को, 0.4 प्रतिशत ने अमेरिका को और 2 प्रतिशत अकाउंट अन्य भौगोलिक क्षेत्रों से हैं. जबकि 54 प्रतिशत ने अपने मूल स्थान की जानकारी का खुलासा नहीं किया है.

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