नई दिल्ली : भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कहा कि पार्टी जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का समर्थन करती है. भाजपा की जम्मू-कश्मीर यूनिट चाहती है कि स्थितियां सामान्य होने पर केंद्रशासित राज्य को पुनः पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाए. वहीं कश्मीरी पंडितों को लेकर उन्होंने कहा कि जब तक हम उन्हें सुरक्षा और सम्मान की गारंटी नहीं दे सकेंगे तब तक घाटी में पंडितों का जाना संभव नहीं है.
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने शुक्रवार को एक न्यूज एजेंसी को दिए गए विशेष इंटरव्यू में जम्मू-कश्मीर से लेकर चीन सीमा विवाद और नेपाल के मसलों पर खुलकर बात की.
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा दिए के सवाल पर कहा कि उनकी पार्टी इसका समर्थन करती है.
उन्होंने कहा, 'भाजपा की जम्मू-कश्मीर यूनिट का मत है कि अनुकूल समय हो तो राज्य का दर्जा वापस दिया जाए. हम चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल हो. गृहमंत्री अमित शाह ने खुद केंद्रशासित का दर्जा देते समय कहा था कि बहुत जल्दी ही वापस पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का काम किया जाएगा. अभी केंद्रशासित के लिए असेंबली का गठन और डिलिमिटेशन होना है.'
घाटी में राजनीतिक गतिविधियों को शुरू करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ज्यादातर नेता रिहा किए जा चुके हैं. राम माधव ने कहा, 'भाजपा चाहती है कि सभी नेता राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेकर प्रशासन और जनता के बीच सेतु का काम करें, लेकिन पीडीपीए नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस के सभी बड़े नेता घरों में बैठे हैं. कांग्रेस के नेता तो गिरफ्तार भी नहीं हुए थे. ऐसे में उन्हें जवाब देना चाहिए कि क्यों राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले रहे हैं. असेंबली चुनाव होगा तभी राजनीतिक गतिविधि चलेंगी.'
हाल में अजय पंडित की हत्या के बाद कश्मीरी पंडितों में डर और उनकी घरवापसी से जुड़े सवाल पर राम माधव ने कहा कि गृहमंत्रालय इस पूरे मामले को देख रहा है. उन्होंने कहा, 'जब तक वहां सुरक्षा और सम्मान दोनों की हम गारंटी नहीं कर सकेंगे तब तक घाटी में पंडितों का जाना संभव नहीं होगा. केवल कालोनियां बनाने से ही पंडितों की घरवापसी नहीं हो सकती.'
पीडीपी के साथ सरकार बनाने के सवाल पर भाजपा महासचिव ने कहा कि अगर भाजपा सरकार न बनाती तो फिर से विधानसभा चुनाव होता. हालांकि पीडीपी के साथ सरकार बनाने का कुछ फायदा भी हुआ और कुछ नुकसान भी हुआ. नुकसान के कारण ही तीन साल बाद भाजपा अलग हो गई.
पढ़ें : सीमा विवाद के बीच प्रधानमंत्री मोदी का लेह दौरा कई मायनों में अहम
राम माधव ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद जनता के स्तर से बहुत कम विरोध हुआ है. जनता को महसूस हुआ है कि 370 के तहत चले शासनकाल में सिर्फ नेताओं की संपन्नता बढ़ती, लेकिन जनता को लाभ नहीं हुआ. अब जनता का रुख सकारात्मक दिख रहा है.
गिलानी के इस्तीफे को राम माधव ने हुर्रियत की अंदरुनी राजनीति का परिणाम बताया. कहा कि गिलानी के इस्तीफे से पिछले 30 साल के उनके कारनामे माफ नहीं हो जाएंगे. गिलानी की वजह से हजारों युवाओं की घाटी में जान गई.
भाजपा के राष्ट्रीय महासिव राम माधव ने चीन के मसले पर भी बात की. उन्होंने कहा कि चीन की जमीन हड़पने की पुरानी आदत रही है, मगर मोदी सरकार ने पिछले पांच साल में मुंहतोड़ जवाब दिया है. आखिर चीन से सीमा विवाद का हल क्या है, इस सवाल पर राम माधव ने कहा कि दो मोचरें पर खास तौर से सरकार काम कर रही है. प्रो ऐक्टिव डिप्लोमेसी और स्ट्रांग ग्राउंड पोजीशनिंग पर बल दिया जा रहा है. सैन्य और कूटनीतिक स्तर से जहां बात चल रही है वहीं एक-एक इंच भूमि की रक्षा के लिए भी सरकार संकल्पित है. दोबारा गलवान घाटी की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं.
राम माधव ने कहा कि मोदी सरकार बनने के बाद से भारत ने सीमा नीति को लेकर कठोरता बरती है. 2017 के डोकलाम और मौजूदा गलवान घाटी की घटना को लेकर उन्होंने कहा, 'डोकलाम में भारत जिस मजबूती के साथ सीना ताने खड़ा हुआ, उससे चीन भी हैरान था. तब चीन, चिकन नेक एरिया के नजदीक आने की कोशिश में था, मगर भारत ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए उसकी साजिश सफल नहीं होने दी थी. चीन चाहता था कि हम सेना हटाएं, लेकिन मोदी सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि जब तक चीन सीमा के पास निर्माण नहीं हटाता सेना नहीं हटेगी.'
पढ़ें : 15 अगस्त तक लॉन्च हो सकती है देश की पहली कोरोना वैक्सीन, मानव परीक्षण 7 जुलाई से
राम माधव ने कहा कि इस बार भी चीन ने एलएसी में घुसने की कोशिश की, जिसे हमने फिजिकली रोका. लाठी-पत्थर भी बरसे. दुर्भाग्य से हमारे 20 जवान शहीद हुए. भारत ने चीन को संदेश दिया है कि हम सीमा पर चुपचाप कब्जा करने की चीन की चाल को सफल नहीं होने देंगे.
मित्र देश नेपाल आखिर भारत के विरोध में क्यों खड़ा हो गया है, इस सवाल पर राम माधव ने कहा कि आज भले ही नेपाल थोड़ा बहुत भारत विरोधी बयानबाजी कर रहा हो, लेकिन इससे दोनों देशों के संबंध नहीं बिगड़ेंगे. वैसे यह पहली घटना नहीं है, राजवंश के समय से ऐसी घटनाएं कई बार हुईं है.
उन्होंने कहा, 'जब नेपाल में राजा का शासन था तब नेहरू जी का विरोध करता था. अतीत के और वर्तमान के अनुभवों के आधार पर मैं कह सकता हूं कि नेपाल के भारत का विरोध करने का ज्यादा कारण आंतरिक होता है. जब कोई अंदरुनी समस्या होती है, तब वहां की सरकार को लगता है कि पड़ोसी भारत पर कुछ बरसो तो आंतरिक राजनीति में फायदा होगा.' भाजपा महासचिव ने साफ किया कि भारत और नेपाल के संबंध हमेशा पहले की तरह प्रगाढ़ रहेंगे.
राष्ट्रीय महासचिव राम माधव भाजपा के हाई प्रोफाइल चेहरों में से एक हैं. 2003 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रवक्ता बनने के बाद से वह देश ही नहीं दुनिया की मीडिया में भी सुर्खियों में रहे. तब उन्हें आरएसएस का ग्लोबल अंबेसडर भी कहा जाने लगा था. आरएसएस में लंबा समय बिताने के बाद 2014 में उनकी भाजपा में बतौर नेशनल जनरल सेक्रेटरी एंट्री हुई.
तब से वह भाजपा में जम्मू-कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर मामलों की गतिविधियां देखते हैं. वह ऐसे रणनीतिकार हैं, जिन्होंने पूर्वोत्तर में भाजपा की पहुंच बनाने में अहम भूमिका निभाई. यह उनकी कोशिशों का नतीजा है कि जिस पूर्वोत्तर में भाजपा की उपस्थिति नहीं थी, वहां के राज्यों में आज भाजपा की सरकारें हैं. आंध्र प्रदेश के मूल निवासी 56 वर्षीय राम माधव आरएसएस में प्रचारक बनने से पहले इंजीनियरिंग की शिक्षा ले चुके थे.