नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून को लेकर भाजपा विपक्ष द्वारा खड़े किए आंदोलन को गलत ठहराने की रणनीति में जुट गई है.
दरअसल पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की ओर से अपने नेताओं को निर्देश दिए गए हैं कि वे CAA पर अलग-अलग राज्यों में जाकर बुद्धिजीवी शरणार्थियों और छात्रों के बीच विश्वास पैदा करें. साथ ही इस कानून से होने वाले फायदों के बारे में बताएं.
भाजपा ने फैसला लिया है कि इंटेलेक्चुअल मीट करवाई जाए. साथ ही भाजपा ने अपने युवा मोर्चा विंग को भी यह निर्देश दिया है कि वह अलग-अलग राज्यों में, जिस तरह से कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां धरना प्रदर्शन कर रही हैं, उनके खिलाफ जवाब देते हुए धरना प्रदर्शन करें.
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन बिल और NRC को लेकर खुद अमित शाह कई बार कह चुके हैं कि इन दोनों बिलों को लागू कराना इस सरकार का कर्तव्य है और वह इसके लिए पूर्णतया कटिबद्ध है.
लेकिन जिस तरह से सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल के कानून बनते ही पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, शायद भाजपा को यह उम्मीद नहीं थी कि इतने बड़े पैमाने पर हिंसा हो सकती है और विपक्ष इस कदर लामबंद हो जाएगा.
दूसरी ओर बीजेपी अब वर्तमान परिस्थितियों का पूरा लाभ उठाने की कोशिश कर रही है और इसके लिए पार्टी ने मेगा प्लान बनाया है.
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भाजपा राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, केरल और पंजाब में कांग्रेस, टीएमसी और कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ जिला स्तर पर विरोध प्रदर्शन की शुरुआत कर चुकी है.
दूसरी तरफ इन राज्यों में ये पार्टियां सिटिजन अमेंडमेंट बिल को लेकर जो भ्रम फैला रही है, उस संबंध में ज्यादा से ज्यादा पोस्टरबाजी और नारे और स्लोगन के माध्यम से इन इलाकों में लोगों के बीच सिटीजन अमेंडमेंट बिल को समझाने के लिए भी कहा गया है.
इसके साथ ही सिटीजन अमेंडमेंट बिल को लेकर भाजपा सोशल मीडिया विंग का भी इस्तेमाल कर रही है.
सूत्रों की मानें तो पार्टी के शीर्ष नेताओं ने सोशल मीडिया को 24 घंटे इस बिल को लेकर अलर्ट मोड में रहने के निर्देश जारी किए हैं.
आगामी 31 दिसंबर तक भाजपा हर जिले में और राज्य स्तर पर बुद्धिजीवियों, छात्रों और शरणार्थियों के साथ बैठक कर इस बिल के महत्व को बताएगी, यानी कहीं ना कहीं भाजपा ने आनन-फानन में चौतरफा हमले की रणनीति बनाई है.