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पार्टी के अंदर मतभेद हार की बड़ी वजह : BJP - bjp over lost seats

चुनावों में भाजपा की हार के बाद अब विपक्षियों का कहना है कि पार्टी का डाउनफॉल शुरू हो चुका है. पार्टी की हार के कईं कारणों को अहम बताया जा रहा है. इस संबंध में ईटीवी भारत ने वरिष्ठ बीजेपी नेता सोनकर शास्त्री से खास बातचीत की है. जानें इस दौरान उन्होंने क्या कुछ कहा...

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पार्टी के अंदर मतभेद हार की बड़ी वजह
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Published : Dec 24, 2019, 6:41 PM IST

Updated : Jan 7, 2020, 9:36 PM IST

नई दिल्ली : झारखंड विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद अब भाजपा पर विपक्षी पार्टियों का प्रहार शुरू हो चुका है. विपक्षियों का कहना है कि पार्टी का डाउन फॉल शुरू हो चुका है.

परिणामों को लेकर विश्लेषण का दौर शुरू हो चुका है. बीजेपी के पिछड़ने पर कई कारणों को अहम बताया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर बीजेपी की रणनीति पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत करते विजय सोनकर शास्त्री

इस संबंध में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की है. उन्होंने कहा कि ऐसी कोई भी बात नहीं है बल्कि हमें जितने वोट मिलने चाहिए थे हम उसी के आस पास हैं.

उन्होंने कहा कि हमने जातिवाद, धर्म संप्रदाय की राजनीति को बड़ी ही मुश्किल से बाहर निकाला. और उसे जनकल्याणकारी योजनाओं पर खड़ा किया. यदि विपक्ष की बात करें तो उन्होंने उन्हीं सारी योजनाओं को लाना फिर से शुरू कर दिया है.

पढ़ें : रणनीति बदलेगी भाजपा, स्थानीय नेताओं को मिलेगी तरजीह

शास्त्री ने आगे कहा कि पार्टी खुद भी मानती है कि पार्टी के अंदर के मतभेद इस हार की एक बड़ी वजह है. पार्टी को अपनी मूल नीति को बदलना होगा.

लेकिन मामला चाहे कुछ भी हो विपक्षी पार्टियां इसे भाजपा का डाउनफॉल ही बता रहे हैं.

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले तक भाजपा के शीर्ष नेता पार्टी का मानचित्र दिखाकर और उनमें राज्यों के केसरिया रंग दिखा दिखाकर चुनाव प्रचार कर रहे थे. लेकिन अब उस मानचित्र में लगातार घटते इस केसरिया रंग को लेकर कहीं ना कहीं भाजपा के चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही है.

अब यह देखना है कि पार्टी आने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपने मुद्दों और नेताओं के बीच क्या नया बदलाव लाती है.

नई दिल्ली : झारखंड विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद अब भाजपा पर विपक्षी पार्टियों का प्रहार शुरू हो चुका है. विपक्षियों का कहना है कि पार्टी का डाउन फॉल शुरू हो चुका है.

परिणामों को लेकर विश्लेषण का दौर शुरू हो चुका है. बीजेपी के पिछड़ने पर कई कारणों को अहम बताया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर बीजेपी की रणनीति पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत करते विजय सोनकर शास्त्री

इस संबंध में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की है. उन्होंने कहा कि ऐसी कोई भी बात नहीं है बल्कि हमें जितने वोट मिलने चाहिए थे हम उसी के आस पास हैं.

उन्होंने कहा कि हमने जातिवाद, धर्म संप्रदाय की राजनीति को बड़ी ही मुश्किल से बाहर निकाला. और उसे जनकल्याणकारी योजनाओं पर खड़ा किया. यदि विपक्ष की बात करें तो उन्होंने उन्हीं सारी योजनाओं को लाना फिर से शुरू कर दिया है.

पढ़ें : रणनीति बदलेगी भाजपा, स्थानीय नेताओं को मिलेगी तरजीह

शास्त्री ने आगे कहा कि पार्टी खुद भी मानती है कि पार्टी के अंदर के मतभेद इस हार की एक बड़ी वजह है. पार्टी को अपनी मूल नीति को बदलना होगा.

लेकिन मामला चाहे कुछ भी हो विपक्षी पार्टियां इसे भाजपा का डाउनफॉल ही बता रहे हैं.

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले तक भाजपा के शीर्ष नेता पार्टी का मानचित्र दिखाकर और उनमें राज्यों के केसरिया रंग दिखा दिखाकर चुनाव प्रचार कर रहे थे. लेकिन अब उस मानचित्र में लगातार घटते इस केसरिया रंग को लेकर कहीं ना कहीं भाजपा के चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही है.

अब यह देखना है कि पार्टी आने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपने मुद्दों और नेताओं के बीच क्या नया बदलाव लाती है.

Intro:झारखंड में जोर-शोर से डबल इंजन की सरकार देने का लगातार वायदा कर रही भाजपा क्या मुद्दों को पहचानने में लगातार असफल हो रही है इससे पहले छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश राजस्थान महाराष्ट्र और अब झारखंड क्या बीजेपी इन राज्यों की जनता की नब्ज पहचानने में भूल कर रही थी इन तमाम राज्यों के चुनाव को देखा जाए तो हरियाणा को भी मिला कर बीजेपी ने ज्यादातर राज्य में केंद्र की उपलब्धियों पर चुनाव लड़ा डबल इंजन का सरकार देने का वायदा झारखंड में भी बीजेपी जोर शोर से करती रही क्या राज्य की जनता को डबल इंजन रास नहीं आ रहा क्या वजह है कि एक के बाद एक लगातार बीजेपी के हाथों से राज्य निकलते जा रहे हैं केंद्र की योजनाओं को लेकर और जाति वर्ण व्यवस्था को अलग कर बीजेपी विकास और केंद्र की परियोजनाओं को लेकर लगातार चुनाव प्रचार करती रहे भाजपा का कहना था कि वह विकास के नाम पर चुनाव लड़ेगी जाति प्रथा में भाजपा का विश्वास नहीं क्या यही बोल रही भाजपा के इन राज्यों में चुनाव हारने की जरूरत है बीजेपी को पुनर समीक्षा करने की लेकिन भाजपा के नेताओं का मानना है कि भाजपा ने कोई गलती नहीं की जबकि वास्तविकता देखी जाए तो बार बार भाजपा अपने कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर इन राज्यों में दूसरी पार्टियों से नेताओं को लेने का सिलसिला भी बंद नहीं कर पा रही इससे भाजपा का मूल कैडर राज्य में नाराज चल रहा है और इन्हीं बातों को लेकर जरूरत है पार्टी को पुनः समीक्षा करने की


Body:महाराष्ट्र में गैर मराठा मुख्यमंत्री उम्मीदवार हरियाणा में गैर जाट मुख्यमंत्री उम्मीदवार और उसके बाद आदिवासी बहुल क्षेत्र झारखंड में गैर आदिवासी मुख्यमंत्री उम्मीदवार बार बार भाजपा अपनी एक ही भूल को दोहरा रही है पार्टी को ऐसा लगा था कि शायद 5 साल पहले जो पार्टी के लिए शमा तैयार हुई थी नरेंद्र मोदी के नाम पर शायद उन्हीं तमाम मुद्दों को इन राज्यों में 5 साल के बाद भी बना पाएगी पार्टी ने जनता का नंबर पहचानने में भूल कर दी जहां महाराष्ट्र में मराठा और गैर मराठा के बीच जबरदस्त विरोधियों की तरफ से चुनाव प्रचार किया गया वहीं झारखंड के चुनाव में आदिवासी और आदिवासियों को लेकर भी विरोधियों ने काफी हमले की है यही दिक्कत भाजपा को हरियाणा में भी देखना पड़ा हालांकि जैसे तैसे हरियाणा में भाजपा सरकार बनाने में सफल हो गई मगर यह सरकार भी सहयोगी यों के भरोसे ही चल रही है ऐसे में देखना यह होगा कि क्या बीजेपी जो दावे कर रही है कि जाति धर्म संप्रदाय से उठकर विकास के नाम पर चुनाव लड़ना चाहती है केंद्र की उपलब्धियों पर चुनाव लड़ना चाहती है इन तमाम बातों को राज्यों में राज्यों के मुद्दे चुनाव में हावी रहे झारखंड के चुनाव पर अगर समीक्षा की जाए तो झारखंड मुक्ति मोर्चा हो या फिर कांग्रेस दोनों ने अपने चुनाव प्रचार को झारखंड आदिवासी बहुल क्षेत्रों और उन राज्यों की मूल बुनियादी सुविधाओं पर ही केंद्रित रखा यही नहीं महागठबंधन ने भी इस आदिवासी बहुल क्षेत्र में आदिवासी ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को भी उतारा कहीं ना कहीं यह फैक्टर भाजपा के लिए नुकसान कर गया लगातार भाजपा पर यह भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि पार्टी अपने कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर रही है दूसरी पार्टी से आने वाले नेताओं का पार्टी में बोलबाला होता जा रहा है और पार्टी का कैडर छूटता जा रहा है झारखंड के चुनाव में भी देखने को मिला ज्यादातर सीटों पर भाजपा के अपने लोगों ने ही उनके उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में हराया चाहे वह खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास ही क्यों ना हो जीतने वाले कैंडिडेट टिकट काटे गए और बाहरी उम्मीदवारों को टिकट बाटा गया


Conclusion:भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री ने कहा ऐसा नहीं है कि जनता ने हमारे डबल इंजन की सरकार के वायदे को पूरी तरह से नकार दिया हमारी पार्टी ने भी 26 सीटें वहां पर जीती है मगर पार्टी हमेशा सही जाति धर्म संप्रदाय के नाम पर चुनाव नहीं लड़ती रही है चाहे परिणाम कुछ भी हो आगे भी वह विकास के नाम पर ही चुनाव लड़ेगी लेकिन हां यह जरूर है कि कहीं न कहीं कई सीटों पर अपने लोगों ने हराया यानी कि पार्टी खुद भी यह मानती है कि पार्टी के अंदर मतभेद और पार्टी के कैडर का नाराज होना इन हार की एक बड़ी वजह है और अगर पार्टी इन बातों पर समीक्षा नहीं कहती तो कहीं ना कहीं यह मानकर चला जा सकता है कि पार्टी का डांस शुरू हो चुका है और पार्टी को अपनी नीति मूल परिवर्तन करना ही पड़ेगा मगर चाहे कुछ भी हो विपक्षी पार्टियां इसे बीजेपी का डाउनफॉल ही बता रहे हैं
जहां कुछ दिन पहले तक भाजपा के शीर्ष नेता भारत के मानचित्र दिखाकर और उनमें राज्यों के केसरिया रंग दिखा दिखाकर चुनाव प्रचार कर रहे थे उस मानचित्र में लगातार घटते इस केसरिया रंग को लेकर अब कहीं ना कहीं भाजपा के चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही है और अब यह देखना है कि पार्टी आने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपने मुद्दों और नेताओं के बीच क्या नया परिवर्तन लाती है
Last Updated : Jan 7, 2020, 9:36 PM IST
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