नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में सभी क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं की रिहाई के बाद राजनीतिक हलचल बढ़ गई है. यह केंद्र की सत्ताधारी पार्टी भाजपा के लिए एक नया सिरदर्द बनकर उभरी है. भाजपा के शीर्ष नेता जम्मू-कश्मीर के नए राजनीतिक परिस्थितियों पर पैनी नजर बनाए हुए हैं. पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जम्मू-कश्मीर के स्थानीय नेताओं से लगातार संपर्क में है. स्थानीय नेताओं को हर राजनीतिक गतिविधि की जानकारी भाजपा मुख्यालय में देने का निर्देश है. फारुख अब्दुल्ला की तरफ से गुरुवार को बुलाई गई गुपकार समझौते से संबंधित बैठक के जवाब में भारतीय जनता पार्टी ने भी शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के भाजपा नेताओं की बैठक बुलाई. इसमें करीब 100 से अधिक नेताओं और धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों को बैठक में आमंत्रित किया गया.
गुपकार समझौते का मुख्य मकसद
गुपकार समझौता के तहत एक साझा बयान 4 अगस्त 2019 को नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, सज्जाद लोन जैसे तमाम स्थानीय पार्टियों के नेताओं ने जारी किया था. बयान में अनुच्छेद 370 और 35ए को लेकर प्रतिबद्धता जताई थी. अब इस ग्रुप के समूह की फिर बैठक हुई है. इसमें इन सभी पार्टियों ने एक नए गठबंधन की घोषणा कर दी. इसे पिपुल्स अलायंस का नाम दिया गया है. इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी के अलावा भी पीसी, सीपीआईएम, एएनसी और जेकेपीएम शामिल हैं. इसका मुख्य उद्देश्य गुपकार समझाते को लागू करना है. हालांकि, गुरुवार को बुलाई गई इस बैठक का बहाना इन नेताओं ने यह कह कर दिया था कि महबूबा मुफ्ती की 14 महीने की रिहाई के बाद बधाई देने के लिए तमाम नेता इकट्ठा हो रहे हैं.
जल्द ही भाजपा के शीर्ष नेताओं के हो सकते हैं दौरे
गुपकार समूह के स्थानीय नेता राज्य में अनुच्छेद 370 और आर्टिकल 35ए की वापसी की मांग कर रहे हैं. वहीं भारतीय जनता पार्टी आरोप लगा रही है कि यह स्थानीय पार्टियां पाकिस्तान के एजेंडे को आगे बढ़ा रही हैं. सूत्रों की मानें तो जम्मू-कश्मीर में जल्द ही भाजपा के शीर्ष नेताओं के दौरे का कार्यक्रम बनाया जा सकता है. पिछले 6 महीनों के दौरान देखा जाए तो भाजपा के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं की आतंकियों द्वारा हत्या कर दी गई है. इस डर की वजह से भारतीय जनता पार्टी के लगभग 40 से भी ज्यादा स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. कहीं ना कहीं इस हमले की वजह कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर एकमात्र पार्टी रह जाना भी माना जा रहा है.
पंचों और सरपंचों को दे रहे भरोसा
कश्मीर में 1267 पंच और सरपंच है. भाजपा का दावा है कि इनमें से ज्यादातर उससे जुड़े हुए हैं. अक्टूबर 2019 में जब पंचायत चुनाव हुए थे, तो उसमें पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस ने हिस्सा नहीं लिया था. इसकी मुख्य वजह थी कि उनके नेता अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हिरासत में थे. हालांकि, इन चुनाव में लोग पार्टी के आधार पर नहीं बल्कि निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं लेकिन इतना सभी को पता होता है कि किस नेता की विचारधारा किस पार्टी से मिलती है. ऐसे ही कुछ सरपंचों से मुलाकात कर बुधवार को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भरोसा दिलाया था कि प्रशासन उनके लिए पहले से ज्यादा सुरक्षा के कदम उठा रहा है. इन सरपंचों और पंचों के विश्वास जीतने की हरसंभव कोशिश भी केंद्र सरकार की ओर से की जा रही है.
धारा 370 ने जम्मू-कश्मीर के साथ बहुत अन्याय किया
भारतीय जनता पार्टी के जम्मू-कश्मीर अध्यक्ष रविंदर रैना ने ईटीवी भारत को बताया के गुपकार एजेंडा देशद्रोहियों का एजेंडा है. पिछले 70 सालों में जम्मू-कश्मीर के अंदर पाकिस्तानी आतंकवादियों के एजेंडे ने लाखों बेगुनाह लोगों की हत्या की. धारा 370 ने जम्मू-कश्मीर के साथ बहुत अन्याय किया है. पाकिस्तान से आए रिफ्यूजी, गरीब, दलित समाज के लोग, महिलाओं और बच्चों के साथ धारा 370 की वजह से अन्याय हुआ है. धारा 370 ने आतंकवाद और अलगाववाद को जन्म दिया. रैना ने दावा किया कि धारा 370 इतिहास हो चुका है. धारा 370 कयामत की सुबह तक वापस नहीं होगा. मुफ्ती और अब्दुल्ला परिवार चाहे जितना मर्जी चिल्ला लें. रवींद्र रैना ने कहा कि इन नेताओं ने न सिर्फ कश्मीर का बंटाधार किया है, बल्कि 370 की आड़ में जम्मू-कश्मीर की जनता को लूटा है. जनता के मानवाधिकार का हनन किया है.