नई दिल्ली : कृषि विधेयकों पर हरियाणा में भाजपा के कुछ नेताओं व विधायकों ने नाराजगी व्यक्त की है. सूत्रों के मुताबिक, हरियाणा में भाजपा के 10 से 14 विधायक किसानों से संबंधित इन विधेयकों को लेकर नाराज हैं और पार्टी पर दबाव बना रहे हैं. भाजपा अपने नेताओं को मनाने में जुटी है.
इसके अलावा हरियाणा में गठबंधन में मौजूद जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के 6-7 विधायक भी सरकार पर दबाव बना रहे हैं. इस संबंध में शनिवार को जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात कर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं.
यह तो रही पार्टी और गठबंधन की बात, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के किसान संगठन भारतीय किसान संघ ने भी कृषि विधेयकों का विरोध किया है. भारतीय किसान संघ का मानना है कि यह बिल किसानों के हित में नही हैं. हालांकि उनका कहना है कि वह इस बिल का पूरी तरह विरोध नहीं करते, लेकिन इसमें कुछ धाराएं ऐसी हैं, जो किसानों के हित में नहीं है और इस बिल को सरकार को स्टैंडिंग कमिटी में भेजना चाहिए और इस बिल में कई सुधार की जरूरत है.
कहा जाए तो कृषि संबंधी विधेयकों पर सरकार पर चौतरफा हमला हो रहा है. विपक्ष इस बिल को लेकर सड़कों पर तो उतर ही चुका है. संसद में जिस तरह का घमासान मचा, वह अपने आप में जगजाहिर है.
अब तक फिलहाल एनडीए में शामिल पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर गुहार लगाई कि इन विधेयकों को सरकार को वापस लेने के निर्देश दिए जाएं. मगर गठबंधन की पार्टियों से ज्यादा सरकार अपने नेताओं को लेकर घबराहट में है और पार्टी के अंदर मैनेजमेंट करने में पार्टी के कुछ नेताओं की गतिविधियां बढ़ा दी गई हैं.
भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने ईटीवी भारत के सवाल पर कहा, 'मैं भी एक किसान का बेटा हूं. कांग्रेस पहले भी नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के मुद्दे पर दिल्ली में दंगा फैला चुकी है और अब किसानों के इस कानून पर लोगों में भ्रम फैला रही है. यह कानून किसानों को फायदा पहुंचाने वाले हैं. मगर कांग्रेस इस पर झूठ बोलकर भ्रम फैला रही है. नया कानून किसानों को बिचौलियों से बचने वाला और उन्हें खुले बाजार में फायदा पहुंचाने वाला है.'
वहीं, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा का कहना है कि किसानों के मुद्दे पर राजनीति करने की किसी को आवश्यकता नहीं है. आज हम इस मुकाम पर खड़े है, जहां पर लोगों को यह फैसला करने की जरूरत है कि क्या वह किसानों के साथ हैं या उन बिचौलियों के साथ हैं, जो किसानों को उनकी फसल का पूरा फायदा नहीं देते हैं. मगर उस मुनाफे का हिस्सा किसान को नहीं मिलता है.
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उन्होंने कहा कि यह कानून पुराने सिस्टम को खत्म नहीं करता, बल्कि किसानों को और आजादी के साथ अपने फसल का फायदा लेने का हक दिलाता है. भाजपा नेता ने कहा कि देश में 86% छोटे किसान हैं और इनके पास अपनी जमीन नहीं होती है, उनके लिए यह बहुत जरूरी है, क्योंकि आज भी वह कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कर रहे हैं. उनका शोषण हो रहा है.
वर्मा ने कहा कि कृषि बिल किसानों को एक लीगल एग्रीमेंट देता है. नए उपकरण और नए मॉडल के साथ किसानों को फायदा होगा. बार-बार सरकार ने इस बात को दोहराया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) जारी रहेगा. मोदी सरकार के छह साल में एमएसपी 25 गुना ज्यादा हुई है. फिर यह कौन लोग हैं, जो विरोध कर रहे हैं. कहीं ऐसा तो नहीं है कि बिचौलिये राजनीति की आड़ लेकर विरोध करने में सहायता दे रहे हैं.
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ किसानों के हित में काम करते हैं. देश के हित में काम करते हैं और इसलिए यह बिल लाया गया है, जो किसानों को उचित मूल्य देगा. जो लोग विरोध कर रहे हैं उन्हें हम समझाने का प्रयास करेंगे.