नई दिल्ली : संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो चुका है. इस सत्र में कुछ अहम बिलों पर चर्चा होने की उम्मीद है. कुछ अहम बिलों पर लोकसभा व राज्यसभा में चर्चा होगी.
संसद के इस सत्र में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट का निषेध (उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन) विधेयक, 2019 (अध्यादेश को बदलने के लिए), विमान (संशोधन) विधेयक, 2019, प्रतिस्पर्धा (संशोधन) विधेयक, 2019, गर्भपात (संशोधन) विधेयक, 2019, आपदा प्रबंधन (पहला संशोधन) विधेयक, 2019, सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम विकास (संशोधन) विधेयक, 2019 जैसे कई अन्य विधेयकों पर भी चर्चा होगी.
इसके अलावा कई वित्तीय व्यवसाय से जुड़े मुद्दे भी चर्चा का विषय होंगे. तो दूसरी ओर राज्यसभा से लौटाए जाने वाले विधेयकों पर भी बात होगी.
लोकसभा में सोमवार को केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने सोमवार को लोकसभा में चिट फंड संशोधन विधेयक 2019 पेश किया, जिसका उद्देश्य चिट फंड क्षेत्र का सुव्यवस्थित विकास करने के लिए इस उद्योग के समक्ष आ रही अड़चनों को दूर करना है.
सदन में विधेयक पेश करते हुए ठाकुर ने कहा कि चिट फंड सालों से छोटे कारोबारों और गरीब वर्ग के लोगों के लिए निवेश का स्रोत रहा है लेकिन कुछ पक्षकारों ने इसमें अनियमितताओं को लेकर चिंता जताई थी, जिसके बाद सरकार ने एक परामर्श समूह बनाया.
उन्होंने कहा कि 1982 के मूल कानून को चिट फंड के विनियमन का उपबंध करने के लिए लाया गया था। संसदीय समिति की सिफारिश पर इसमें अब संशोधन के लिए विधेयक लाया गया है.
उक्त विधेयक पिछले लोकसभा सत्र में पेश किया गया था लेकिन लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही यह निष्प्रभावी हो गया.
विधेयक में व्यक्तियों की संकलित चिट रकम की अधिकतम सीमा को एक लाख रुपये से संशोधित करके तीन लाख रुपये करने का प्रावधान किया गया है.
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ठाकुर ने कहा कि चिट फंड को नकारात्मकता के साथ देखा जाता रहा है, इसलिए इसकी छवि सुधारने के लिए विधेयक में कुछ दूसरे नाम भी सुझाये गये हैं.
उन्होंने कहा, चिट फंड अवैध नहीं, वैध कारोबार है. ठाकुर ने कहा कि राज्य चिट की सीमा निर्धारित कर सकते हैं.
विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के सप्तगिरि उलका ने कहा कि यह विधेयक असंगठित क्षेत्र के लिए पर्याप्त नहीं लगता.
उन्होंने कहा कि केवल नाम बदलने से समाधान नहीं निकलेगा, बल्कि इसका पूरी तरह से नियमन जरूरी है.
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उलका ने कहा कि पहले से जो चिट फंड हैं, वह इस विधेयक के दायरे में नहीं आएंगे. सरकार इस संबंध में बताए कि क्या पहले से चालू चिट फंड इस विधेयक के दायरे में आ सकते हैं.
उन्होंने अपने गृह राज्य ओडिशा में चिट फंड के कथित घोटालों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार बताए कि राज्य में इस संबंध में सीबीआई जांच की क्या स्थिति है.
उलका ने कहा कि चिट फंड में कथित राजनीतिक संरक्षण भी होता है इसलिए सारे अधिकार राज्य सरकार को नहीं दिये जाने चाहिए.
उन्होंने विधेयक में और प्रावधान शामिल करने का सुझाव देते हुए इसे स्थाई समिति को भेजने की मांग की.
लोकसभा में चिट फंड घोटाले को लेकर सोमवार को पश्चिम बंगाल के भाजपा एवं तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के बीच परस्पर तीखी बहस को शांत कराने के लिए स्पीकर ओम बिरला को हस्तक्षेप करते हुए यह कहना पड़ गया, लोकसभा को (पश्चिम) बंगाल विधानसभा नहीं बनाइए.
दोनों दलों के सदस्यों के बीच यह बहस सदन में चिट फंड संशोधन विधेयक, 2019 पर चर्चा के दौरान हुई.
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चर्चा के दौरान भाजपा की लॉकेट चटर्जी ने बंगाल में कथित चिटफंड घोटाले को लेकर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर निशाना साधा, जिस पर तृणमूल सदस्यों से उनकी नोकझोंक हुई। कल्याण बनर्जी सहित तृणमूल के कई सदस्यों ने चटर्जी की बात का लगातार विरोध किया और इस मुद्दे पर टीका-टिप्पणी जारी रखी.
इसी बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, लोकसभा को बंगाल विधानसभा नहीं बनाइए. जो विधेयक (सदन में) है, उस पर चर्चा करें. विधेयक से बाहर चर्चा नहीं करें. चर्चा के दौरान चटर्जी ने कहा कि बंगाल में जिन चिटफंड कंपनियों ने लोगों से धोखाधड़ी की है उसके मालिकों की संपत्ति जब्त की जानी चाहिए.
उन्होंने आरोप लगाया कि बंगाल में चिटफंड एक परिवार की कंपनी है. उन्होंने दावा किया, पूरी तृणमूल कांग्रेस इसमें (चिटफंड घोटाले में) शामिल है. प्रधानमंत्री को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए.