नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग की सख्ती के बावजूद आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को पार्टियां चुनाव मैदान में उतार रही हैं. हाल ही में संपन्न बिहार विधानसभा चुनाव में कुल 1197 उम्मीदवार आपराधिक पृष्ठभूमि के थे, जिनमें से 467 को मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों ने मैदान में उतारा था. चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों में यह जानकारी सामने आई है.
बाकी 730 उम्मीदवारों को पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त दलों ने मैदान में उतारा था या उन्होंने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा था. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, तीन चरण में हुए चुनाव में 371 महिलाओं सहित कुल 3733 उम्मीदवार मैदान में थे.
कोविड-19 मानदंडों का उल्लंघन
चुनाव आयोग द्वारा यहां उपलब्ध कराए गए आंकड़ों और बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के अनुसार, कोविड-19 मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए विभिन्न नेताओं और उम्मीदवारों की रैलियों और सभाओं के आयोजकों के खिलाफ 156 मामले दर्ज किए गए हैं.
एक अधिकारी ने बताया कि आयोजकों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए, क्योंकि उन्होंने रैलियों या बैठकों को आयोजित करने की अनुमति मांगी थी, जिसके लिए स्वास्थ्य दिशानिर्देशों का पालन करना अनिवार्य था. बिहार विधानसभा चुनाव कोरोना वायरस महामारी के बीच होने वाला पहला बड़ा चुनाव था. कुल सात करोड़ में से चार करोड़ से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया.
सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे आदेश
इस साल फरवरी में उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद, चुनाव आयोग ने मार्च में राजनीतिक दलों को यह बताने के लिए कहा था कि उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को क्यों चुना. बिहार विधानसभा चुनाव पहला ऐसा चुनाव था, जिसमें पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों से जुड़ी ऐसी जानकारियां सार्वजनिक की थीं.
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