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बिहार चुनाव : लोजपा के कारण जेडीयू-बीजेपी की सियासत में 'चिराग' तले अंधेरा ! - chirag paswan and suspicion of nda

बिहार चुनाव में कई रंग देखने को मिल रहे हैं, जो कभी एनडीए के खिलाफ खड़े थे वो आज साथ में हैं, जो कभी चुनाव प्रचार कराने के लिए अपने क्षेत्र में ले जाया करते थे आज वो विरोधी बने बैठे हैं. चिराग पासवान का मोदी प्रेम देखकर अब तो जेडीयू का शक संदेह में बदल गया है. सधे लहजे में सवाल किसी से पूछे जा रहे हैं और जवाब हर कोई दे रहा है.

जेडीयू-बीजेपी की सियासत
जेडीयू-बीजेपी की सियासत
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Published : Oct 16, 2020, 4:20 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव का प्रचार अपने चरम पर है. ऐसे में प्रदेश की सियासत पल-पल अपना रंग बदल रही है, जो कभी नीतीश के खिलाफ थे आज एनडीए के साथ जुड़कर चुनाव मैदान में हैं. हम के अध्यक्ष जीतन राम मांझी हों या फिर वीआईपी मुखिया मुकेश सहनी आज एनडीए के साथ एक मंच पर खड़े हैं.

चुनाव में एलजेपी की स्थिति भले ही बीजेपी के लिए राहत देने वाली लगती है, लेकिन जेडीयू के खिलाफ मैदान में खड़े उम्मीदवार सियासी संघर्ष की दासतां कहते नजर आ रहे हैं. चिराग पासवान का मोदी प्रेम देखकर अब तो जेडीयू का शक संदेह में बदल गया है. सधे लहजे में सवाल किसी से पूछे जा रहे हैं और जवाब हर कोई दे रहा है.

पासवान के स्टैंड से जेडीयू को संदेह
चिराग पासवान के स्टैंड से जेडीयू को अब संदेह पैदा होने लगा है. अभी तक इसे सियासी गलियारे में एलजेपी-बीजेपी की साठ-गांठ कयास के तौर पर देखी जा रही है, लेकिन जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक चौधरी ने इस कयास पर मुहर लगा दी है. उन्होंने सवाल तो चिराग पासवान से पूछा लेकिन सफाई बीजेपी के नेता देते फिर रहे हैं. यानी कहीं न कहीं जेडीयू ने निशाना सही जगह पर लगाया है !

जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक चौधरी का सवाल.

'चार महीनों में ऐसा क्या हो गया'
चिराग पासवान के लिए जो सवाल जेडीयू ने उछाला है उसके मायने सियासी हलचल पैदा करने वाले हैं- अशोक चौधरी ने कहा आखिर इन चार महीनों में ऐसा क्या हो गया कि एलजेपी नीतीश के विरोध में उतरी हुई है, जबकि 2019 के चुनाव में खुद चिराग पासवान ने अपने क्षेत्र में नीतीश से प्रचार करवाया. दिल्ली विधानसभा इलेक्शन में बिहार की 'निश्चय योजना', 'हर घर नल जल योजना' का बखान किया और अब उनकी सोच भी विरोधी हो गई है क्यों?

आखिर इन चार महीनों में ऐसा क्या हो गया कि एलजेपी नीतीश के विरोध में उतरी हुई है, जबकि 2019 के चुनाव में खुद चिराग पासवान ने अपने क्षेत्र में नीतीश से प्रचार करवाया था. दिल्ली विधानसभा इलेक्शन में बिहार की 'निश्चय योजना', 'हर घर नल जल योजना' का बखान किया और अब उनकी सोच भी विरोधी हो गई है क्यों? इसका जवाब चिराग को देना चाहिए- अशोक चौधरी, कार्यकारी अध्यक्ष, जेडीयू

इस मुद्दे से है जेडीयू-एलजेपी में अदावत
जेडीयू ने सवाल पूछा और जवाब भी एलजेपी की ओर से तुरंत आया. चिराग पासवान ने सीट बंटवारे को लेकर एनडीए से अलग होने की बात खारिज कर दी है. चिराग पासवान ने आरोप लगाया कि सीएम नीतीश कुमार ने महादलितों के उपवर्ग बना दिए, जिसकी वजह से दलित समुदाय को काफी नुकसान है. चिराग ने कहा कि नीतीश ने पिता रामविलास पासवान के साथ अहंकारपूर्ण व्यवहार किया और पिछले लोकसभा चुनाव में लोजपा के प्रत्याशियों को हराने के लिए काम किया था.

2015 के अनुभवों से सतर्क है भाजपा
कोरोना काल में चुनाव है, ऐसे में सत्ता के लिए प्रचार कम सियासत ज्यादा हो रही है. बिहार में दो बड़ी पार्टियों, भाजपा-जेडीयू के बीच जो शक पल रहा था, वो अब संदेह की शक्ल ले चुका है. सवाल कई हैं, 2015 के अनुभवों को देखते हुए भाजपा भी सतर्क है. ऐसे हालात से निपटने के लिए जो राजनीतिक उठा पटक दिख रही है, उसे भाजपा के प्लान 'बी' के तौर पर देखा जा रहा है. चिराग पासवन को लेकर एनडीए में खटपट की नौबत भी आ सकती है, इसके संकेत भी मिलने लगे हैं.

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव का प्रचार अपने चरम पर है. ऐसे में प्रदेश की सियासत पल-पल अपना रंग बदल रही है, जो कभी नीतीश के खिलाफ थे आज एनडीए के साथ जुड़कर चुनाव मैदान में हैं. हम के अध्यक्ष जीतन राम मांझी हों या फिर वीआईपी मुखिया मुकेश सहनी आज एनडीए के साथ एक मंच पर खड़े हैं.

चुनाव में एलजेपी की स्थिति भले ही बीजेपी के लिए राहत देने वाली लगती है, लेकिन जेडीयू के खिलाफ मैदान में खड़े उम्मीदवार सियासी संघर्ष की दासतां कहते नजर आ रहे हैं. चिराग पासवान का मोदी प्रेम देखकर अब तो जेडीयू का शक संदेह में बदल गया है. सधे लहजे में सवाल किसी से पूछे जा रहे हैं और जवाब हर कोई दे रहा है.

पासवान के स्टैंड से जेडीयू को संदेह
चिराग पासवान के स्टैंड से जेडीयू को अब संदेह पैदा होने लगा है. अभी तक इसे सियासी गलियारे में एलजेपी-बीजेपी की साठ-गांठ कयास के तौर पर देखी जा रही है, लेकिन जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक चौधरी ने इस कयास पर मुहर लगा दी है. उन्होंने सवाल तो चिराग पासवान से पूछा लेकिन सफाई बीजेपी के नेता देते फिर रहे हैं. यानी कहीं न कहीं जेडीयू ने निशाना सही जगह पर लगाया है !

जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक चौधरी का सवाल.

'चार महीनों में ऐसा क्या हो गया'
चिराग पासवान के लिए जो सवाल जेडीयू ने उछाला है उसके मायने सियासी हलचल पैदा करने वाले हैं- अशोक चौधरी ने कहा आखिर इन चार महीनों में ऐसा क्या हो गया कि एलजेपी नीतीश के विरोध में उतरी हुई है, जबकि 2019 के चुनाव में खुद चिराग पासवान ने अपने क्षेत्र में नीतीश से प्रचार करवाया. दिल्ली विधानसभा इलेक्शन में बिहार की 'निश्चय योजना', 'हर घर नल जल योजना' का बखान किया और अब उनकी सोच भी विरोधी हो गई है क्यों?

आखिर इन चार महीनों में ऐसा क्या हो गया कि एलजेपी नीतीश के विरोध में उतरी हुई है, जबकि 2019 के चुनाव में खुद चिराग पासवान ने अपने क्षेत्र में नीतीश से प्रचार करवाया था. दिल्ली विधानसभा इलेक्शन में बिहार की 'निश्चय योजना', 'हर घर नल जल योजना' का बखान किया और अब उनकी सोच भी विरोधी हो गई है क्यों? इसका जवाब चिराग को देना चाहिए- अशोक चौधरी, कार्यकारी अध्यक्ष, जेडीयू

इस मुद्दे से है जेडीयू-एलजेपी में अदावत
जेडीयू ने सवाल पूछा और जवाब भी एलजेपी की ओर से तुरंत आया. चिराग पासवान ने सीट बंटवारे को लेकर एनडीए से अलग होने की बात खारिज कर दी है. चिराग पासवान ने आरोप लगाया कि सीएम नीतीश कुमार ने महादलितों के उपवर्ग बना दिए, जिसकी वजह से दलित समुदाय को काफी नुकसान है. चिराग ने कहा कि नीतीश ने पिता रामविलास पासवान के साथ अहंकारपूर्ण व्यवहार किया और पिछले लोकसभा चुनाव में लोजपा के प्रत्याशियों को हराने के लिए काम किया था.

2015 के अनुभवों से सतर्क है भाजपा
कोरोना काल में चुनाव है, ऐसे में सत्ता के लिए प्रचार कम सियासत ज्यादा हो रही है. बिहार में दो बड़ी पार्टियों, भाजपा-जेडीयू के बीच जो शक पल रहा था, वो अब संदेह की शक्ल ले चुका है. सवाल कई हैं, 2015 के अनुभवों को देखते हुए भाजपा भी सतर्क है. ऐसे हालात से निपटने के लिए जो राजनीतिक उठा पटक दिख रही है, उसे भाजपा के प्लान 'बी' के तौर पर देखा जा रहा है. चिराग पासवन को लेकर एनडीए में खटपट की नौबत भी आ सकती है, इसके संकेत भी मिलने लगे हैं.

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