चंडीगढ़: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने का आज आखिरी दिन है. इसी कड़ी में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने शुक्रवार को गढ़ी सांपला किलोई सीट से नामांकन किया. नामांकन से पहले कांग्रेस नेता ने एक हवन का भी आयोजन किया.
बते दें कि मौजूदा वक्त में भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा गढ़ी सांपला किलोई हलके से विधायक भी हैं. भूपेंद्र सिंह हुड्डा 2000 से ही हरियाणा विधानसभा में गढ़ी सांपला किलोई का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
गढ़ी सांपला किलोई का इतिहास
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 1982 में हरीचंद हुड्डा और 1987 में श्री कृष्ण हुड्डा से मात खाई. दोनों बार मात देने वाले प्रत्याशी लोकदल के थे. साल 1991 में कृष्णमूर्ति हुड्डा ने 23 साल बाद किलोई से कांग्रेस का परचम फहराया. उन्होंने जनता दल के श्रीकृष्ण हुड्डा को पराजित किया.1996 में किलोई एक बार फिर कांग्रेस के हाथों से न केवल फिसल गई, बल्कि वहां पार्टी तीसरे स्थान पर भी पहुंच गई. मुकाबला इनेलो और हरियाणा विकास पार्टी के बीच था. लेकिन 2000 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पहली बार यहां से जीत हासिल की और तब से लेकर अब तक वे किलोई में अंगद के पैर की तरह अपना पैर जमाए हुए हैं.हुड्डा के बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा, जो रोहतक से तीन बार सांसद रह चुके हैं उन्हें पिछले लोकसभा चुनाव में कड़ी हार का सामना करना पड़ा था.
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सतीश नांदल और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कड़ी टक्कर
आपको बता दें कि गढ़ी सांपला किलोई से बीजेपी उम्मीदवार सतीश नांदल से भूपेंद्र सिंह हुड्डा का मुकाबला रहेगा. पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा का गढ़ कही जाने वाली इस सीट पर बीजेपी की पैनी नजर है. इसी के चलते बीजेपी ने सतीश नांदल को इस सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है. क्योंकि 2014 के चुनाव में इनेलो की टिकट पर चुनाव लड़े सतीश नांदल ने ही इस सीट पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को टक्कर दी थी.
1972 में राजनीति में रखा कदम
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने साल 1972 में राजनीति में कदम रखा. राजनीतिक करियर की शुरुआत में वो ब्लॉक कांग्रेस समिति के अध्यक्ष रहे. बाद में साल 1980 से 1987 के दरम्यान वो हरियाणा प्रदेश युवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष, पंचायत समिति के अध्यक्ष और हरियाणा की पंचायत परिषद के अध्यक्ष रहे. साल 1991, 1996,1998 और 2004 के लोकसभा चुनाव में हुड्डा लगातार चुनाव जीते और चार बार लोकसभा के सदस्य बने. हरियाणा में हुड्डा की हुंकार को इस आंकड़े से समझा जा सकता है कि उन्होंने तीन लोकसभा चुनाव हरियाणा के पूर्व सीएम और पूर्व उप प्रधानमंत्री रहे चौधरी देवीलाल को हराकर जीते थे.