नई दिल्लीः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बयान देते हुए कहा था कि नेहरू ने कश्मीर मसले को सयुंक्त राष्ट्र में ले जाकर बड़ी गलती की थी. इस बयान के बाद कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई. अमित शाह के बयान का बचाव करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने कहा कि सच्चाई इतिहास में है और इतिहास को कोई मिटा नहीं सकता है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस बारे में वी के मेनन ने अपनी किताब में भी लिखा कि जब भारतीय फौज पाकिस्तान की ओर बढ़ रही थी तो कांग्रेस ने सीजफायर का एलान कर दिया और मामला संयुक्त राष्ट्र में पहुंच गया.
भाजपा प्रवक्ता ने आगे कहा कि कश्मीर मसले को जवाहर लाल नेहरू ने यूएन में ले जाकर गलती का थी और इस गलती की वजह से आज जम्मू कश्मीर में ऐसे हालात पैदा हुए हैं.
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस अपने आप इस गलती से बरी नहीं कर सकता है. जो कुछ वो इतिहास है कांग्रेस इसे मिटा नहीं सकती है. उनके एक गलत निर्णय से हमें जम्मू कश्मीर में आज ये दिन देखना पड़ रहा था.
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश के देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जम्मू कश्मीर की समस्या से निपटने के तरीको को गलत करार देते हुए कहा था कि कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र जाना बहुत बड़ी चूक थी.
शाह ने कहा कि जब 1947 में भारत को आज़ादी मिली तब तक भारत में ‘631’ रियासतें थी और उनमें से ‘630’ रियासतों को तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देखा था और एक को नेहरू ने.
उन्होंने कहा, 630 रियासतों का भारतीय संघ में विलय हो गया था लेकिन जम्मू-कश्मीर 1947 से ही एक मुद्दा बना हुआ है.
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गृह मंत्री ने कहा कि 27 अक्टूबर 1947 को भारतीय सेना कश्मीर पहुंची और पाकिस्तानी हमलावरों को हरा दिया. सेना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की तरफ बढ़ रही थी और जीत हासिल करने की कगार पर थी.
उन्होंने कहा, अचानक से तत्कालीन सरकार ने संघर्ष विराम की घोषणा कर दी. जब हम युद्ध जीतने वाले थे तब संघर्षविराम घोषित करने की क्या जरूरत थी. अगर संघर्षविराम की घोषणा नहीं की गई होती थी तो अब पाकिस्तान के कब्जे वाला क्षेत्र भी भारत का हिस्सा होता.