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कश्मीर पर UN जाना नेहरू की गलती, कांग्रेस इतिहास नहीं मिटा सकती : बीजेपी

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 29 सितबंर को बयान दिया था कि कश्मीर मसले को यूएन में ले जाकर नेहरू ने गलती की थी. उनके इस बयान को आज भाजपा ने समर्थन देते हुए कहा कि कांग्रेस इतिहास नहीं मिटा सकती है. पढ़ें पूरी खबर...

ईटीवी भारत से बात करते टॉम वडक्कन
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Published : Sep 30, 2019, 5:54 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 3:08 PM IST

नई दिल्लीः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बयान देते हुए कहा था कि नेहरू ने कश्मीर मसले को सयुंक्त राष्ट्र में ले जाकर बड़ी गलती की थी. इस बयान के बाद कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई. अमित शाह के बयान का बचाव करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने कहा कि सच्चाई इतिहास में है और इतिहास को कोई मिटा नहीं सकता है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस बारे में वी के मेनन ने अपनी किताब में भी लिखा कि जब भारतीय फौज पाकिस्तान की ओर बढ़ रही थी तो कांग्रेस ने सीजफायर का एलान कर दिया और मामला संयुक्त राष्ट्र में पहुंच गया.

ईटीवी भारत से बात करते टॉम वडक्कन

भाजपा प्रवक्ता ने आगे कहा कि कश्मीर मसले को जवाहर लाल नेहरू ने यूएन में ले जाकर गलती का थी और इस गलती की वजह से आज जम्मू कश्मीर में ऐसे हालात पैदा हुए हैं.

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस अपने आप इस गलती से बरी नहीं कर सकता है. जो कुछ वो इतिहास है कांग्रेस इसे मिटा नहीं सकती है. उनके एक गलत निर्णय से हमें जम्मू कश्मीर में आज ये दिन देखना पड़ रहा था.

बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश के देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जम्मू कश्मीर की समस्या से निपटने के तरीको को गलत करार देते हुए कहा था कि कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र जाना बहुत बड़ी चूक थी.

शाह ने कहा कि जब 1947 में भारत को आज़ादी मिली तब तक भारत में ‘631’ रियासतें थी और उनमें से ‘630’ रियासतों को तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देखा था और एक को नेहरू ने.

उन्होंने कहा, 630 रियासतों का भारतीय संघ में विलय हो गया था लेकिन जम्मू-कश्मीर 1947 से ही एक मुद्दा बना हुआ है.

पढ़ेंः अनुच्छेद 370 को निरस्त करना शहीद जवानों को प्रधानमंत्री की सच्ची श्रद्धांजलि है: शाह

गृह मंत्री ने कहा कि 27 अक्टूबर 1947 को भारतीय सेना कश्मीर पहुंची और पाकिस्तानी हमलावरों को हरा दिया. सेना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की तरफ बढ़ रही थी और जीत हासिल करने की कगार पर थी.

उन्होंने कहा, अचानक से तत्कालीन सरकार ने संघर्ष विराम की घोषणा कर दी. जब हम युद्ध जीतने वाले थे तब संघर्षविराम घोषित करने की क्या जरूरत थी. अगर संघर्षविराम की घोषणा नहीं की गई होती थी तो अब पाकिस्तान के कब्जे वाला क्षेत्र भी भारत का हिस्सा होता.

नई दिल्लीः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बयान देते हुए कहा था कि नेहरू ने कश्मीर मसले को सयुंक्त राष्ट्र में ले जाकर बड़ी गलती की थी. इस बयान के बाद कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई. अमित शाह के बयान का बचाव करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने कहा कि सच्चाई इतिहास में है और इतिहास को कोई मिटा नहीं सकता है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस बारे में वी के मेनन ने अपनी किताब में भी लिखा कि जब भारतीय फौज पाकिस्तान की ओर बढ़ रही थी तो कांग्रेस ने सीजफायर का एलान कर दिया और मामला संयुक्त राष्ट्र में पहुंच गया.

ईटीवी भारत से बात करते टॉम वडक्कन

भाजपा प्रवक्ता ने आगे कहा कि कश्मीर मसले को जवाहर लाल नेहरू ने यूएन में ले जाकर गलती का थी और इस गलती की वजह से आज जम्मू कश्मीर में ऐसे हालात पैदा हुए हैं.

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस अपने आप इस गलती से बरी नहीं कर सकता है. जो कुछ वो इतिहास है कांग्रेस इसे मिटा नहीं सकती है. उनके एक गलत निर्णय से हमें जम्मू कश्मीर में आज ये दिन देखना पड़ रहा था.

बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश के देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जम्मू कश्मीर की समस्या से निपटने के तरीको को गलत करार देते हुए कहा था कि कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र जाना बहुत बड़ी चूक थी.

शाह ने कहा कि जब 1947 में भारत को आज़ादी मिली तब तक भारत में ‘631’ रियासतें थी और उनमें से ‘630’ रियासतों को तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देखा था और एक को नेहरू ने.

उन्होंने कहा, 630 रियासतों का भारतीय संघ में विलय हो गया था लेकिन जम्मू-कश्मीर 1947 से ही एक मुद्दा बना हुआ है.

पढ़ेंः अनुच्छेद 370 को निरस्त करना शहीद जवानों को प्रधानमंत्री की सच्ची श्रद्धांजलि है: शाह

गृह मंत्री ने कहा कि 27 अक्टूबर 1947 को भारतीय सेना कश्मीर पहुंची और पाकिस्तानी हमलावरों को हरा दिया. सेना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की तरफ बढ़ रही थी और जीत हासिल करने की कगार पर थी.

उन्होंने कहा, अचानक से तत्कालीन सरकार ने संघर्ष विराम की घोषणा कर दी. जब हम युद्ध जीतने वाले थे तब संघर्षविराम घोषित करने की क्या जरूरत थी. अगर संघर्षविराम की घोषणा नहीं की गई होती थी तो अब पाकिस्तान के कब्जे वाला क्षेत्र भी भारत का हिस्सा होता.

Intro: अमित शाह के आरोपों को बीजेपी ने दोहराया है और कश्मीर मसले को बिगाड़ने की जिम्मेदारी सीधे-सीधे नेहरू के ऊपर डाली है अमित शाह ने बयान दिया था कि नेहरू ने जम्मू कश्मीर के मसले को यूएन में ले जाकर गलती की थी भाजपा ने इसी आरोप को दोहराते हुए कहा है कि यह एक ब्लंडर मिस्टेक था और यह बात कई किताबों में भी दर्ज है और इस आरोप से कांग्रेस अपने आप को बरी नहीं कर सकती साथ ही प्रियंका गांधी के आरोपों को लेकर भाजपा ने कहा यह मसला कानूनी तौर पर कोर्ट में है और इसमें इसका निर्णय न्यायपालिका करेगी


Body: बीजेपी ने एक बार फिर कश्मीर मसले के लिए कांग्रेस और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया है साथी यह भी कहा है कि अब भी कॉन्ग्रेस धारा 370 हटाने का विरोध कर रही है इतिहास में भी यही ब्लेंडर भूल की गई थी और दोबारा कांग्रेस उसे दोहरा रही है नेहरू पर आरोप लगाकर बीजेपी ने एक बार फिर विवाद को तूल दे दिया है कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता टॉम वडक्कन कहा कि यह भाजपा नहीं बल्कि कई किताबों में भी दर्ज है और कांग्रेस को इतिहास उठाकर देखना चाहिए साथी टॉम वडक्कन प्रियंका गांधी की तरफ से किए जा रहे ट्वीट का जवाब देते हुए कहा कि जहां तक मछला चिन्मयानंद का है यह मामला न्यायपालिका में है और इस पर समुचित कार्रवाई की जा रही है नेपाली का जो भी उचित हो गई उस पर फैसला देगी


Conclusion: बिहार की बाढ़ से खस्ताहाल व्यवस्था पर कांग्रेस के आरोपों का खंडन करते हुए टॉम वडक्कन ने कहा कि ऐसे समय में विपक्षी पार्टियों को सहयोग करने के बदला जब बिहार के हालात खराब है तो वह इस मसले पर राजनीति कर रहे हैं बिहार में इतनी बारिश कभी अनुमान ही नहीं लगाया जा सका था और इस वजह से हालात यह बनाई है मगर सरकार हर संभव सहायता पहुंचा रही है विपक्ष को ऐसे समय में सहयोगात्मक रवैया अपनाना चाहिए ना कि मुद्दे को का राजनीतिकरण करना चाहिए
Last Updated : Oct 2, 2019, 3:08 PM IST
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