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आया खुशहाली का पर्व बैसाखी, प्रधानमंत्री ने देशवासियों को दीं शुभकामनाएं

बैसाखी का पर्व नववर्ष के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन रवि की फसल पूरी तरह से तैयार हो जाती है इस मौके पर किसान खुशियां मनाते हैं और यह मुख्य रूप से किसानों का पर्व है. देश के अलग-अलग जगहों पर इसे अलग-अलग नामों से मनाया जाता है जैसे कि असम में बिहू, केरल में पूरम विशु और बंगाल में नबा वर्षा के नाम से लोग इसे मनाते हैं. पढे़ं विस्तार से...

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बैसाखी का पर्व
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Published : Apr 13, 2020, 2:46 PM IST

हैदराबाद : बैसाखी मुख्‍य रूप से किसानों का पर्व है. यह पंजाब, हरियाणा और आसपास के प्रदेशों का प्रमुख त्यौहार है. इस दौरान रबी की फसल पककर तैयार हो जाती है. फसल काटने के बाद किसान नए साल का जश्‍न मनाते हैं.

बता दें कि 13 अप्रैल 1699 को सिखों के दसवें और अंतिम गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में इसी दिन फसल पकने की खुशी में बैसाखी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है.

आया खुशहाली का पर्व बैसाखी

बैसाखी सिखों के नए साल का पहला दिन है. इस दिन लोग एक-दूसरे के घर जाकर बैसाखी की शुभकामनाएं देते हैं और जगह-जगह पर मेले लगते हैं.

आपको बता दें कि देश के अलग-अलग जगहों पर इसे अलग-अलग नामों से मनाया जाता है जैसे कि असम में बिहू, केरल में पूरम विशु और बंगाल में नबा वर्षा के नाम से लोग इसे मनाते हैं.

लॉकडाउन के चलते घरों में मनाया जाएगा त्यौहार

फिलहाल इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश व्‍यापी लॉकडाउन है. ऐसे में लोगों को घर में बैठकर बैसाखी मनाने के लिए अपील की गई है.

पीएम मोदी ने दी बैसाखी की शुभकामनाएं

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पीएम मोदी ने दी शुभकामनांए

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैसाखी के पावन अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि नई उमंगों से जुड़ा यह त्योहार सभी के जीवन में नई ऊर्जा और नए उत्साह का संचार करे.

पढ़ें : 13 अप्रैल : जलियांवाला बाग की दुखद घटना का साक्षी

किसानों का उत्सव है बैसाखी

बता दें कि सूर्य की स्थिति परिवर्तन के कारण इस दिन के बाद धूप तेज होने लगती है और गर्मी शुरू हो जाती है. इन गर्म किरणों से रबी की फसल पक जाती है. साथ ही अप्रैल के महीने में सर्दी पूरी तरह से खत्म हो जाती है और गर्मी का मौसम शुरू हो जाता है.

हैदराबाद : बैसाखी मुख्‍य रूप से किसानों का पर्व है. यह पंजाब, हरियाणा और आसपास के प्रदेशों का प्रमुख त्यौहार है. इस दौरान रबी की फसल पककर तैयार हो जाती है. फसल काटने के बाद किसान नए साल का जश्‍न मनाते हैं.

बता दें कि 13 अप्रैल 1699 को सिखों के दसवें और अंतिम गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में इसी दिन फसल पकने की खुशी में बैसाखी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है.

आया खुशहाली का पर्व बैसाखी

बैसाखी सिखों के नए साल का पहला दिन है. इस दिन लोग एक-दूसरे के घर जाकर बैसाखी की शुभकामनाएं देते हैं और जगह-जगह पर मेले लगते हैं.

आपको बता दें कि देश के अलग-अलग जगहों पर इसे अलग-अलग नामों से मनाया जाता है जैसे कि असम में बिहू, केरल में पूरम विशु और बंगाल में नबा वर्षा के नाम से लोग इसे मनाते हैं.

लॉकडाउन के चलते घरों में मनाया जाएगा त्यौहार

फिलहाल इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश व्‍यापी लॉकडाउन है. ऐसे में लोगों को घर में बैठकर बैसाखी मनाने के लिए अपील की गई है.

पीएम मोदी ने दी बैसाखी की शुभकामनाएं

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पीएम मोदी ने दी शुभकामनांए

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैसाखी के पावन अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि नई उमंगों से जुड़ा यह त्योहार सभी के जीवन में नई ऊर्जा और नए उत्साह का संचार करे.

पढ़ें : 13 अप्रैल : जलियांवाला बाग की दुखद घटना का साक्षी

किसानों का उत्सव है बैसाखी

बता दें कि सूर्य की स्थिति परिवर्तन के कारण इस दिन के बाद धूप तेज होने लगती है और गर्मी शुरू हो जाती है. इन गर्म किरणों से रबी की फसल पक जाती है. साथ ही अप्रैल के महीने में सर्दी पूरी तरह से खत्म हो जाती है और गर्मी का मौसम शुरू हो जाता है.

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