ETV Bharat / bharat

तमिलनाडु : चक्रवाती तूफान से वापस जीवित हुई प्रवाल शैल-श्रेणी - ब्लीचिंग इवेंट

हाल ही में आए चक्रवाती तूफानों ने जहां लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया, वहीं दूसरी ओर, कोरल रीफ और समुद्री जीवन की रक्षा की है. कोरल रीफ के बारे में और जानने के लिए तूतीकोरिन सुगंथी देवदसौन मरीन रिसर्च इंस्टीट्यूट ने एक अध्ययन किया है जिसमें कई रोचक जानकारियां मिली हैं. जानें क्या है कोरल रीफ...

coral reef
प्रवाल शैल-श्रेणी
author img

By

Published : Jun 24, 2020, 10:10 PM IST

चेन्नई : तमिलनाडु के दक्षिण पूर्वी तट क्षेत्र में स्थित मन्नार गल्फ बायोस्फियर रिजर्व में प्रवाल शैल-श्रेणी (कोरल रीफ) हैं जो ज्यादा गर्मी या अधिक तापमान (30 डिग्री सेल्सियस) के चलते जीवित नहीं रह पाते हैं. इसे ब्लीचिंग इवेंट कहते हैं. वहीं अप्रैल में जो कोरल रीफ इस ब्लीचिंग इवेंट की चपेट में आए थे अब तापमान (28.19 डिग्री सेल्सियस) कम होने से वापस जीवित हो रहे हैं.

ईटीवी भारत रिपोर्ट

कोरल रीफ के महत्व को देखते हुए, सरकार ने उसके काटे जाने और तस्करी पर प्रतिबंध लगा दिया है. बायोस्फीयर रिजर्व पुलिस विभाग भी कोरल रीफ को सुरक्षित रखने के लिए इलाके में लगातार गश्त करता है.

तूतीकोरिन सुगंथी देवदसौन मरीन रिसर्च इंस्टीट्यूट ने मन्नार गल्फ (बे) बायोस्फियर रिजर्व ट्रस्ट के वन अधिकारी मारीमुथु के मार्गदर्शन में एक अध्ययन किया है. इस अध्ययन में कोरल रीफ के बारे में कई रोचक जानकारियां मिली हैं.

सुगंथी देवदसौन मरीन रिसर्च इंस्टीट्यूट के सहायक प्रोफेसर द्रविअम ने बताया कि जब अप्रैल में तापमान 30 सेंटीग्रेड से ऊपर जाने लगता है, तो कोरल स्वाभाविक रूप से अपने सहजीवी शैवाल (zooxanthellae) को त्याग देते हैं. इस प्रकार कोरल का प्राकृतिक रंग बदल जाता है. इससे कोरल ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाते हैं. एक बार तापमान गिरने लगता है तो कोरल सहजीवी शैवाल को फिर से आकर्षित करता है और अपने प्राकृतिक रंग में वापस आ जाता है.

प्रोफेसर द्रविअम ने कहा कि यह ब्लीचिंग इवेंट अप्रैल से अगस्त महीने तक चलती है लेकिन इस साल जून महीने में तेज हवाएं और तूफान के परिणामस्वरूप तापमान में तेजी से बदलाव हुआ है, जिससे कोरल वापस जीवित हो रहे हैं.

पढ़ें :- हिमाचल प्रदेश : डीएमआर सोलन का शोध, याददाश्त बढ़ाने के लिए इजाद की कोरल मशरूम

बता दें कि मन्नार गल्फ बायोस्फियर रिजर्व 1980 के दशक में दक्षिण पूर्व एशिया का पहला बायोस्फीयर संग्रह बनाया गया. यह संग्रह तमिलनाडु के दक्षिण पूर्वी तट (रामेश्वरम-मन्नार बे- थूथुकुडी) क्षेत्र में स्थित है और लगभग 10,500 वर्ग किलोमीटर है.

चेन्नई : तमिलनाडु के दक्षिण पूर्वी तट क्षेत्र में स्थित मन्नार गल्फ बायोस्फियर रिजर्व में प्रवाल शैल-श्रेणी (कोरल रीफ) हैं जो ज्यादा गर्मी या अधिक तापमान (30 डिग्री सेल्सियस) के चलते जीवित नहीं रह पाते हैं. इसे ब्लीचिंग इवेंट कहते हैं. वहीं अप्रैल में जो कोरल रीफ इस ब्लीचिंग इवेंट की चपेट में आए थे अब तापमान (28.19 डिग्री सेल्सियस) कम होने से वापस जीवित हो रहे हैं.

ईटीवी भारत रिपोर्ट

कोरल रीफ के महत्व को देखते हुए, सरकार ने उसके काटे जाने और तस्करी पर प्रतिबंध लगा दिया है. बायोस्फीयर रिजर्व पुलिस विभाग भी कोरल रीफ को सुरक्षित रखने के लिए इलाके में लगातार गश्त करता है.

तूतीकोरिन सुगंथी देवदसौन मरीन रिसर्च इंस्टीट्यूट ने मन्नार गल्फ (बे) बायोस्फियर रिजर्व ट्रस्ट के वन अधिकारी मारीमुथु के मार्गदर्शन में एक अध्ययन किया है. इस अध्ययन में कोरल रीफ के बारे में कई रोचक जानकारियां मिली हैं.

सुगंथी देवदसौन मरीन रिसर्च इंस्टीट्यूट के सहायक प्रोफेसर द्रविअम ने बताया कि जब अप्रैल में तापमान 30 सेंटीग्रेड से ऊपर जाने लगता है, तो कोरल स्वाभाविक रूप से अपने सहजीवी शैवाल (zooxanthellae) को त्याग देते हैं. इस प्रकार कोरल का प्राकृतिक रंग बदल जाता है. इससे कोरल ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाते हैं. एक बार तापमान गिरने लगता है तो कोरल सहजीवी शैवाल को फिर से आकर्षित करता है और अपने प्राकृतिक रंग में वापस आ जाता है.

प्रोफेसर द्रविअम ने कहा कि यह ब्लीचिंग इवेंट अप्रैल से अगस्त महीने तक चलती है लेकिन इस साल जून महीने में तेज हवाएं और तूफान के परिणामस्वरूप तापमान में तेजी से बदलाव हुआ है, जिससे कोरल वापस जीवित हो रहे हैं.

पढ़ें :- हिमाचल प्रदेश : डीएमआर सोलन का शोध, याददाश्त बढ़ाने के लिए इजाद की कोरल मशरूम

बता दें कि मन्नार गल्फ बायोस्फियर रिजर्व 1980 के दशक में दक्षिण पूर्व एशिया का पहला बायोस्फीयर संग्रह बनाया गया. यह संग्रह तमिलनाडु के दक्षिण पूर्वी तट (रामेश्वरम-मन्नार बे- थूथुकुडी) क्षेत्र में स्थित है और लगभग 10,500 वर्ग किलोमीटर है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.