चेन्नई : तमिलनाडु के दक्षिण पूर्वी तट क्षेत्र में स्थित मन्नार गल्फ बायोस्फियर रिजर्व में प्रवाल शैल-श्रेणी (कोरल रीफ) हैं जो ज्यादा गर्मी या अधिक तापमान (30 डिग्री सेल्सियस) के चलते जीवित नहीं रह पाते हैं. इसे ब्लीचिंग इवेंट कहते हैं. वहीं अप्रैल में जो कोरल रीफ इस ब्लीचिंग इवेंट की चपेट में आए थे अब तापमान (28.19 डिग्री सेल्सियस) कम होने से वापस जीवित हो रहे हैं.
कोरल रीफ के महत्व को देखते हुए, सरकार ने उसके काटे जाने और तस्करी पर प्रतिबंध लगा दिया है. बायोस्फीयर रिजर्व पुलिस विभाग भी कोरल रीफ को सुरक्षित रखने के लिए इलाके में लगातार गश्त करता है.
तूतीकोरिन सुगंथी देवदसौन मरीन रिसर्च इंस्टीट्यूट ने मन्नार गल्फ (बे) बायोस्फियर रिजर्व ट्रस्ट के वन अधिकारी मारीमुथु के मार्गदर्शन में एक अध्ययन किया है. इस अध्ययन में कोरल रीफ के बारे में कई रोचक जानकारियां मिली हैं.
सुगंथी देवदसौन मरीन रिसर्च इंस्टीट्यूट के सहायक प्रोफेसर द्रविअम ने बताया कि जब अप्रैल में तापमान 30 सेंटीग्रेड से ऊपर जाने लगता है, तो कोरल स्वाभाविक रूप से अपने सहजीवी शैवाल (zooxanthellae) को त्याग देते हैं. इस प्रकार कोरल का प्राकृतिक रंग बदल जाता है. इससे कोरल ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाते हैं. एक बार तापमान गिरने लगता है तो कोरल सहजीवी शैवाल को फिर से आकर्षित करता है और अपने प्राकृतिक रंग में वापस आ जाता है.
प्रोफेसर द्रविअम ने कहा कि यह ब्लीचिंग इवेंट अप्रैल से अगस्त महीने तक चलती है लेकिन इस साल जून महीने में तेज हवाएं और तूफान के परिणामस्वरूप तापमान में तेजी से बदलाव हुआ है, जिससे कोरल वापस जीवित हो रहे हैं.
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बता दें कि मन्नार गल्फ बायोस्फियर रिजर्व 1980 के दशक में दक्षिण पूर्व एशिया का पहला बायोस्फीयर संग्रह बनाया गया. यह संग्रह तमिलनाडु के दक्षिण पूर्वी तट (रामेश्वरम-मन्नार बे- थूथुकुडी) क्षेत्र में स्थित है और लगभग 10,500 वर्ग किलोमीटर है.