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जल से जीवन : एक संत, जिसकी धुन से जिंदा हो गई दम तोड़ती नदी

जब झेलम, चेनाब, रावी, व्यास और सतलुज नदियों का बंटवारा हुआ तो अन्य नदियां भी बंट गईं. विकास ने नदियों और नहरों को गंदा कर दिया. भू-जल स्तर नीचे गया और लोगों को बीमारियां जकड़ने लगीं, लेकिन इन्हीं सब के बीच उम्मीद की किरण बनकर आए पद्म श्री से सम्मानित संत बलबीर सिंह सीचेवाल. देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

balbir singh seechewal
बलबीर सिंह सीचेवाल
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Published : Jul 31, 2020, 9:03 AM IST

Updated : Aug 1, 2020, 9:46 AM IST

चंडीगढ़ : पंजाब...इसके नाम में ही पानी है. आब का मतलब होता है जल. इतिहास इस धरती पर झेलम, चेनाब, रावी, व्यास और सतलुज नदियों की गवाही देता है. बंटवारा हुआ तो यहां की नदियां भी बंट गईं. विकास ने नदियों और नहरों को गंदा कर दिया. भू जल स्तर नीचे गया और लोगों को बीमारियां जकड़ने लगीं, लेकिन इन्हीं सब के बीच उम्मीद की किरण बनकर आए पद्म श्री से सम्मानित संत बलबीर सिंह सीचेवाल.

संत बलबीर सिंह सीचेवाल की 20 साल की मेहनत ने देश को सस्ता और सरल मॉडल दिया है. जो सरकारें न कर पाईं, वो उन्होंने जनआंदोलन के जरिए कर दिखाया. आज से करीब 20 साल पहले 15 जुलाई 2000 का वो दिन जब जालंधर की पवित्र काली वेई नदी की सफाई का जिम्मा सीचेवाल ने उठाया और मिसाल बन गए.

ईटीवी भारत रिपोर्ट

अभियान को मिला लोगों का साथ
संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने अभियान शुरू तो किया, लेकिन ये राह इतनी आसान नहीं थी. काली वेई नदी में वे खुद उतरे और जंगली बूटी को बाहर निकालने का काम शुरू कर दिया. ये देखकर दर्जनों गांव के लोगों ने इस अभियान में जुड़ने का फैसला लिया और जो नतीजा निकला वो आज सबके सामने है.

वाटर लेवल बढ़ाना था मिशन
काली वेई नदी को साफ और सुंदर रूप देने के बाद संत सीचेवाल का अगला मिशन था गंदे पानी को फिर से उपयोग के लायक बनाना और वाटर लेवल ऊपर लाना. इसके लिए उन्होंने सुलतानपुर लोधी ड्रेन की रेत तक खुदाई की और इसके माध्यम से बारिश के पानी को संचित करने का मॉडल बनाया. ये वो मॉडल था, जिससे बारिश का पानी रिचार्ज होता था.

कुओं के जरिए पानी को संरक्षित करने की शुरुआत
गंदे पानी के लिए उन्होंने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का आह्वान किया. इसके बाद कई गांवों में ऐसे प्लांट लग गए और गंदे पानी को साफ करके उसका इस्तेमाल दोबारा खेती में होने लगा. कुओं के जरिए पानी को संरक्षित करने की शुरुआत भी उन्होंने अपने गांव सीचेवाल से की, जो धीरे-धीरे सैकड़ों गांवों और कस्बों में शुरू हुई. इसमें पानी को तालाबों में इकट्ठा करने से पहले कुओं के जरिए साफ किया जाता है. पानी को देसी तकनीक के साथ ट्रीट किया जाता है, बिना किसी मशीनरी के.

खेतों तक पहुंचता है पानी
पहले कुएं में ठोस कचरा जमा होता है, दूसरे कुएं में पानी उपर तैरने वाली चीजें इकट्ठा हो जाती हैं और तीसरे कुएं तक कुछ हद तक साफ पानी पहुंचता है और यही पानी बड़े तालाब में एकत्र होता है, जो सीमेंट के भूमिगत पाइपों के माध्यम से खेतों तक पहुंचता है.

पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने की थी तारीफ
17 अगस्त, 2006 को तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम खुद सीचेवाल के मॉडल को देखने आए थे. उन्होंने काली वेई नदी को साफ करने और जल संरक्षण को नोबल कार्य बताया था.

इतना ही नहीं संत सीचेवाल के मॉडल को देखने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी सीचेवाल का दौरा कर चुके हैं.

पद्म श्री से नवाजे जा चुके हैं सीचेवाल
काली वेई नदी से शुरू हुई संत सीचेवाल की कार सेवा 20 वर्षों में सतलज नदी तक पहुंच कर एक क्रांतिकारी इतिहास रच चुकी है. उनके इस नेक कार्य को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री से नवाजा था.

चंडीगढ़ : पंजाब...इसके नाम में ही पानी है. आब का मतलब होता है जल. इतिहास इस धरती पर झेलम, चेनाब, रावी, व्यास और सतलुज नदियों की गवाही देता है. बंटवारा हुआ तो यहां की नदियां भी बंट गईं. विकास ने नदियों और नहरों को गंदा कर दिया. भू जल स्तर नीचे गया और लोगों को बीमारियां जकड़ने लगीं, लेकिन इन्हीं सब के बीच उम्मीद की किरण बनकर आए पद्म श्री से सम्मानित संत बलबीर सिंह सीचेवाल.

संत बलबीर सिंह सीचेवाल की 20 साल की मेहनत ने देश को सस्ता और सरल मॉडल दिया है. जो सरकारें न कर पाईं, वो उन्होंने जनआंदोलन के जरिए कर दिखाया. आज से करीब 20 साल पहले 15 जुलाई 2000 का वो दिन जब जालंधर की पवित्र काली वेई नदी की सफाई का जिम्मा सीचेवाल ने उठाया और मिसाल बन गए.

ईटीवी भारत रिपोर्ट

अभियान को मिला लोगों का साथ
संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने अभियान शुरू तो किया, लेकिन ये राह इतनी आसान नहीं थी. काली वेई नदी में वे खुद उतरे और जंगली बूटी को बाहर निकालने का काम शुरू कर दिया. ये देखकर दर्जनों गांव के लोगों ने इस अभियान में जुड़ने का फैसला लिया और जो नतीजा निकला वो आज सबके सामने है.

वाटर लेवल बढ़ाना था मिशन
काली वेई नदी को साफ और सुंदर रूप देने के बाद संत सीचेवाल का अगला मिशन था गंदे पानी को फिर से उपयोग के लायक बनाना और वाटर लेवल ऊपर लाना. इसके लिए उन्होंने सुलतानपुर लोधी ड्रेन की रेत तक खुदाई की और इसके माध्यम से बारिश के पानी को संचित करने का मॉडल बनाया. ये वो मॉडल था, जिससे बारिश का पानी रिचार्ज होता था.

कुओं के जरिए पानी को संरक्षित करने की शुरुआत
गंदे पानी के लिए उन्होंने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का आह्वान किया. इसके बाद कई गांवों में ऐसे प्लांट लग गए और गंदे पानी को साफ करके उसका इस्तेमाल दोबारा खेती में होने लगा. कुओं के जरिए पानी को संरक्षित करने की शुरुआत भी उन्होंने अपने गांव सीचेवाल से की, जो धीरे-धीरे सैकड़ों गांवों और कस्बों में शुरू हुई. इसमें पानी को तालाबों में इकट्ठा करने से पहले कुओं के जरिए साफ किया जाता है. पानी को देसी तकनीक के साथ ट्रीट किया जाता है, बिना किसी मशीनरी के.

खेतों तक पहुंचता है पानी
पहले कुएं में ठोस कचरा जमा होता है, दूसरे कुएं में पानी उपर तैरने वाली चीजें इकट्ठा हो जाती हैं और तीसरे कुएं तक कुछ हद तक साफ पानी पहुंचता है और यही पानी बड़े तालाब में एकत्र होता है, जो सीमेंट के भूमिगत पाइपों के माध्यम से खेतों तक पहुंचता है.

पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने की थी तारीफ
17 अगस्त, 2006 को तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम खुद सीचेवाल के मॉडल को देखने आए थे. उन्होंने काली वेई नदी को साफ करने और जल संरक्षण को नोबल कार्य बताया था.

इतना ही नहीं संत सीचेवाल के मॉडल को देखने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी सीचेवाल का दौरा कर चुके हैं.

पद्म श्री से नवाजे जा चुके हैं सीचेवाल
काली वेई नदी से शुरू हुई संत सीचेवाल की कार सेवा 20 वर्षों में सतलज नदी तक पहुंच कर एक क्रांतिकारी इतिहास रच चुकी है. उनके इस नेक कार्य को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री से नवाजा था.

Last Updated : Aug 1, 2020, 9:46 AM IST
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