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कोरोना वायरस : लॉकडाउन में परेशान खेतिहर मजदूर, तंगहाल हुई जिंदगी - लॉकडाउन में परेशान खेतिहर मजदूर

ऑल इंडिया लॉकडाउन का सबसे अधिक प्रभाव अगर किसी पर पड़ा है, तो वह है देश के अन्नदाता और दिहाड़ी मजदूर. यह मजदूर रोज कमाने और खाने का काम करते हैं लेकिन लॉकडाउन की वजह से इनको अब काम मिलना बंद हो गया है, तो इन्होंने खेतों में काम करना शुरू कर दिया है. लेकिन अब इनकी कमाई उतनी नहीं हो पाती है, जितनी पहले हुआ करती थी. इस बीच ईटीवी भारत ने जयपुर के खेतों में जाकर इन खेतिहर मजदूरों की स्थिति जानी.

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लॉकडाउन में परेशान खेतिहर मजदूर
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Published : Apr 6, 2020, 5:09 PM IST

जयपुर : कोरोना वायरस महामारी से बचाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च से लॉकडाउन की घोषणा की थी, लेकिन अचानक लगाए गए इस लॉकडाउन ने पूरे देश को उलट-पलट कर रख दिया. सबसे ज्यादा अगर किसी पर इसका असर हो रहा है, तो वह हैं देश के किसान और दिहाड़ी मजदूर. इन मजदूरों को अब खाने तक के लाले पड़ गए हैं. ऐसे ही कुछ मजदूरों की स्थिति जानने ईटीवी भारत की टीम शहर से सटे श्री किशनपुरा गांव पहुंची, जहां लावणी करते हुए किसान यानी फसल काट रहे खेतिहर मजदूरों से हमने बातचीत की.

घर का खर्च चलाना हुआ मुश्किल
दिहाड़ी मजदूरों के मुताबिक बाहर काम मिलना बंद क्या हुआ. उन्हें औने-पौने दाम पर खेतों में आकर काम करना पड़ रहा है. इन मजदूरों के मुताबिक उन्हें रोजाना 500 रुपए मिल जाया करते थे लेकिन अब खेतों में महज 250 से 300 रुपए ही मिल पाता है. ऐसे में हर दिन घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया है. यहां पर सरकार की ओर से खाने की व्यवस्था कराने के सारे वादे झूठे साबित हो रहे हैं.

लॉकडाउन में परेशान खेतीहर मजदूर

नहीं मिल रही कोई सरकारी सुविधा
दिहाड़ी मजदूरों के मुताबिक शहर में न जाने कितनी स्कीमों की बात सरकार करती है लेकिन हम तक ऐसी कोई भी सुविधा नहीं पहुंच रही है. न तो यहां अभी तक कोई उनके हालात जानने पहुंचा है और न ही उन तक कोई राशन पहुंचाने वाला आया.

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खेतों में लावणी का काम करती महिला

यह भी पढ़ें : लॉक डाउन: जयपुर में दुकानों और मंडियों में अभी भी जनता की भीड़ उमड़ रही

इन मजदूरों के मुताबिक उन्हें यह भी पता नहीं है कि लॉकडाउन कब तक चलेगा और उन पर कब तक तंगहाली के बादल मंडराते रहेंगे.कल को अगर फाकाकशी के हालात हुए, तो क्या किसी रहनुमा की उन पर नजर पड़ेगी. खेतिहर मजदूरों की ख्वाहिश यही है कि जल्द से जल्द सबकी बेहतर सेहत के साथ हालात पटरी पर लौट आए, तो उनके अच्छे दिनों की तस्वीर साकार होगी.

नहीं मिल रही कोई सरकारी सुविधा

कब छटेंगे संकट के बादल
लॉकडाउन की समय अवधि को लेकर कई तरह के विचारों के बीच इन किसानों के लिए यह सबसे बड़ा सवाल है कि कब बेहतर होकर तस्वीर पहले वाला रूप लेगी. कब मजदूरों को दैनिक काम मिलेगा और क्या बाजार पर कोई आर्थिक संकट के बादल होंगे या एक उजली तस्वीर भी सामने आएगी. फिलहाल सब एक होकर कोरोना के इस महा संकट से उबरने की कोशिश कर रहे हैं.

जयपुर : कोरोना वायरस महामारी से बचाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च से लॉकडाउन की घोषणा की थी, लेकिन अचानक लगाए गए इस लॉकडाउन ने पूरे देश को उलट-पलट कर रख दिया. सबसे ज्यादा अगर किसी पर इसका असर हो रहा है, तो वह हैं देश के किसान और दिहाड़ी मजदूर. इन मजदूरों को अब खाने तक के लाले पड़ गए हैं. ऐसे ही कुछ मजदूरों की स्थिति जानने ईटीवी भारत की टीम शहर से सटे श्री किशनपुरा गांव पहुंची, जहां लावणी करते हुए किसान यानी फसल काट रहे खेतिहर मजदूरों से हमने बातचीत की.

घर का खर्च चलाना हुआ मुश्किल
दिहाड़ी मजदूरों के मुताबिक बाहर काम मिलना बंद क्या हुआ. उन्हें औने-पौने दाम पर खेतों में आकर काम करना पड़ रहा है. इन मजदूरों के मुताबिक उन्हें रोजाना 500 रुपए मिल जाया करते थे लेकिन अब खेतों में महज 250 से 300 रुपए ही मिल पाता है. ऐसे में हर दिन घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया है. यहां पर सरकार की ओर से खाने की व्यवस्था कराने के सारे वादे झूठे साबित हो रहे हैं.

लॉकडाउन में परेशान खेतीहर मजदूर

नहीं मिल रही कोई सरकारी सुविधा
दिहाड़ी मजदूरों के मुताबिक शहर में न जाने कितनी स्कीमों की बात सरकार करती है लेकिन हम तक ऐसी कोई भी सुविधा नहीं पहुंच रही है. न तो यहां अभी तक कोई उनके हालात जानने पहुंचा है और न ही उन तक कोई राशन पहुंचाने वाला आया.

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खेतों में लावणी का काम करती महिला

यह भी पढ़ें : लॉक डाउन: जयपुर में दुकानों और मंडियों में अभी भी जनता की भीड़ उमड़ रही

इन मजदूरों के मुताबिक उन्हें यह भी पता नहीं है कि लॉकडाउन कब तक चलेगा और उन पर कब तक तंगहाली के बादल मंडराते रहेंगे.कल को अगर फाकाकशी के हालात हुए, तो क्या किसी रहनुमा की उन पर नजर पड़ेगी. खेतिहर मजदूरों की ख्वाहिश यही है कि जल्द से जल्द सबकी बेहतर सेहत के साथ हालात पटरी पर लौट आए, तो उनके अच्छे दिनों की तस्वीर साकार होगी.

नहीं मिल रही कोई सरकारी सुविधा

कब छटेंगे संकट के बादल
लॉकडाउन की समय अवधि को लेकर कई तरह के विचारों के बीच इन किसानों के लिए यह सबसे बड़ा सवाल है कि कब बेहतर होकर तस्वीर पहले वाला रूप लेगी. कब मजदूरों को दैनिक काम मिलेगा और क्या बाजार पर कोई आर्थिक संकट के बादल होंगे या एक उजली तस्वीर भी सामने आएगी. फिलहाल सब एक होकर कोरोना के इस महा संकट से उबरने की कोशिश कर रहे हैं.

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