रांचीः झारखंड विकास मोर्चा सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी के निर्देश के बाद पार्टी विधायक प्रदीप यादव को विधायक दल के नेता पद से शुक्रवार को हटा दिया गया है. साथ ही महागठबंधन में शामिल कांग्रेस की ओर से पार्टी के विधायकों को अपने पाले में लाने के प्रयास को गलत बताते हुए हेमंत सरकार से जेवीएम ने समर्थन वापस ले लिया है.
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विधायक दल के नेता हटा दिया गया
इसकी जानकारी झाविमो के महासचिव सरोज सिंह ने पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दी. उन्होंने कहा कि झारखंड विकास मोर्चा ने यूपीए फोल्डर को 24 दिसंबर को अपना समर्थन दिया था, लेकिन जिस तरह से सरकार में शामिल कांग्रेस पार्टी की ओर से उनके विधायकों को अपने पाले में लाने का प्रयास किया जा रहा है वह कहीं से उचित नहीं है. इसे ध्यान में रखते हुए पार्टी सुप्रीमो के निर्देश के बाद हेमंत सरकार से समर्थन वापस ले लिया गया है.
इसके साथ ही प्रदीप यादव को विधायक दल के नेता के पद से तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है. इसकी जानकारी विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री को दे दी गई है. हालांकि प्रदीप यादव को विधायक दल के नेता के पद से हटाने की वजह को साफ नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि पार्टी सुप्रीमो के निर्देश के बाद यह कार्रवाई की गई है.
झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा में पार्टी प्रमुख बाबूलाल मरांडी समेत झारखंड विकास मोर्चा के तीन विधायक निर्वाचित हुए थे जिनमें से मांडर के विधायक बंधू तिर्की को पार्टी ने दो दिनों पूर्व पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निष्कासित कर दिया था. विधानसभा में अब झाविमो के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी समेत दो विधायक शेष हैं.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आज लिखे अपने पत्र में बाबूलाल मरांडी ने कहा, 'हमारी झाविमो ने 24 दिसंबर को आपके नेतृत्व में संप्रग गठबंधन सरकार को बिना शर्त समर्थन देने के लिए पत्र लिखा था.' मरांडी ने आगे लिखा है, 'संप्रग गठबंधन में शामिल कांग्रेस पार्टी ही हमारी पार्टी के विधायकों को तोड़कर अपने दल में शामिल कराने के लिए प्रयासरत हैं. इस प्रकार का समाचार मीडिया में आया है.'
मरांडी ने कहा है, 'इस परिस्थिति में हमारी पार्टी समर्थन के मुद्दे पर पुनर्विचार करते हुए आपके नेतृत्व में चल रही संप्रग गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेती है.' नवंबर-दिसंबर 2019 में हुए झारखंड विधानसभा चुनावों में 81 सदस्यीय विधानसभा में झाविमो के तीन विधायक चुनाव जीत कर आए थे जबकि सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा को 30, उसकी सहयोगी कांग्रेस को 16 और राजद को एक सीट मिली थी.
अतः बहुमत के लिए आवश्यक 41 विधायकों से अधिक 47 विधायकों का समर्थन सरकार के पास है जिसके चलते झाविमो के निर्णय के कारण राज्य सरकार की स्थिरता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
(एक्सट्रा इनपुट-भाषा)