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करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं भागवान केदारनाथ और बदरी विशाल

समुद्र तल से हजारों फीट की ऊंचाई पर बिराजमान बाबा केदारनाथ और भगवान बदरी विशाल खुद देश-दुनिया में अरबों-खरबों की संपत्ति के मालिक हैं. उत्तराखंड के चमोली जिले से लेकर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और देश के तमाम राज्यों में बाबा केदार और बदरी विशाल की भूमि है.

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Published : Dec 16, 2019, 11:46 PM IST

देहरादून: भगवान तिरुपति और साईं बाबा के साथ-साथ महाराष्ट्र के सिद्धिविनायक गणपति की चर्चा हर बार उनके खजाने को लेकर होती है. लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है कि उत्तराखंड में स्थापित बदरीनाथ और केदारनाथ भगवान के पास कितना बड़ा खजाना हो सकता है.

ईटीवी भारत आपको बताने जा रहा है कि समुद्र तल से हजारों फीट की ऊंचाई पर विराजमान बाबा केदारनाथ और भगवान बदरी विशाल खुद देश-दुनिया में अरबों-खरबों की संपत्ति के मालिक हैं.

उत्तराखंड के चमोली जिले से लेकर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और देश के तमाम राज्यों में बाबा केदार और बदरी विशाल की भूमि है. सरकारी दस्तावेज इस बात की तस्दीक करते हैं कि बाबा केदार और बाबा बदरीनाथ दोनों ही इस लिहाज से अरबों के मालिक हैं.

बता दें कि हिमालय की गोद में बसे और प्रकृति की बेशुमार खूबसूरती को अपने में समाए हुए देवभूमि उत्तराखंड में स्थित विश्व विख्यात बाबा केदारनाथ और भगवान बदरी विशाल के दर्शन करने का सिलसिला सदियों से चला आ रहा है.

दर्शन करने वाले तमाम श्रद्धालुओं में कुछ ऐसे भक्त भी रहे हैं, जिन्होंने भगवान के दर्शन करने के बाद अपनी भूमि को बाबा के नाम दान करने का संकल्प लिया, ताकि इस भूमि का वास्तव में सदुपयोग किया जा सके और बाबा के भक्तों धार्मिक लिहाज से इसका लाभ प्राप्त हो सके.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

यही नहीं, ये सिलसिला लंबे समय से चला आ रहा है. यही वजह है कि आज एक नहीं बल्कि अनेकों स्थान पर भगवान के नाम अरबों रुपए की भूमि दान दी जा चुकी है, जिसकी देख-रेख बदरी-केदार मंदिर समिति करती है.उत्तराखंड के कई जिलों सहित अन्य प्रांतों के कई स्थानों पर कुल 60 ऐसे स्थान हैं जहां पर बाबा भोले नाथ और बदरीनाथ जी के नाम भू-सम्पत्तियां दस्तावेजों में दर्ज हैं. जिसमें से 31 स्थानों पर मंदिर समिति के नाम, 18 स्थानों पर श्री केदारनाथ के नाम, इसके साथ ही महाराष्ट्र के बुल्ढाना क्षेत्र में मंदिर श्री बदरी नारायण संस्थान के नाम, चमोली में प्रबंधक पब्लिक हेल्थ के नाम, कुलसारी क्षेत्र में देवालय के नाम, श्रीनगर में उत्तरप्रदेश सरकार स्वास्थ्य विभाग के नाम, पौड़ी में लक्ष्मी नारायण जी के नाम, देवप्रयाग में उत्तराखंड सरकार से स्वीकृत नजूल के नाम, टिहरी के बौराडी क्षेत्र में पुनर्वास निदेशालय के नाम, गुप्तकाशी में विश्वनाथ मंदिर के नाम, उत्तराखंड विद्यापीठ में सार्वजनिक विद्यापीठ के नाम, कालीमठ क्षेत्र में कालीमई मंदिर के नाम एक-एक भू-सम्पत्ति दर्ज है.

करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र माने जाने वाले बाबा केदारनाथ और भगवान बदरी विशाल यूं तो अपनी दया दृष्टि से हमेशा भक्तों का कल्याण करते रहते हैं. बावजूद इसके भोले बाबा और भगवान श्री हरि विष्णु जी के धाम के नाम तमाम श्रद्धालुओं ने अनेकों स्थानों पर अचल संपत्ति के रूप में भूमि दान की हुई है. जिसको लेकर अब यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि आखिर किस तरह से भूमि का संरक्षण किया जा सकता है.

धर्मस्व सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि बदरी-केदार मंदिर समिति से संपत्तियों के संबंध में जानकारी प्राप्त कर ली गई है कि बदरी-केदार मंदिर समिति के नाम पर कौन-कौन सी स्थायी और अस्थायी संपत्तियां हैं. जैसे ही उत्तराखंड में देवस्थानम बोर्ड बनेगा, उसके बाद बदरी-केदार मंदिर समिति की सारी संपत्तियां इस बोर्ड के अधीन आ जाएंगी. लेकिन उससे पहले बीकेटीसी के नाम पर जो संपत्तियां हैं उन संपत्तियों पर किसी भी प्रकार का अवैध कब्जा या विवाद न हो इसे सुनिश्चित करने के निर्देश भी बदरी-केदार मंदिर समिति को दिए गये हैं.

पढ़ें: केदारनाथ में बिछी आठ फीट मोटी बर्फ की चादर, माइनस 12 डिग्री तक लुढ़का पारा

वहींं, उत्तराखंड चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष शिव प्रसाद ममगाईं ने बताया कि बदरी-केदार मंदिर समिति की तमाम जमीनें हैं, और इन जमीनों पर कुछ जगह पर आवासीय व्यवस्था भी की गई है और यह सारी जमीनें बदरीनाथ केदारनाथ धाम आने वाले तीर्थ यात्रियों ने श्रद्धा से दान दिया है. ये जमीन न सिर्फ उत्तराखंड में हैं बल्कि देश के तमाम हिस्सों बदरी-केदार मंदिर समिति के नाम पर हैं. इन जमीनों पर बीकेटीसी काम कर रही है.

वहीं, हक-हकूकधारी जयदीप भंडारी ने बताया कि हजारों सालों से चारधाम यात्रा की परंपरा चली आ रही है, और यहां आने वाले तीर्थयात्री अपनी श्रद्धा के अनुसार जमीन दान में दे देते हैं, और यह दान में दी हुई भूमि का सारा रिकॉर्ड बदरी-केदार मंदिर समिति के पास है. और अगर इन भूमि को संग्रहित किया जाए तो इन भू-संपत्ति की लागत बहुत ज्यादा होगी.

बदरी केदार मंदिर समिति के नाम मुख्य भू-सम्पत्ति

1 - बदरीनाथ में मंदिर समिति के नाम 217 नाली और 3 मुखवा भू-संपत्ति दर्ज है।

2 - बदरीनाथ के माणा गांव में मंदिर समिति के नाम 133 नाली भू-संपत्ति दर्ज है.

3 - मौजा बामणी राजस्व ग्राम में मंदिर समिति के नाम 239 नाली भू-संपत्ति दर्ज है.

4 - जोशीमठ में मंदिर समिति के नाम 169 नाली भू-संपत्ति दर्ज है.

5 - ग्राम अणीमठ में 43 नाली भूमि मंदिर समिति के नाम दर्ज है.

6 - अलियागढ़ (बसुली सेरा) राजस्व क्षेत्र में 186 नाली मंदिर समिति के नाम दर्ज है.

7 - पनेरगाव राजस्व क्षेत्र में 70 नाली भूमि मंदिर समिति के नाम दर्ज है.

8 - जनपद देहरादून के डोभालवाला क्षेत्र में 21.74 एकड़ भूमि नान जेड ए में मंदिर समिति के नाम दर्ज है.

9 - उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 11020 वर्ग फीट भूमि मंदिर समिति के नाम दर्ज है.

10 - हसुवा फतेपुर में 5 बीघा भूमि मंदिर समिति के नाम दर्ज है.

11 - महाराष्ट्र के बुल्ढाना क्षेत्र में 17 एकड़ भूमि श्री बदरी नारायण संसथान के नाम दर्ज है.

12 - श्री केदारनाथ धाम क्षेत्र में 41 नाली भूमि श्री केदारनाथ के नाम दर्ज है.

13 - उखीमठ क्षेत्र में 38 नाली भूमि श्री केदारनाथ के नाम दर्ज है.

14 - संसारी क्षेत्र में 28 नाली भूमि श्री केदारनाथ के नाम दर्ज है.

देवभूमि उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध बदरी-केदार नाथ धाम की अरबो रूपये की भूमि की व्यवस्थाओं को जल्द ही दुरुस्त कर लिया जायेगा. इसके लिए शासन स्तर पर कसरत शुरू हो गयी है. शासन ने मंदिर समिति से अलग-अलग स्थानों पर स्थित, न सिर्फ उत्तराखंड की बल्कि अन्य प्रांतों में भी स्तिथ भूमि की सूची को बीकेटीसी से तलब कर लिया है. ताकि इस भू-सम्पत्तियों को संरक्षित किया जा सके.

देहरादून: भगवान तिरुपति और साईं बाबा के साथ-साथ महाराष्ट्र के सिद्धिविनायक गणपति की चर्चा हर बार उनके खजाने को लेकर होती है. लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है कि उत्तराखंड में स्थापित बदरीनाथ और केदारनाथ भगवान के पास कितना बड़ा खजाना हो सकता है.

ईटीवी भारत आपको बताने जा रहा है कि समुद्र तल से हजारों फीट की ऊंचाई पर विराजमान बाबा केदारनाथ और भगवान बदरी विशाल खुद देश-दुनिया में अरबों-खरबों की संपत्ति के मालिक हैं.

उत्तराखंड के चमोली जिले से लेकर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और देश के तमाम राज्यों में बाबा केदार और बदरी विशाल की भूमि है. सरकारी दस्तावेज इस बात की तस्दीक करते हैं कि बाबा केदार और बाबा बदरीनाथ दोनों ही इस लिहाज से अरबों के मालिक हैं.

बता दें कि हिमालय की गोद में बसे और प्रकृति की बेशुमार खूबसूरती को अपने में समाए हुए देवभूमि उत्तराखंड में स्थित विश्व विख्यात बाबा केदारनाथ और भगवान बदरी विशाल के दर्शन करने का सिलसिला सदियों से चला आ रहा है.

दर्शन करने वाले तमाम श्रद्धालुओं में कुछ ऐसे भक्त भी रहे हैं, जिन्होंने भगवान के दर्शन करने के बाद अपनी भूमि को बाबा के नाम दान करने का संकल्प लिया, ताकि इस भूमि का वास्तव में सदुपयोग किया जा सके और बाबा के भक्तों धार्मिक लिहाज से इसका लाभ प्राप्त हो सके.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

यही नहीं, ये सिलसिला लंबे समय से चला आ रहा है. यही वजह है कि आज एक नहीं बल्कि अनेकों स्थान पर भगवान के नाम अरबों रुपए की भूमि दान दी जा चुकी है, जिसकी देख-रेख बदरी-केदार मंदिर समिति करती है.उत्तराखंड के कई जिलों सहित अन्य प्रांतों के कई स्थानों पर कुल 60 ऐसे स्थान हैं जहां पर बाबा भोले नाथ और बदरीनाथ जी के नाम भू-सम्पत्तियां दस्तावेजों में दर्ज हैं. जिसमें से 31 स्थानों पर मंदिर समिति के नाम, 18 स्थानों पर श्री केदारनाथ के नाम, इसके साथ ही महाराष्ट्र के बुल्ढाना क्षेत्र में मंदिर श्री बदरी नारायण संस्थान के नाम, चमोली में प्रबंधक पब्लिक हेल्थ के नाम, कुलसारी क्षेत्र में देवालय के नाम, श्रीनगर में उत्तरप्रदेश सरकार स्वास्थ्य विभाग के नाम, पौड़ी में लक्ष्मी नारायण जी के नाम, देवप्रयाग में उत्तराखंड सरकार से स्वीकृत नजूल के नाम, टिहरी के बौराडी क्षेत्र में पुनर्वास निदेशालय के नाम, गुप्तकाशी में विश्वनाथ मंदिर के नाम, उत्तराखंड विद्यापीठ में सार्वजनिक विद्यापीठ के नाम, कालीमठ क्षेत्र में कालीमई मंदिर के नाम एक-एक भू-सम्पत्ति दर्ज है.

करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र माने जाने वाले बाबा केदारनाथ और भगवान बदरी विशाल यूं तो अपनी दया दृष्टि से हमेशा भक्तों का कल्याण करते रहते हैं. बावजूद इसके भोले बाबा और भगवान श्री हरि विष्णु जी के धाम के नाम तमाम श्रद्धालुओं ने अनेकों स्थानों पर अचल संपत्ति के रूप में भूमि दान की हुई है. जिसको लेकर अब यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि आखिर किस तरह से भूमि का संरक्षण किया जा सकता है.

धर्मस्व सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि बदरी-केदार मंदिर समिति से संपत्तियों के संबंध में जानकारी प्राप्त कर ली गई है कि बदरी-केदार मंदिर समिति के नाम पर कौन-कौन सी स्थायी और अस्थायी संपत्तियां हैं. जैसे ही उत्तराखंड में देवस्थानम बोर्ड बनेगा, उसके बाद बदरी-केदार मंदिर समिति की सारी संपत्तियां इस बोर्ड के अधीन आ जाएंगी. लेकिन उससे पहले बीकेटीसी के नाम पर जो संपत्तियां हैं उन संपत्तियों पर किसी भी प्रकार का अवैध कब्जा या विवाद न हो इसे सुनिश्चित करने के निर्देश भी बदरी-केदार मंदिर समिति को दिए गये हैं.

पढ़ें: केदारनाथ में बिछी आठ फीट मोटी बर्फ की चादर, माइनस 12 डिग्री तक लुढ़का पारा

वहींं, उत्तराखंड चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष शिव प्रसाद ममगाईं ने बताया कि बदरी-केदार मंदिर समिति की तमाम जमीनें हैं, और इन जमीनों पर कुछ जगह पर आवासीय व्यवस्था भी की गई है और यह सारी जमीनें बदरीनाथ केदारनाथ धाम आने वाले तीर्थ यात्रियों ने श्रद्धा से दान दिया है. ये जमीन न सिर्फ उत्तराखंड में हैं बल्कि देश के तमाम हिस्सों बदरी-केदार मंदिर समिति के नाम पर हैं. इन जमीनों पर बीकेटीसी काम कर रही है.

वहीं, हक-हकूकधारी जयदीप भंडारी ने बताया कि हजारों सालों से चारधाम यात्रा की परंपरा चली आ रही है, और यहां आने वाले तीर्थयात्री अपनी श्रद्धा के अनुसार जमीन दान में दे देते हैं, और यह दान में दी हुई भूमि का सारा रिकॉर्ड बदरी-केदार मंदिर समिति के पास है. और अगर इन भूमि को संग्रहित किया जाए तो इन भू-संपत्ति की लागत बहुत ज्यादा होगी.

बदरी केदार मंदिर समिति के नाम मुख्य भू-सम्पत्ति

1 - बदरीनाथ में मंदिर समिति के नाम 217 नाली और 3 मुखवा भू-संपत्ति दर्ज है।

2 - बदरीनाथ के माणा गांव में मंदिर समिति के नाम 133 नाली भू-संपत्ति दर्ज है.

3 - मौजा बामणी राजस्व ग्राम में मंदिर समिति के नाम 239 नाली भू-संपत्ति दर्ज है.

4 - जोशीमठ में मंदिर समिति के नाम 169 नाली भू-संपत्ति दर्ज है.

5 - ग्राम अणीमठ में 43 नाली भूमि मंदिर समिति के नाम दर्ज है.

6 - अलियागढ़ (बसुली सेरा) राजस्व क्षेत्र में 186 नाली मंदिर समिति के नाम दर्ज है.

7 - पनेरगाव राजस्व क्षेत्र में 70 नाली भूमि मंदिर समिति के नाम दर्ज है.

8 - जनपद देहरादून के डोभालवाला क्षेत्र में 21.74 एकड़ भूमि नान जेड ए में मंदिर समिति के नाम दर्ज है.

9 - उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 11020 वर्ग फीट भूमि मंदिर समिति के नाम दर्ज है.

10 - हसुवा फतेपुर में 5 बीघा भूमि मंदिर समिति के नाम दर्ज है.

11 - महाराष्ट्र के बुल्ढाना क्षेत्र में 17 एकड़ भूमि श्री बदरी नारायण संसथान के नाम दर्ज है.

12 - श्री केदारनाथ धाम क्षेत्र में 41 नाली भूमि श्री केदारनाथ के नाम दर्ज है.

13 - उखीमठ क्षेत्र में 38 नाली भूमि श्री केदारनाथ के नाम दर्ज है.

14 - संसारी क्षेत्र में 28 नाली भूमि श्री केदारनाथ के नाम दर्ज है.

देवभूमि उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध बदरी-केदार नाथ धाम की अरबो रूपये की भूमि की व्यवस्थाओं को जल्द ही दुरुस्त कर लिया जायेगा. इसके लिए शासन स्तर पर कसरत शुरू हो गयी है. शासन ने मंदिर समिति से अलग-अलग स्थानों पर स्थित, न सिर्फ उत्तराखंड की बल्कि अन्य प्रांतों में भी स्तिथ भूमि की सूची को बीकेटीसी से तलब कर लिया है. ताकि इस भू-सम्पत्तियों को संरक्षित किया जा सके.

Intro:Ready To Air.......
एक्सक्लुसिव स्टोरी---


भगवान तिरुपति और साईं बाबा के साथ-साथ महाराष्ट्र के सिद्धिविनायक गणपति की चर्चा हर बार उनके खजाने को लेकर होती है लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है कि उत्तराखंड में स्थापित बदरीनाथ और केदारनाथ भगवान के पास कितना बड़ा खजाना हो सकता है। ईटीवी भारत आपको बताने जा रहा है की समुद्र तल से हजारों फीट की ऊंचाई पर बिराजमान बाबा केदारनाथ और भगवान बदरी विशाल खुद देश-दुनिया में अरबों-खरबों की संपत्ति के मालिक हैं। उत्तराखंड के चमोली जिले से लेकर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और देश के तमाम राज्यों में बाबा केदार और बदरी विशाल की भूमि है। जी हां सरकारी दस्तावेज इस बात की तस्दीक कर रहे है कि बाबा केदार और बाबा बदरीनाथ दोनों ही इस लिहाज से अरबों के मालिक है। आखिर किन-किन स्थानों पर है भगवान बदरी-केदार की ये भूमि? देखिये ईटीवी भारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट....... 




Body:हिमालय की गोद में बसे और प्रकृति की बेशुमार खूबसूरती को अपने में समाए हुए, देवभूमि उत्तराखंड में स्थित विश्व विख्यात बाबा केदारनाथ और भगवान बदरी विशाल के दर्शन करने का सिलसिला सदियों से चला आ रहा है। दर्शन करने वाले तमाम श्रद्धालुओं में कुछ ऐसे भक्त भी रहे हैं, जिन्होंने भगवान के दर्शन करने के बाद अपनी भूमि को बाबा के नाम दान करने का संकल्प लिया, ताकि इस भूमि का वास्तव में सदुपयोग किया जा सके। और बाबा के भक्तो धार्मिक लिहाज से इसका लाभ प्राप्त हो सके। यही नहीं सिलसिला लंबे समय से चला आ रहा है। यही वजह है कि आज एक नहीं बल्कि अनेकों स्थान पर भगवान के नाम अरबो रुपए की भूमि दान दी जा चुकी है। जिसकी देख-रेख, बदरी-केदार नाथ मंदिर समिति करता है। 


उत्तराखंड के कई जिलों सहित अन्य प्रांतो के कई स्थानों पर कुल 60 ऐसे स्थान है जहा पर बाबा भोले नाथ और बदरीनाथ जी के नाम भू-सम्पत्तिया दस्तावेजों में दर्ज है। जिसमे से 31 स्थानों पर मंदिर समिति के नाम, 18 स्थानों पर श्री केदारनाथ के नाम, इसके साथ ही महाराष्ट्र के बुल्ढाना क्षेत्र में मंदिर श्री बदरी नारायण संसथान के नाम, चमोली में प्रबंधक पब्लिक हेल्थ के नाम, कुलसारी क्षेत्र में देवालय के नाम, श्रीनगर में उत्तरप्रदेश सरकार स्वास्थ्य विभाग के नाम, पौड़ी में लक्ष्मी नारायण जी के नाम, देवप्रयाग में उत्तराखंड सरकार से स्वीकृत नजूल के नाम, बैराडी क्षेत्र में पुनर्वास निदेशालय के नाम, गुप्तकाशी में विश्वनाथ मंदिर के नाम, उत्तराखंड विद्यापीठ में सार्वजनिक विद्यापीठ के नाम, कालीमठ क्षेत्र में कालीमई मंदिर के नाम एक-एक भू-सम्पत्ति दर्ज है। 


करोड़ो श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र माने जाने वाले बाबा केदारनाथ और भगवान बदरी विशाल, यू तो अपनी दया दृष्टि से हमेशा भक्तो का कल्याण करते रहते है। बावजूद इसके भोले बाबा और भगवान श्री हरि विष्णु जी के धाम के नाम तमाम श्रद्धालुओं ने अनेको स्थान पर अचल संपत्ति के रूप में भूमि दान की हुई है। जिसको लेकर अब यह सुनिश्चित किया जा रहा है की आखिर किस तरह से भूमि का संरक्षण किया जा सकता है। 


धर्मस्व सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि बद्री केदार मंदिर समिति से संपत्तियों के संबंध में जानकारी प्राप्त कर ली गई है। कि बद्री केदार मंदिर समिति के नाम पर कौन-कौन सी स्थाई और अस्थाई संपत्तियां हैं। साथ ही बताया कि जैसे ही उत्तराखंड में देवस्थानम बोर्ड बनेगा, उसके बाद बद्री-केदार मंदिर समिति की सारी संपत्तियां इस बोर्ड के अधीन आ जाएंगी। लेकिन उससे पहले बीकेटीसी के नाम पर जो संपत्तियां हैं उन संपत्तियों पर किसी भी प्रकार का अवैध कब्जा या विवाद ना हो इसे सुनिश्चित करने के निर्देश भी बद्री केदार मंदिर समिति को दिए गए है। 

बाइट - दिलीप जावलकर, धर्मस्व सचिव


वहीं उत्तराखंड चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष शिव प्रसाद ममगई ने बताया कि बदरी-केदार मंदिर समिति की तमाम जमीन है और इन जमीनों पर कुछ जगह पर आवासीय व्यवस्था भी की गई है और यह सारी जमीन है बद्रीनाथ केदारनाथ धाम आने वाले तीर्थ यात्रियों ने श्रद्धा से दान दिया है। ये जमीन ना सिर्फ उत्तराखंड में है बल्कि देश के तमाम हिस्सों बदरी-केदार मंदिर समिति के नाम पर है। और इन जमीनों पर बीकेटीसी काम कर रही है। हलाकि जब देवस्थानम बोर्ड, कानूनी तौर पर लागु हो जायेगा, इसके बाद सारी संपत्ति इसी बोर्ड के अंतर्गत आ जाएगा।

बाइट - शिव प्रसाद ममगई, उपाध्यक्ष, उत्तराखंड चारधाम विकास परिषद  

तो वही हक हकूक धारी जयदीप भंडारी ने बताया कि हजारों सालों से चारधाम यात्रा की परंपरा चली आ रही है और यहां आने वाले तीर्थयात्री अपनी श्रद्धा के अनुसार जमीन दान में दे देते हैं और यह दान में दी हुई भूमि का सारा रिकॉर्ड बदरी-केदार मंदिर समिति के पास है। और अगर इन भूमि को संग्रहित किया जाए तो इन भू-संपत्ति की लागत बहुत ज्यादा होगी।

बाइट - जयदीप भंडारी, हक-हकूक धारी 


..............बदरी केदार मंदिर समिति के नाम मुख्य भू-सम्पतिया......... 


1 - बदरीनाथ में मंदिर समिति के नाम 217 नाली और 3 मुखवा भू-संपत्ति दर्ज है। 

2 - बदरीनाथ के माणा गांव में मंदिर समिति के नाम 133 नाली भू-संपत्ति दर्ज है। 

3 -  मौजा बामणी राजस्व ग्राम में मंदिर समिति के नाम 239 नाली भू-संपत्ति दर्ज है। 

4 - जोशीमठ में  मंदिर समिति के नाम 169 नाली भू-संपत्ति दर्ज है। 

5 - ग्राम अणीमठ में 43 नाली भूमि मंदिर समिति के नाम दर्ज है। 

6 - अलियागढ़ (बसुली सेरा) राजस्व क्षेत्र में 186 नाली मंदिर समिति के नाम दर्ज है। 

7 - पनेरगाव राजस्व क्षेत्र में 70 नाली भूमि मंदिर समिति के नाम दर्ज है। 

8 - जनपद देहरादून के डोभालवाला क्षेत्र में 21.74 एकड़ भूमि नान जेड ए में मंदिर समिति के नाम दर्ज है। 

9 - उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 11020 वर्ग फीट भूमि मंदिर समिति के नाम दर्ज है।

10 - हसुवा फतेपुर में 5 बीघा भूमि मंदिर समिति के नाम दर्ज है।

11 - महाराष्ट्र के बुल्ढाना क्षेत्र में 17 एकड़ भूमि श्री बदरी नारायण संसथान के नाम दर्ज है। 

12 - श्री केदारनाथ धाम क्षेत्र में 41 नाली भूमि श्री केदारनाथ के नाम दर्ज है। 

13 - उखीमठ क्षेत्र में 38 नाली भूमि श्री केदारनाथ के नाम दर्ज है। 

14 - संसारी क्षेत्र में 28 नाली भूमि श्री केदारनाथ के नाम दर्ज है। 




Conclusion:देवभूमि उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध बदरी-केदार नाथ धाम की अरबो रूपये की भूमि की व्यवस्थाओ को जल्द ही दुरुस्त कर लिया जायेगा। इसके लिए शासन स्तर पर कसरत शुरू हो गयी है। शासन ने मंदिर समिति से अलग-अलग स्थानों पर स्तिथ, न सिर्फ उत्तराखंड की बल्कि अन्य प्रांतो में भी स्तिथ भूमि की सूचि को बीकेटीसी से तलब कर लिया है। ताकि इस भू-सम्पत्तियो को संरक्षित किया जा सके। देहरादून से ईटीवी भारत के लिए रोहित सोनी की रिपोर्ट........   


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