नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने राम मंदिर विवाद पर सुनवाई नियमित तौर पर जारी रखने की बात कही है. इसका साफ तौर पर मतलब है कि सुनवाई सोमवार से शुक्रवार तक जारी रहेगी. रोजाना सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यदि किसी वकील को हफ्ते के बीच में अवकाश चाहिए तो उसे छुट्टी दी जाएगी.
छुट्टी की बात पर उस वक्त विचार किया गया जब मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन अपनी समस्या सामने रखी. अयोध्या विवाद पर चौथे दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि हर रोज होने वाली सुनवाई में वे कोर्ट की मदद नहीं कर सकेंगे. धवन का कहना है कि हर रोज सुनवाई में मौजूद रहना संभव नहीं और ऐसे में एक हल निकाला जाए.
दस्तावेजों को पढ़ने का समय चाहिए
राजीव धवन ने दलील देते हुए कहा कि मेरा अदालत से अनुरोध है कि जल्दबाजी में कोई फैसला न लिया जाए, ये बहुत से लोगों के साथ अन्याय होगा. वहीं पांचों दिन अदालत में सुनवाई के लिए पेश होने पर कई अन्य समस्याएं भी सामने आएंगी, जैसे की इस मामले पर दलील देने वाले वकीलों को तौयारी और कई दस्तावेजों को पढ़ने का समय नहीं मिलेगा.
हाईकोर्ट का फैसला पढ़ने पर टिप्पणी
इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि बेंच में शामिल सभी जजों में से जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को छोड़ दिया जाए तो शायद ही कोई जज होगा, जिसने इस मामले पर इलाहाबाद कोर्ट में आए फैसले पर दस्तावेजों को पढ़ा हो.
छुट्टी देने पर विचार करेंगे CJI
राजीव धवन की पूरी दलील सुनने के बाद सीजेआई रंजन गोगई ने आश्वस्त किया कि वे उनकी समस्या पर जरूर विचार करेंगे. इसी दलील के बाद ये तय हुआ कि यदि किसी वकील को बीच में छुट्टी की जरूरत है तो वो दी जाएगी. ये निर्णय पांच जजों की बेंच ने सोच समझ कर लिया है.
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बकरीद का अवकाश
पांच जजों की बेंच में जस्टिस एसए बोबडे न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एसए नजीर शामिल रहे. सोमवार, 12 अगस्त को बकरीद के त्योहार के कारण कोर्ट बंद रहेगी.
जल्द फैसला चाहते हैं पक्षकार
इस मामले पर राम मंदिर पक्षकार महंत धर्मदास का कहना है कि वे जल्द से जल्द फैसला चाहते हैं. इसके लिए अगर नियमित दिनों के साथ-साथ शनिवार और रविवार को भी सुनवाई हो तो उन्हें कोई ऐतराज नहीं है. उन्होंने कहा कि दूसरा पक्ष मामले को टालने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में अगर इन दलों के पास जरूरी दस्तावेज नहीं हैं तो इनका मुकदमा लड़ना बेकार है.
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जुर्माना लगना चाहिए
बकौल धर्मदास, बिना दस्तावेज वाले इन लोगों पर जुर्माना लगाना चाहिए. यहां आए सभी समर्थक देरी होने से परेशान हो रहे हैं. हमारा विश्वास है कि कोर्ट जल्द से जल्द इस पर फैसला सुनाएगी और जिस तरह से कोर्ट चल रही है वह बिल्कुल सही है.
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बता दें, अयोध्या विवाद पर बीते चार दिनों से सुनवाई जारी है. नियमित तौर पर सोमवार से शुक्रवार हर दिन ये सुनवाई करने का फैसला लिया गया है. पांच जजों की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है. इसका मकसद जल्द से जल्द किसी नतीजे तक पहुंचना है. ये फैसला तब लिया गया जब मध्यस्थता कमिटी में शामिल सदस्य किसी नतीजे तक नहीं पहुंचे.
संविधान पीठ अयोध्या में विवादित 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला- के बीच बराबर बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर छह अगस्त से नियमित सुनवाई कर रही है.