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'आत्मनिर्भर भारत' से चीन के प्रभुत्व पर लगेगी लगाम - चीन का प्रभुत्व

कोरोना त्रासदी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत के लिए पूरे देश का आह्वान किया. इसे मेक इन इंडिया का ही अगला कदम माना जा रहा है. अगर यह सफल हुआ, तो भारत की पूरी दुनिया में साख बढ़ेगी. भारत ज्यादा से ज्यादा माल निर्यात कर सकेगा और आयात पर हमारी निर्भरता कम होगी.

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आर्थिक नजरिये से ध्वस्त देशवासियों को मजबूती देने का सपना
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Published : Jun 7, 2020, 8:03 AM IST

Updated : Jun 7, 2020, 11:26 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब पांच साल पहले मेक इन इंडिया पहल की घोषणा की थी तो इसे एक बुलंद लक्ष्य के रूप में देखा गया. अब कोरोना संकट के दौरान पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का आह्वान किया है. इसके तहत केंद्र ने विनिर्माण, मशीनरी, मोबाइल फोन-इलेक्ट्रॉनिक्स, जवाहरात-गहने, फार्मास्यूटिकल्स और कपड़ा उद्योग जैसे 10 प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की है, जो भारत को आत्मनिर्भर बना सकते हैं. केंद्र सरकार एयर कंडीशनर, फर्नीचर और फुट वियर के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 1.25 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव पर विचार कर रही है.

वास्तव में आत्मनिर्भर भारत कई इनोवेटिव प्रस्तावों के साथ आया है. इसका मकसद इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व पर लगाम लगाना है.

मोदी सरकार ने घरेलू उत्पादन का विस्तार करने के लिए पंपिंग के साथ सेमीकंडक्टर और संशोधित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 50,000 करोड़ रुपये की परियोजना शुरू की है.

पढ़ें : सीआईआई की सालाना बैठक में बोले पीएम- देश को आत्मनिर्भर बनाने का लें संकल्प

इस प्रतिष्ठित परियोजना का उद्देश्य बड़ी-बड़ी मोबाइल कंपनियों के लिए भारत को एक वैश्विक केंद्र बनाना है. इस परियोजना से 5.89 लाख करोड़ रुपये के निर्यात के अलावा 20 लाख नौकरियों का सृजन होने का अनुमान है. इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स पर राष्ट्रीय नीति (एनपीई), 2012 के प्रभाव से भारत की आर्थिक क्षमता को लाभ हुआ है. भारत की घरेलू इंडस्ट्री को स्मार्टफोन के 33 करोड़ पुर्जे बनाने में कामयाबी मिली. साल 2019 के अंत में इसका मूल्य लगभग 2.14 करोड़ रुपये था.

हर साल नई ऊंचाइयों का गवाह बन रहा है देश का इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग. पिछले साल केंद्र सरकार की सूचना के अनुसार वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग का मूल्य 136 लाख करोड़ था और भारत का हिस्सा मात्र 3.3 (4.56 लाख करोड़ रुपए) प्रतिशत था.

कोरोना के इस दौर में उद्योगपति इलेक्ट्रॉनिक्स के विनिर्माण में चीन पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए उत्सुक हैं. मोबाइल फोन के दूसरे सबसे बड़े निर्माता भारत का लक्ष्य 2025 तक पहला स्थान हासिल करना है.

हालांकि एनपीई ने इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिज़ाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (ESDM) में 2025 तक 26 लाख करोड़ रुपए सालाना टर्नओवर हासिल करने का शानदार लक्ष्य रखा था. इसमें कईं बाधाओं को दूर किया जाना अभी बाकी है.

केंद्रीय मंत्री ने स्वयं महत्वपूर्ण अवसंरचना और गुणवत्ता बिजली आपूर्ति, उच्च ब्याज दरों, अविकसित घरेलू विनिर्माण उद्योग की कमी, अन्य देशों की तुलना में भारत के खराब प्रदर्शन के लिए अपर्याप्त आरएंडडी और डिजाइन क्षमता का हवाला दिया.

इन जमीनी वास्तविकताओं के बावजूद केंद्र वित्तीय प्रोत्साहन के माध्यम से एक शानदार प्रदर्शन करने की उम्मीद में है. राष्ट्रीय नीति (एनपीई) 2019 में 5G, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, वर्चुअल रियलिटी, ड्रोन, रोबोटिक्स और फोटोनिक्स जैसे क्षेत्रों में स्टार्टअप और उभरते उद्यमों को बढ़ावा देने की परिकल्पना की गई है.

इसके अलावा, एनपीई चिप डिजाइन, चिकित्सा, मोटर वाहन और विद्युत क्षेत्रों का विस्तार करने पर केंद्रित है. जब केंद्र की रणनीति एनपीई के दृष्टिकोण से मेल खाती खाएगी, तभी भारत सतत विकास के पथ पर हो सकेगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब पांच साल पहले मेक इन इंडिया पहल की घोषणा की थी तो इसे एक बुलंद लक्ष्य के रूप में देखा गया. अब कोरोना संकट के दौरान पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का आह्वान किया है. इसके तहत केंद्र ने विनिर्माण, मशीनरी, मोबाइल फोन-इलेक्ट्रॉनिक्स, जवाहरात-गहने, फार्मास्यूटिकल्स और कपड़ा उद्योग जैसे 10 प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की है, जो भारत को आत्मनिर्भर बना सकते हैं. केंद्र सरकार एयर कंडीशनर, फर्नीचर और फुट वियर के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 1.25 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव पर विचार कर रही है.

वास्तव में आत्मनिर्भर भारत कई इनोवेटिव प्रस्तावों के साथ आया है. इसका मकसद इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व पर लगाम लगाना है.

मोदी सरकार ने घरेलू उत्पादन का विस्तार करने के लिए पंपिंग के साथ सेमीकंडक्टर और संशोधित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 50,000 करोड़ रुपये की परियोजना शुरू की है.

पढ़ें : सीआईआई की सालाना बैठक में बोले पीएम- देश को आत्मनिर्भर बनाने का लें संकल्प

इस प्रतिष्ठित परियोजना का उद्देश्य बड़ी-बड़ी मोबाइल कंपनियों के लिए भारत को एक वैश्विक केंद्र बनाना है. इस परियोजना से 5.89 लाख करोड़ रुपये के निर्यात के अलावा 20 लाख नौकरियों का सृजन होने का अनुमान है. इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स पर राष्ट्रीय नीति (एनपीई), 2012 के प्रभाव से भारत की आर्थिक क्षमता को लाभ हुआ है. भारत की घरेलू इंडस्ट्री को स्मार्टफोन के 33 करोड़ पुर्जे बनाने में कामयाबी मिली. साल 2019 के अंत में इसका मूल्य लगभग 2.14 करोड़ रुपये था.

हर साल नई ऊंचाइयों का गवाह बन रहा है देश का इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग. पिछले साल केंद्र सरकार की सूचना के अनुसार वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग का मूल्य 136 लाख करोड़ था और भारत का हिस्सा मात्र 3.3 (4.56 लाख करोड़ रुपए) प्रतिशत था.

कोरोना के इस दौर में उद्योगपति इलेक्ट्रॉनिक्स के विनिर्माण में चीन पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए उत्सुक हैं. मोबाइल फोन के दूसरे सबसे बड़े निर्माता भारत का लक्ष्य 2025 तक पहला स्थान हासिल करना है.

हालांकि एनपीई ने इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिज़ाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (ESDM) में 2025 तक 26 लाख करोड़ रुपए सालाना टर्नओवर हासिल करने का शानदार लक्ष्य रखा था. इसमें कईं बाधाओं को दूर किया जाना अभी बाकी है.

केंद्रीय मंत्री ने स्वयं महत्वपूर्ण अवसंरचना और गुणवत्ता बिजली आपूर्ति, उच्च ब्याज दरों, अविकसित घरेलू विनिर्माण उद्योग की कमी, अन्य देशों की तुलना में भारत के खराब प्रदर्शन के लिए अपर्याप्त आरएंडडी और डिजाइन क्षमता का हवाला दिया.

इन जमीनी वास्तविकताओं के बावजूद केंद्र वित्तीय प्रोत्साहन के माध्यम से एक शानदार प्रदर्शन करने की उम्मीद में है. राष्ट्रीय नीति (एनपीई) 2019 में 5G, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, वर्चुअल रियलिटी, ड्रोन, रोबोटिक्स और फोटोनिक्स जैसे क्षेत्रों में स्टार्टअप और उभरते उद्यमों को बढ़ावा देने की परिकल्पना की गई है.

इसके अलावा, एनपीई चिप डिजाइन, चिकित्सा, मोटर वाहन और विद्युत क्षेत्रों का विस्तार करने पर केंद्रित है. जब केंद्र की रणनीति एनपीई के दृष्टिकोण से मेल खाती खाएगी, तभी भारत सतत विकास के पथ पर हो सकेगा.

Last Updated : Jun 7, 2020, 11:26 AM IST
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