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अब घर बैठे कर सकते है चारधाम का दर्शन, आर्थिक रूप से भी मिलेगी छूट

लॉकडाउन के कारण चारधाम यात्रा नहीं कर सकने वाने श्रद्धालुओं को लिए खुशखबरी आई है. अब श्रद्धालु चारधाम की महिमा का लाभ घर बैठे ही ले सकते हैं. खास बात ये है कि सरकार भक्तों को विशेष पूजा के लिए आर्थिक रूप से छूट देने पर भी विचार कर रही है.

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चारधाम यात्रा
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Published : May 17, 2020, 8:51 PM IST

देहरादून : लॉकडाउन की तमाम पाबंदियों के चलते चारधाम यात्रा पर ब्रेक लगा हुआ है. भक्तों से पटे रहने वाले धामों में इन दिनों सन्नाटे के बीच धार्मिक परंपराएं पूरी की जा रही हैं. लॉकडाउन 3.O के खत्म होते-होते सरकार श्रद्धालुओं की आस्था को ध्यान में रखकर कुछ बड़े फैसलों पर विचार कर रही है. जिसमें खास बात ये है कि भक्तों को विशेष पूजा के लिए आर्थिक रूप से छूट देने पर भी विचार किया जा रहा है.

कोविड-19 ने उत्तराखंड की आर्थिक तौर पर जोरदार झटका दिया है. चारधाम यात्रा पर पाबंदी के चलते राज्य के राजस्व समेत स्थानीय रोजगार और यहां तक कि पंडा-पुजारी समाज भी प्रभावित हुए हैं. ऐसे में चारधाम में श्रद्धालुओं के पहुंचे बिना ही उनतक धामों के दर्शन और पूजा-पाठ का पुण्य पहुंचाने की कोशिशें की जा रही हैं. खबर है कि धामों में पूजा-पाठ के ऑडियो श्रद्धालुओं तक पहुंचाने का विचार किया जा रहा है. यही नहीं पूजा की बुकिंग की कीमतों को कम करने का भी विचार हो रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालु पूजा करवा सके.इसमें सरकार की तरफ से साफ कहा गया है कि मंदिर के गर्भगृह कि कोई तस्वीर नहीं दिखाई जाएगी, सिर्फ पूजा में पूजा बुक करवाने वाले का संकल्प लिया जाएगा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

हालांकि चार धाम के लिए ऑनलाइन पूजा बुकिंग का पहले से ही प्रावधान था, लेकिन महामारी के कारण ऑनलाइन पूजा व्यवस्था को मजबूत करने पर विचार हो रहा है. चारों धामों में सभी तरह की आरती, भगवान का भोग लगाने के साथ अन्य पूजा बुक की जा सकती है.

दरअसल, सरकार के इसके पीछे मंशा है कि चार धाम में काम करने वाले कर्मचारियों और पंडा पुरोहित समाज के लोगों के लिए आर्थिकी की व्यवस्था की जा सके. वहीं ऑनलाइन का मतलब जो आपने संकल्प किया है उसकी पूजा की जाएगी. इसमें श्रद्धालु को मंत्रोच्चारण का ऑडियो सुनाया जाएगा.

कोविड-19 पर भारी धार्मिंक मान्यताएं

कोरोना वायरस के खतरे के चलते पहले चारधाम यात्रा को लेकर संशय की स्थिति पैदा हुई थी लेकिन देवभूमि में धार्मिक मान्यताओं के सामने महामारी बौनी साबित हुई. शायद यही कारण था कि 26 अप्रैल को यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट खोले गए, जबकि इसके बाद 29 अप्रैल को बाबा केदार और 15 मई को भगवान बदरीनाथ के कपाट खोले गए.

पढ़ें- पौड़ी में एक बार फिर कोरोना की दस्तक, प्रवासियों ने बढ़ाई प्रशासन की मुश्किलें

पूजा बुकिंग की ये है परंपरा

देवभूमि में चारधाम तक जो श्रद्धालु नहीं पहुंच पाते हैं उनके लिए ऑनलाइन बुकिंग की भी व्यवस्था की जाती है. ऑनलाइन बुकिंग के तहत कोई भी व्यक्ति धाम में किसी पूजा या धार्मिक कर्मकांड के लिए ऑनलाइन बुकिंग करवा सकता है. इसमें बुकिंग करने वाले व्यक्ति के नाम से धाम में मौजूद पुजारी पूजा अर्चना या धार्मिक अनुष्ठान करवाते हैं. जिससे पूजा करवाने वाले श्रद्धालुओं को धाम में पहुंचे बिना ही पुण्य लाभ मिलता है.

पढ़ें- उत्तराखंड: न काष्ठ रहा न कलाकार, अंतिम सांसें गिन रही काष्ठकला

श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन बुकिंग का ब्यौरा

श्रद्धालु किसी भी धाम में पूजा और भगवान को अपनी तरफ से भोग लगाने के लिए ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं. जानकारी के अनुसार-बाबा केदार के धाम में श्रद्धालु महाभिषेक पूजा-8000 रुपये, रुद्राभिषेक-7500 रुपये, लघु रुद्राभिषेक-6000 रुपये, सौंडसपाचर -4000 रुपये में बुक करवा सकता है. वहीं, बदरीनाथ में महाभिषेक करीब 4500, लक्ष्मी पूजा और भगवान को भोग लगाने के लिए भी ऑनलाइन बुकिंग करवा सकते हैं. गंगोत्री और यमुनोत्री में भी पूजा के लिए विशेष पूजा की व्यवस्था की गई है. लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या को बढ़ाने के लिए इसमें कटौती की जा सकती है.

देहरादून : लॉकडाउन की तमाम पाबंदियों के चलते चारधाम यात्रा पर ब्रेक लगा हुआ है. भक्तों से पटे रहने वाले धामों में इन दिनों सन्नाटे के बीच धार्मिक परंपराएं पूरी की जा रही हैं. लॉकडाउन 3.O के खत्म होते-होते सरकार श्रद्धालुओं की आस्था को ध्यान में रखकर कुछ बड़े फैसलों पर विचार कर रही है. जिसमें खास बात ये है कि भक्तों को विशेष पूजा के लिए आर्थिक रूप से छूट देने पर भी विचार किया जा रहा है.

कोविड-19 ने उत्तराखंड की आर्थिक तौर पर जोरदार झटका दिया है. चारधाम यात्रा पर पाबंदी के चलते राज्य के राजस्व समेत स्थानीय रोजगार और यहां तक कि पंडा-पुजारी समाज भी प्रभावित हुए हैं. ऐसे में चारधाम में श्रद्धालुओं के पहुंचे बिना ही उनतक धामों के दर्शन और पूजा-पाठ का पुण्य पहुंचाने की कोशिशें की जा रही हैं. खबर है कि धामों में पूजा-पाठ के ऑडियो श्रद्धालुओं तक पहुंचाने का विचार किया जा रहा है. यही नहीं पूजा की बुकिंग की कीमतों को कम करने का भी विचार हो रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालु पूजा करवा सके.इसमें सरकार की तरफ से साफ कहा गया है कि मंदिर के गर्भगृह कि कोई तस्वीर नहीं दिखाई जाएगी, सिर्फ पूजा में पूजा बुक करवाने वाले का संकल्प लिया जाएगा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

हालांकि चार धाम के लिए ऑनलाइन पूजा बुकिंग का पहले से ही प्रावधान था, लेकिन महामारी के कारण ऑनलाइन पूजा व्यवस्था को मजबूत करने पर विचार हो रहा है. चारों धामों में सभी तरह की आरती, भगवान का भोग लगाने के साथ अन्य पूजा बुक की जा सकती है.

दरअसल, सरकार के इसके पीछे मंशा है कि चार धाम में काम करने वाले कर्मचारियों और पंडा पुरोहित समाज के लोगों के लिए आर्थिकी की व्यवस्था की जा सके. वहीं ऑनलाइन का मतलब जो आपने संकल्प किया है उसकी पूजा की जाएगी. इसमें श्रद्धालु को मंत्रोच्चारण का ऑडियो सुनाया जाएगा.

कोविड-19 पर भारी धार्मिंक मान्यताएं

कोरोना वायरस के खतरे के चलते पहले चारधाम यात्रा को लेकर संशय की स्थिति पैदा हुई थी लेकिन देवभूमि में धार्मिक मान्यताओं के सामने महामारी बौनी साबित हुई. शायद यही कारण था कि 26 अप्रैल को यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट खोले गए, जबकि इसके बाद 29 अप्रैल को बाबा केदार और 15 मई को भगवान बदरीनाथ के कपाट खोले गए.

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पूजा बुकिंग की ये है परंपरा

देवभूमि में चारधाम तक जो श्रद्धालु नहीं पहुंच पाते हैं उनके लिए ऑनलाइन बुकिंग की भी व्यवस्था की जाती है. ऑनलाइन बुकिंग के तहत कोई भी व्यक्ति धाम में किसी पूजा या धार्मिक कर्मकांड के लिए ऑनलाइन बुकिंग करवा सकता है. इसमें बुकिंग करने वाले व्यक्ति के नाम से धाम में मौजूद पुजारी पूजा अर्चना या धार्मिक अनुष्ठान करवाते हैं. जिससे पूजा करवाने वाले श्रद्धालुओं को धाम में पहुंचे बिना ही पुण्य लाभ मिलता है.

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श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन बुकिंग का ब्यौरा

श्रद्धालु किसी भी धाम में पूजा और भगवान को अपनी तरफ से भोग लगाने के लिए ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं. जानकारी के अनुसार-बाबा केदार के धाम में श्रद्धालु महाभिषेक पूजा-8000 रुपये, रुद्राभिषेक-7500 रुपये, लघु रुद्राभिषेक-6000 रुपये, सौंडसपाचर -4000 रुपये में बुक करवा सकता है. वहीं, बदरीनाथ में महाभिषेक करीब 4500, लक्ष्मी पूजा और भगवान को भोग लगाने के लिए भी ऑनलाइन बुकिंग करवा सकते हैं. गंगोत्री और यमुनोत्री में भी पूजा के लिए विशेष पूजा की व्यवस्था की गई है. लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या को बढ़ाने के लिए इसमें कटौती की जा सकती है.

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