मुंबई : एसोसिएशन ऑफ मेडिकल कंसल्टेंट्स (एएमसी) ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखा है, इस पत्र में विभिन्न सरकारी एवं निजी अस्पतालों में अग्रिम पंक्ति में जूझ रहे डॉक्टरों की दिक्कतें उजागर की गई हैं.
कोरोना महामारी के चलते इस लड़ाई में स्वास्थ्यकर्मी ही असंतुष्ट हैं. यह असंतोष वह बार-बार प्रशासन को पत्र लिखकर व्यक्त भी कर रहे हैं. इसके बावजूद उनकी समस्याओं का समाधान न हुआ तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है.
पत्र में डॉक्टरों द्वारा सामना किए गए कई मुद्दों को उठाया गया है जैसे कि कई फ्रंटलाइन वर्कर्स के वेतन में देरी और स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के अधिग्रहण में परिभाषित एमओयू का न होना. सात दिनों की आरओटीए प्रणाली की ड्यूटी का पालन नहीं किया जाना और ड्यूटी करने वालों को रहने और खाने को नहीं दिया जाता है.
एएमसी अध्यक्ष डॉ. दीपक बैद के अनुसार, यह आंकड़ा सिर्फ आइएमए का है, जो सिर्फ एलोपैथी डॉक्टरों का हिसाब रखता है, जबकि प्राइवेट क्लीनिक्स में प्रैक्टिस करने वाले ज्यादातर आयुर्वेद एवं होम्योपैथी के डॉक्टर हैं.
इन्हें सरकारी दबाव में अपनी क्लीनिक खोलनी पड़ रही है. इन डॉक्टरों को कोविड-19 रोगियों के परीक्षण एवं इलाज का कोई प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया है.
सरकार ने आश्र्वासन दिया था कि इन्हें दो-दो पीपीई किट एवं मास्क दिए जाएंगे, लेकिन वे भी नहीं दिए गए. यही कारण है कि यह डॉक्टर भी बड़ी संख्या में कोरोना पॉजिटिव हो रहे हैं और उनकी मृत्यु भी हो रही है, लेकिन न तो इनके इलाज की कोई व्यवस्था हो रही है न ही इनकी गिनती कोरोना से लड़ने वाले योद्धा की श्रेणी में हो पा रही है.
कोरोना से लड़ने वाले योद्धाओं की मृत्यु पर उनके लिए घोषित 50 लाख रुपये के मुआवजे पर भी इन डॉक्टरों का कोई हक नहीं माना जा रहा है.
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साथ ही पत्र में यह भी लिखा गया है कि अधिकांश सरकारी अस्पतालों में सुरक्षाकर्मियों की कमी है, सुरक्षा कर्मी गायब हैं और रिश्तेदार स्वतंत्र रूप से सीओवीआईडी -19 मरीजों के आस पास घूम रहे हैं, जिससे संक्रमण फैलने के साथ-साथ खतरा और भी ज्यादा बढ़ सकता है.
1972 में स्थापित, एएमसी मुंबई सबसे तेजी से बढ़ते एसोसिएशन ऑफ स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स में से एक है और मुंबई और इसके उपनगरों में 90 प्रतिशत अस्पताल में भर्ती होने वाली स्वास्थ्य सेवा के लिए लगभग 12 हजार मेडिकल कंसल्टेंट हैं.
राज्य में कुल कोरोना संक्रमित मामलों की संख्या 80,229 है, जिसमें 2,849 मौतें शामिल हैं और अब तक, 35,156 मरीज ठीक हो चुके हैं.