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असम : राजनीति का शिकार बने बाढ़ प्रभावित लोग

असम के नगांव जिले में सामगुरी विधानसभा क्षेत्र में लगभग 500 हिंदू बंगाली परिवार कांग्रेस और भाजपा की राजनीति के बीच फंस गए हैं. बाढ़ से इनका सब कुछ तबाह हो गया है. ये पिछले 10 सालों से झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं. राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद भी उनकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है.

assam flood
असम में बाढ़
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Published : Oct 8, 2020, 6:15 PM IST

Updated : Oct 8, 2020, 7:36 PM IST

गुवाहाटी : असम के लोगों को हर साल बाढ़ की विभीषिका का सामना करना पड़ता है. बाढ़ के कारण हर साल तटबंध वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का जीवन तबाह हो जाता है. गंदी राजनीति के कारण स्थानीय लोगों को इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है.

भाजपा और कांग्रेस दोनों इस मुद्दे पर सिर्फ राजनीति कर रहे हैं. उन्होंने समस्याओं को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है.

राजनीति का शिकार बने बाढ़ प्रभावित लोग

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोग राजनीति का विषय बन गए हैं. भाजपा के समर्थक माने जाने वाले हिंदू बंगालियों की तत्कालीन कांग्रेस सरकार में उपेक्षा का सामना करना पड़ा. अब जब भाजपा सत्ता में है तो भी उन्हें सरकार की उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि 2001 से कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री रकीबुल हुसैन सामगुरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत रहे हैं.

मध्य असम के नगांव जिले में सामगुरी विधानसभा क्षेत्र में लगभग 500 हिंदू बंगाली परिवार कांग्रेस और भाजपा की राजनीति के बीच फंस गए हैं. यहां के मौजूदा विधायक रकीबुल हुसैन ने लगभग 20 वर्षों तक बंगाली परिवारों पर कोई ध्यान नहीं दिया, क्योंकि वह भाषाई अल्पसंख्यक हैं और भाजपा पार्टी का समर्थक माना जाता है. अब असम की भाजपा सरकार भी इनकी तरफ कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है.

सामगुरी निर्वाचन क्षेत्र के लखौवा के पास भुरभांठा में विभिन्न भाषाई अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े यह लोग पिछले 10 वर्षों से प्रतिकूल परिस्थितियों में जीवन बिता रहे हैं.

भीषण बाढ़ के कारण इनके घर और फसलें तबाह हो गई हैं. जमीन के कटाव के कारण पिछले दस सालों से तटबंध पर रहने के लिए मजबूर हैं.

स्थानीय लोगों ने कहा कि हम पिछले 10 वर्षों से यहां रह रहे हैं. कटाव के दौरान उन्होंने घरों और कृषि भूमि को खो दिया था. किसी ने भी हमारी देखभाल करने की जहमत नहीं उठाई.

यह भी पढ़ें- असम छह स्थानीय समुदायों के लिए चाहता है एसटी का दर्जा : सोनोवाल

एक समय वह मूल रूप से अमीर किसान थे. इस क्षेत्र से सटे ब्रह्मपुत्र ने इन लोगों के घरों और कृषि भूमि को तबाह कर दिया है. सरकार को बार-बार ज्ञापन देने के बावजूद उनके पुनर्वास के लिए कुछ नहीं किया गया.

उन्होंने कहा कि जब हम अपनी समस्याओं को लेकर मंत्री के पास जाते हैं तो उन्हें कोई चिंता नहीं होती है. हम पूर्व मंत्री रकीबुल हुसैन से मिल चुके हैं, लेकिन हमें भाजपा समर्थक कहकर प्राचरित किया गया. अब भाजपा की सरकार है, लेकिन हमारे लिए कुछ नहीं बदला है. हम अब भी उसी हालत में जी रहे हैं.

गुवाहाटी : असम के लोगों को हर साल बाढ़ की विभीषिका का सामना करना पड़ता है. बाढ़ के कारण हर साल तटबंध वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का जीवन तबाह हो जाता है. गंदी राजनीति के कारण स्थानीय लोगों को इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है.

भाजपा और कांग्रेस दोनों इस मुद्दे पर सिर्फ राजनीति कर रहे हैं. उन्होंने समस्याओं को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है.

राजनीति का शिकार बने बाढ़ प्रभावित लोग

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोग राजनीति का विषय बन गए हैं. भाजपा के समर्थक माने जाने वाले हिंदू बंगालियों की तत्कालीन कांग्रेस सरकार में उपेक्षा का सामना करना पड़ा. अब जब भाजपा सत्ता में है तो भी उन्हें सरकार की उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि 2001 से कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री रकीबुल हुसैन सामगुरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत रहे हैं.

मध्य असम के नगांव जिले में सामगुरी विधानसभा क्षेत्र में लगभग 500 हिंदू बंगाली परिवार कांग्रेस और भाजपा की राजनीति के बीच फंस गए हैं. यहां के मौजूदा विधायक रकीबुल हुसैन ने लगभग 20 वर्षों तक बंगाली परिवारों पर कोई ध्यान नहीं दिया, क्योंकि वह भाषाई अल्पसंख्यक हैं और भाजपा पार्टी का समर्थक माना जाता है. अब असम की भाजपा सरकार भी इनकी तरफ कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है.

सामगुरी निर्वाचन क्षेत्र के लखौवा के पास भुरभांठा में विभिन्न भाषाई अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े यह लोग पिछले 10 वर्षों से प्रतिकूल परिस्थितियों में जीवन बिता रहे हैं.

भीषण बाढ़ के कारण इनके घर और फसलें तबाह हो गई हैं. जमीन के कटाव के कारण पिछले दस सालों से तटबंध पर रहने के लिए मजबूर हैं.

स्थानीय लोगों ने कहा कि हम पिछले 10 वर्षों से यहां रह रहे हैं. कटाव के दौरान उन्होंने घरों और कृषि भूमि को खो दिया था. किसी ने भी हमारी देखभाल करने की जहमत नहीं उठाई.

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एक समय वह मूल रूप से अमीर किसान थे. इस क्षेत्र से सटे ब्रह्मपुत्र ने इन लोगों के घरों और कृषि भूमि को तबाह कर दिया है. सरकार को बार-बार ज्ञापन देने के बावजूद उनके पुनर्वास के लिए कुछ नहीं किया गया.

उन्होंने कहा कि जब हम अपनी समस्याओं को लेकर मंत्री के पास जाते हैं तो उन्हें कोई चिंता नहीं होती है. हम पूर्व मंत्री रकीबुल हुसैन से मिल चुके हैं, लेकिन हमें भाजपा समर्थक कहकर प्राचरित किया गया. अब भाजपा की सरकार है, लेकिन हमारे लिए कुछ नहीं बदला है. हम अब भी उसी हालत में जी रहे हैं.

Last Updated : Oct 8, 2020, 7:36 PM IST
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