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तीन तलाक विधेयक 2014 से मुस्लिम अस्मिता पर कई हमलों का महज एक हिस्सा है: ओवैसी

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तीन तलाक विधेयक को 2014 से मुस्लिम अस्मिता पर कई हमलों का महज एक हिस्सा बताया. उन्होंने उम्मीद जताई कि ऑल इंडिया पसर्नल लॉ बोर्ड (AIMPLB) तीन तलाक संबंधी विधेयक की संवैधानिक वैधता को चुनौती देगा.

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (सौ. IANS)
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Published : Jul 31, 2019, 10:47 AM IST

हैदराबाद: AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को कहा कि तीन तलाक विधेयक को 2014 में भाजपा नीत राजग(एनडीए) सरकार के सत्ता में आने के बाद से 'मुस्लिम अस्मिता' पर हुए कई हमलों के महज एक हिस्से के रूप में देखा जाना चाहिए.

ओवैसी ने आरोप लगाया कि विधेयक मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है तथा यह उन्हें और अधिक हाशिए पर धकेलेगा.

हैदराबाद से लोकसभा सदस्य ने ट्वीट किया, 'तीन तलाक विधेयक को 2014 से मुस्लिम अस्मिता तथा नागरिकता पर हुए कई हमलों के महज एक हिस्से के रूप में देखा जाना चाहिए.'
उन्होंने कहा, 'भीड़ हिंसा, पुलिस की ज्यादती और बड़े पैमाने पर जेल में डालना हमें नहीं रोक पाएगा। संविधान में हमारा दृढ विश्वाास है. हमने अत्याचार, नाइंसाफी और अधिकारों से वंचित किये जाने को सहा है.'

उन्होंने कहा कि विधेयक जुर्म साबित करने की जिम्मेदारी मुस्लिम महिला पर डालता है और उसे गरीबी के दुष्चक्र में ले जाता है.

पढ़ें: जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग अवरुद्ध होने से अमरनाथ यात्रा स्थगित

सांसद ने कहा कि यह एक महिला को एक ऐसे व्यक्ति के साथ वैवाहिक संबंध बनाए रखने को मजबूर करेगा जो जेल में कैद है और जिसने महिला को मौखिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित किया है.

ओवैसी ने उम्मीद जताई कि ऑल इंडिया पसर्नल लॉ बोर्ड (AIMPLB) तीन तलाक संबंधी विधेयक की संवैधानिक वैधता को चुनौती देगा.

उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि एआईएमपीएलबी भारतीय संविधान के बहुलवाद और विविधता के मूल्यों को बचाने के लिए हमारी लड़ाई में इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती देगा.'

उन्होंने कहा कि कानून समाज को नहीं सुधारते हैं. अगर ऐसा होता तो लिंग चयन आधारित गर्भपात, बाल उत्पीड़न, पत्नी को छोड़ना और दहेज प्रथा इतिहास बन गए होते.

हैदराबाद: AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को कहा कि तीन तलाक विधेयक को 2014 में भाजपा नीत राजग(एनडीए) सरकार के सत्ता में आने के बाद से 'मुस्लिम अस्मिता' पर हुए कई हमलों के महज एक हिस्से के रूप में देखा जाना चाहिए.

ओवैसी ने आरोप लगाया कि विधेयक मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है तथा यह उन्हें और अधिक हाशिए पर धकेलेगा.

हैदराबाद से लोकसभा सदस्य ने ट्वीट किया, 'तीन तलाक विधेयक को 2014 से मुस्लिम अस्मिता तथा नागरिकता पर हुए कई हमलों के महज एक हिस्से के रूप में देखा जाना चाहिए.'
उन्होंने कहा, 'भीड़ हिंसा, पुलिस की ज्यादती और बड़े पैमाने पर जेल में डालना हमें नहीं रोक पाएगा। संविधान में हमारा दृढ विश्वाास है. हमने अत्याचार, नाइंसाफी और अधिकारों से वंचित किये जाने को सहा है.'

उन्होंने कहा कि विधेयक जुर्म साबित करने की जिम्मेदारी मुस्लिम महिला पर डालता है और उसे गरीबी के दुष्चक्र में ले जाता है.

पढ़ें: जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग अवरुद्ध होने से अमरनाथ यात्रा स्थगित

सांसद ने कहा कि यह एक महिला को एक ऐसे व्यक्ति के साथ वैवाहिक संबंध बनाए रखने को मजबूर करेगा जो जेल में कैद है और जिसने महिला को मौखिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित किया है.

ओवैसी ने उम्मीद जताई कि ऑल इंडिया पसर्नल लॉ बोर्ड (AIMPLB) तीन तलाक संबंधी विधेयक की संवैधानिक वैधता को चुनौती देगा.

उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि एआईएमपीएलबी भारतीय संविधान के बहुलवाद और विविधता के मूल्यों को बचाने के लिए हमारी लड़ाई में इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती देगा.'

उन्होंने कहा कि कानून समाज को नहीं सुधारते हैं. अगर ऐसा होता तो लिंग चयन आधारित गर्भपात, बाल उत्पीड़न, पत्नी को छोड़ना और दहेज प्रथा इतिहास बन गए होते.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 23:32 HRS IST




             
  • तीन तलाक विधेयक 2014 से मुस्लिम अस्मिता पर कई हमलों का महज एक हिस्सा है: ओवैसी



हैदराबाद, 30 जुलाई (भाषा) एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को कहा कि तीन तलाक विधेयक को 2014 में भाजपा नीत राजग(एनडीए) सरकार के सत्ता में आने के बाद से ‘मुस्लिम अस्मिता’ पर हुए कई हमलों के महज एक हिस्से के रूप में देखा जाना चाहिए।



ओवैसी ने आरोप लगाया कि विधेयक मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है तथा यह उन्हें और अधिक हाशिए पर धकेलेगा।



हैदराबाद से लोकसभा सदस्य ने ट्वीट किया, ‘‘ तीन तलाक विधेयक को 2014 से मुस्लिम अस्मिता तथा नागरिकता पर हुए कई हमलों के महज एक हिस्से के रूप में देखा जाना चाहिए।’’ 



उन्होंने कहा, ‘‘ भीड़ हिंसा, पुलिस की ज्यादती और बड़े पैमाने पर जेल में डालना हमें नहीं रोक पाएगा। संविधान में हमारा दृढ विश्वाास है। हमने अत्याचार, नाइंसाफी और अधिकारों से वंचित किये जाने को सहा है।’’ 



उन्होंने कहा कि विधेयक जुर्म साबित करने की जिम्मेदारी मुस्लिम महिला पर डालता है और उसे गरीबी के दुष्चक्र में ले जाता है।



सांसद ने कहा कि यह एक महिला को एक ऐसे व्यक्ति के साथ वैवाहिक संबंध बनाए रखने को मजबूर करेगा जो जेल में कैद है और जिसने महिला को मौखिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित किया है।



ओवैसी ने उम्मीद जताई कि ऑल इंडिया पसर्नल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) तीन तलाक संबंधी विधेयक की संवैधानिक वैधता को चुनौती देगा।



उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे उम्मीद है कि एआईएमपीएलबी भारतीय संविधान के बहुलवाद और विविधता के मूल्यों को बचाने के लिए हमारी लड़ाई में इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती देगा।’’ 



उन्होंने कहा कि कानून समाज को नहीं सुधारते हैं। अगर ऐसा होता तो लिंग चयन आधारित गर्भपात, बाल उत्पीड़न, पत्नी को छोड़ना और दहेज प्रथा इतिहास बन गए होते।


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