नई दिल्ली : विश्व के अधिकांश वन्यजीवों के लिए कोरोनो वायरस महामारी और लॉकडाउन एक अच्छी खबर है. हम यह बात इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जब इंसान सड़कों पर होता है तो वन्य जीव उनसे डरकर जंगल में ही रहना मुनासिब समझते हैं. मगर यहां तो महामारी ने लोगों को घर में कैद कर दिया है और जंगली जानवरों को आजाद. सबसे अच्छी बात इस लॉकडाउन की यह रही कि प्रदूषण का स्तर गिरने से मौसम सुहावना हो गया है. हां, मौसम में बदलाव देखें जा रहे हैं.
यह एक अनियोजित प्रयोग है, जो पृथ्वी को बदल रहा है. लॉकडाउन के बाद सड़क पर इंसानों की जगह जानवरों का राज चल रहा है. वह अब आए दिन इधर -उधर भटकते हुए दिख जाएंगे. मनुष्यों की आवाजाही बंद होने से प्रकृति अपने हिसाब से चल रही है.
दुनिया के अधिकांश हिस्सों का अमूमन यही नजारा है. आप किसी से भी पूछे लोग कहेंगे, हमने सड़क पर जानवर को भटकते देखा है.
सैंटियागो के चिली में एक जंगली प्यूमा को देखा गया. सैन फ्रान्सिस्को के गोल्डन गेट ब्रिज जो आमतौर पर पर्यटकों से भरी होती है. वहीं आज एक जंगली जानवर को देखा जाना किसी आश्चर्य से कमी नहीं है.
कम मानवीय हस्तक्षेप और प्रकाश प्रदूषण के कम होने से प्रकृति में मानो बहार आ गई है. अब दुनिया भर में समुद्री कछुए समुद्र तटों पर अपने अंडे देने की हिम्मत कर रहे हैं . कभी उन्होंने इंसानों के डर से समुद्री तटों पर घुमना ही छोड़ दिया था.
लगभग एक दशक में पहली बार, ओलिव रिडले कछुओं ने भारत में बंगाल की खाड़ी के तट पर घोंसला बनाया है.
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि उनके प्रजनन का मौसम विलुप्त हो रहे जंगली प्रजातियों के लिए अच्छा संकेत है.
स्टुअर्ट पिम, अमेरिका में ड्यूक विश्वविद्यालय के एक प्रसिद्ध संरक्षण वैज्ञानिक ने इस पर अपनी बात रखी है.
लॉकडाउन ने इस बात के साफ संकेत दे दिए हैं कि मनुष्य ने प्रकृति का कितना दुरुपयोग किया है. हमने कैसे इस खुबसूरत धरती के साथ बुरा बर्ताव किया है. हम आज नीला आसमान देख पा रहे हैं. खुबसूरत वादियों, पहाड़ों को देखकर मन प्रफुल्लित हो रहा है. क्योंकि प्रदूषण कम हो चला है.
लॉकडाउन से पहले दिल्ली में शायद ही कभी नीला आसमान के लोगों ने दर्शन किए हो. आज लॉकडाउन और वहां दिल्ली में आसमान नीला है.
कोरोना वायरस महामारी के आने के बाद और जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है, प्रकृति ने अपनी सदियों से छुपी हुई सुंदरता को बिखेर दिया. इसको देख प्रकृति से प्यार करने वालों का मन प्रफुल्लित हुआ जा रहा है.