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अरशद मदनी बोले, सीएए एनआरसी नहीं, एनपीआर है तो गर्दन फंसी है समझो

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Published : Feb 20, 2020, 8:52 PM IST

Updated : Mar 2, 2020, 12:09 AM IST

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि एनपीआर के नाम पर देश भर में जो कानून लागू होने वाला है वह उन्हें किसी हाल में मंजूर नहीं है .उन्होंने सरकार से मांग की कि इसे तुरंत खारिज किया जाए. उन्होंने एनपीआर को एनआरसी का पहला कदम बताया.

मीडिया से बात करते अरशद मदनी
मीडिया से बात करते अरशद मदनी

मुंबई : जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने महाराष्ट्र के मुंबई में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि देश के मुसलमान राष्ट्रीय जनगणना के विरुद्ध में नहीं हैं. लेकिन यह जनगणना उस तरह की जाए जिस तरह 2010 में करवाई गई थी.

मदनी ने आगे कहा कि एनपीआर के नाम पर देश भर में जो कानून लागू होने वाला है. वह उन्हें किसी हाल में मंजूर नहीं है . उन्होंने सरकार से मांग की कि इसे तुरंत खारिज किया जाए.

उन्होंने कहा कि इस कानून के कारण बड़ी तादाद में नागरिकों को अपने दस्तावेज मुहैया कराने में काफी परेशानी होगी. इसके अलावा सर्वे ऑफिसर को किसी भी शहरी को संदिग्ध नागरिक बनाने के अधिकार का गलत इस्तेमाल हो सकता है.

मीडिया से बात करते अरशद मदनी

मौलाना मदनी ने कहा कि एनपीआर का मौजूदा स्वरूप, वास्तव में, एनआरसी का पहला कदम है, और इसलिए इसमें कुछ नए सूचना बॉक्स जोड़े गए हैं, जो कि आम जनता के लिए एक मुश्किल पैदा कर सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सीएए, एनआरसी को समाप्त करने के बाद भी जब तक एनपीआर है तब तक लोगों की गर्दन फंसी हुई है.

उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के कड़े विरोध के बाद गृह मंत्रालय ने संसद में आश्वासन दिया कि सरकार का देश में एनसीआर लाने का कोई इरादा नहीं है. वर्तमान में यह शब्द अंदर की कहानी कह रहा है.

मौलाना मदनी ने कहा कि अगर सरकार की नियत में कोई खोट नहीं है,तो संसद में यह स्पष्ट रूप से कहा जाना चाहिए था कि एनआरसी को देश में कभी लागू नहीं किया जाएगा, लेकिन इसने जानबूझकर लोगों को बहकाने का प्रयास किया.

मदनी ने आगे कहा कि एक अच्छी तरह से सोची-समझी रणनीति के तहत, एनपीआर को संशोधित किया जा रहा है और अगर इसे अपने वर्तमान स्वरूप में लागू किया जाता है, तो असम जैसे अन्य राज्यों में, सर्किल अधिकारियों को नागरिक होने का अधिकार होगा.

उन्होंने कहा कि एनआरसी लागू होने से पहले असम में एक खेल खेला गया. जहां वहां के लोगों को वोट देने के अधिकार से वंचित कर दिया गया.

मौलाना मदनी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार एनपीआर के वर्तमान स्वरूप में असम की शैली में पूरे देश में एक ही खेल खेलना चाहती है.

पढ़ें- आधार मुद्दे पर कुछ लोगों को नोटिस जारी होने पर ओवैसी ने की यूआईडीएआई की निन्दा

मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम सीएए के विरोध में हैं क्योंकि यह संविधान के दिशानिर्देशों के खिलाफ बनाया गया कानून है, जो देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक के अधिकारों का उल्लंघन करता है.

उन्होंने कहा कि स्पष्ट रूप से, भाजपा सरकार एक तरफ जहां अपने नागरिकों के अधिकारों से छेड़छाड़ करना चाहती है, वहीं दूसरी ओर अपने वोट बैंक को बढ़ाकर देश को नफरत की आग में झोंकना चाहती है.

जम्मू उलेमा के अध्यक्ष ने 23 फरवरी को मुंबई में ऐतिहासिक स्वतंत्र क्षेत्र में आयोजित अखिल भारतीय संरक्षण लोकतंत्र सम्मेलन को लेकर कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार ने उलेमा को देवबंद में एक आम बैठक आयोजित करने की अनुमति नहीं दी. इसलिए यह बैठक मुंबई में आयोजित की जा रही है, उन्होंने कहा कि यह पहली बार है कि सभा को सरकार द्वारा अनुमति नहीं दी गई थी.

मुंबई : जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने महाराष्ट्र के मुंबई में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि देश के मुसलमान राष्ट्रीय जनगणना के विरुद्ध में नहीं हैं. लेकिन यह जनगणना उस तरह की जाए जिस तरह 2010 में करवाई गई थी.

मदनी ने आगे कहा कि एनपीआर के नाम पर देश भर में जो कानून लागू होने वाला है. वह उन्हें किसी हाल में मंजूर नहीं है . उन्होंने सरकार से मांग की कि इसे तुरंत खारिज किया जाए.

उन्होंने कहा कि इस कानून के कारण बड़ी तादाद में नागरिकों को अपने दस्तावेज मुहैया कराने में काफी परेशानी होगी. इसके अलावा सर्वे ऑफिसर को किसी भी शहरी को संदिग्ध नागरिक बनाने के अधिकार का गलत इस्तेमाल हो सकता है.

मीडिया से बात करते अरशद मदनी

मौलाना मदनी ने कहा कि एनपीआर का मौजूदा स्वरूप, वास्तव में, एनआरसी का पहला कदम है, और इसलिए इसमें कुछ नए सूचना बॉक्स जोड़े गए हैं, जो कि आम जनता के लिए एक मुश्किल पैदा कर सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सीएए, एनआरसी को समाप्त करने के बाद भी जब तक एनपीआर है तब तक लोगों की गर्दन फंसी हुई है.

उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के कड़े विरोध के बाद गृह मंत्रालय ने संसद में आश्वासन दिया कि सरकार का देश में एनसीआर लाने का कोई इरादा नहीं है. वर्तमान में यह शब्द अंदर की कहानी कह रहा है.

मौलाना मदनी ने कहा कि अगर सरकार की नियत में कोई खोट नहीं है,तो संसद में यह स्पष्ट रूप से कहा जाना चाहिए था कि एनआरसी को देश में कभी लागू नहीं किया जाएगा, लेकिन इसने जानबूझकर लोगों को बहकाने का प्रयास किया.

मदनी ने आगे कहा कि एक अच्छी तरह से सोची-समझी रणनीति के तहत, एनपीआर को संशोधित किया जा रहा है और अगर इसे अपने वर्तमान स्वरूप में लागू किया जाता है, तो असम जैसे अन्य राज्यों में, सर्किल अधिकारियों को नागरिक होने का अधिकार होगा.

उन्होंने कहा कि एनआरसी लागू होने से पहले असम में एक खेल खेला गया. जहां वहां के लोगों को वोट देने के अधिकार से वंचित कर दिया गया.

मौलाना मदनी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार एनपीआर के वर्तमान स्वरूप में असम की शैली में पूरे देश में एक ही खेल खेलना चाहती है.

पढ़ें- आधार मुद्दे पर कुछ लोगों को नोटिस जारी होने पर ओवैसी ने की यूआईडीएआई की निन्दा

मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम सीएए के विरोध में हैं क्योंकि यह संविधान के दिशानिर्देशों के खिलाफ बनाया गया कानून है, जो देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक के अधिकारों का उल्लंघन करता है.

उन्होंने कहा कि स्पष्ट रूप से, भाजपा सरकार एक तरफ जहां अपने नागरिकों के अधिकारों से छेड़छाड़ करना चाहती है, वहीं दूसरी ओर अपने वोट बैंक को बढ़ाकर देश को नफरत की आग में झोंकना चाहती है.

जम्मू उलेमा के अध्यक्ष ने 23 फरवरी को मुंबई में ऐतिहासिक स्वतंत्र क्षेत्र में आयोजित अखिल भारतीय संरक्षण लोकतंत्र सम्मेलन को लेकर कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार ने उलेमा को देवबंद में एक आम बैठक आयोजित करने की अनुमति नहीं दी. इसलिए यह बैठक मुंबई में आयोजित की जा रही है, उन्होंने कहा कि यह पहली बार है कि सभा को सरकार द्वारा अनुमति नहीं दी गई थी.

Last Updated : Mar 2, 2020, 12:09 AM IST
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