नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केरेला पत्रकार सिद्दकी कप्पन की अवैध हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई आज टाल दी.
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ, केरला यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
बता दें कि केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स ने केरल के एक पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामे में उत्तर प्रदेश सरकार के दावों को गलत बताया गया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने दावा किया था कि कप्पन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का हिस्सा है. यूपी सरकार ने कप्पन पर हाथरस में अशांति फैलाने के आरोप भी लगाए थे.
हलफनामे में पुलिस पर भी आरोप लगाया गया कि कप्पन के साथ मारपीट की गई, जेल अधिकारियों द्वारा उन्हें लाठी से मारा गया और घसीटा गया, डायबिटिक होने के बावजूद उन्हें सोने नहीं दिया गया और उन्हें मानसिक रूप से भी प्रताड़ित किया गया.
यूपी सरकार ने अदालत को बताया कि कप्पन की गिरफ्तारी के बाद उसके भाई से संपर्क किया गया था, लेकिन पत्रकार संघ ने इस दावे से इनकार कर दिया और कहा कि कप्पन और उनके वकील मथुरा में न्यायिक कार्यवाही के लिए मौजूद नहीं थे, क्योंकि अधिवक्ता के आवेदन को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दिया था.
पत्रकार संघ ने अदालत से कहा है कि अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए अगर जरूरत पड़ी, तो कप्पन लाई डिटेक्टर टेस्ट भी करवा सकते हैं. संघ ने इस मामले में एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा जांच का सुझाव भी दिया है.
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सिद्दीकी कप्पन को यूपी पुलिस ने हाथरस बलात्कार और हत्या मामले की कवरेज के दौरान गिरफ्तार किया था. यूपी सरकार के अनुसार कप्पन ने अपने संस्थान के बारे में झूठ बोला था और वह उस संस्थान का हिस्सा नहीं था जिसका उसने दावा किया था.
सरकार ने यह भी आरोप लगाया कि कप्पन ने जांच में मदद नहीं की और वह अशांति फैलाने के लिए हाथरस जा रहा था.