नई दिल्ली : नई दिल्ली स्थित साउथ ब्लॉक के सैन्य कमांडर्स कॉन्फ्रेंस (एससी) में मंगलवार की दोपहर सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे ने शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की मौजूदा स्थिति पर चर्चा की. इसके बाद सेना प्रमुख दो दिवसीय दौरे पर लद्दाख पहुंच गए हैं, जहां वह मौजूदा सीमा विवाद और दोनों देशों के बीच हुई लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता का जायजा लेंगे.
ईटीवी भारत को एक सूत्र ने बताया कि सेना प्रमुख इस दौरे पर तीन एजेंडे के साथ गए हैं. विशेष रूप से वह 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प की पृष्ठभूमि की जानकारी लेंगे. इस क्षेत्र की जटिल स्थिति की समीक्षा करेंगे और क्षेत्र का दौरा करने के अलावा सैनिकों के साथ बातचीत करेंगे.
लद्दाख में जनरल नरवणे पूर्वी लद्दाख की नवीनतम घटनाक्रमों पर एससी में लिए गए निर्णयों से सेना को अवगत कराएंगे.
बता दें कि पूर्वी लद्दाख में थल सेना, नौसेना और वायुसेना पहले से ही हाई अलर्ट पर हैं. जमीन पर और समुद्र के पार चीनी सेना द्वारा उठाए गए आक्रामक कदमों को ध्यान में रखते हुए सेना ने सीमाओं पर सैन्य हाथियारों की तैनाती भी शुरू कर दी है.
इस बीच पूर्वी लद्दाख के चुशुल-मोल्दो में भारतीय और चीनी सेनाओं के लेफ्टिनेंट-जनरल स्तर के अधिकारियों के बीच सोमवार को दूसरी बार बातचीत हुई. दोनों देशों के बीच यह वार्ता करीब 11 घंटे से अधिक समय तक चली. दोनों देशों के बीच इस स्तर की बैठक छह जून को भी हुई थी.
हालांकि इस बैठक में छह जून की बैठक से इतर कुछ फैसला नहीं निकल पाया. बैठक में सिर्फ तीन मुद्दों पर सहमति बनी- मतभेद दूर करना, सैनिकों को पीछे करना और असली परीक्षा जमीनी स्तर पर मौजूदा स्थिति.
सकारात्मक नोट पर हमला करते हुए सेना सूत्र ने कहा कि मतभेद दूर करने के लिए आपसी सहमति थी. पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों द्वारा सभी विवादित क्षेत्रों से होने वाले विस्थापन के तौर-तरीकों पर चर्चा की गई.
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बैठक की लंबी अवधि के बारे में पूछे जाने पर, सेना के सूत्रों ने बताया कि आम तौर पर बैठक बहुत देर तक चलती है, जब दोनों देशों की सेनाएं एलएससी के पांच बिंदुओं पर बैठक करती है. हर बैठक में प्रत्येक बिंदुओं को कम से कम चार बार बोला जाता है. दोनों तरफ से अनुवादक होते हैं जो दोनों लोगों की बातों का अनुवाद करते हैं.
इसके अलावा, एक विस्तृत सैन्य प्रोटोकॉल है, जिसका पालन किया जाता है. आमतौर पर सीमा के मुद्दे के साथ अन्य झड़पों और गश्त पर बातें की जाती है. इसके अतिरिक्त अन्य बहुत से मुद्दे होते हैं, जिन पर बात की जाती है. इसीलिए भारत-चीनी सेना की सीमा बैठक में समय लगता है.
एलएसी के स्पष्ट सीमांकन की कमी के कारण सीमा रेखा को परिभाषित करने के लिए दोनों सेनाओं के स्थानीय कमांडर नियमित रूप से सीमा के पांच बिंदुओं को लेकर मिलते हैं. भारतीय पक्ष में चुशुल के अलावा पांच बिंदु- दौलत बेग ओल्डी (लद्दाख), नाथू-ला (सिक्किम), बम-ला (अरुणाचल प्रदेश) और किबिथु (अरुणाचल प्रदेश) हैं.
वर्तमान में दुनिया की दो सबसे बड़ी सेनाएं पैंगोग झील, गलवान घाटी सहित हॉट स्प्रिंग्स में कुछ पेट्रोलिंग प्वॉइंट पर एक दूसरे के आमने-सामने डटी हुई हैं.
बता दें कि गत 15 जून को दोनों देशों की सेनाओं बीच हिसंक झड़प में एक कर्नल सहित भारत के 20 जवान शहीद हो गए. वहीं चीन के भी 35 जवान हताहत हुए थे.