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मौजूदा डेटा प्रोटेक्शन बिल सुरक्षा के लिए अपर्याप्त : विशेषज्ञ - Data Protection Bill

डेटा संरक्षण बिल पर विपक्ष ने जहां अपना कड़ा विरोध जताया था वहीं अब इंटरनेट विशेषज्ञों ने भी सरकार के मौजूदा बिल को अपर्याप्त बताया है. विशेषज्ञों ने सरकार को एक मजबूत बिल बनाने की सलाह दी है, ताकि सरकार, उपभोक्ताओं और बड़ी संस्थाओं के बीच शक्ति और विश्वास का संतुलन बना रहे

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Published : Dec 30, 2019, 11:11 PM IST

Updated : Dec 31, 2019, 12:04 AM IST

नई दिल्ली : गत कुछ वर्षों में इंटरनेट उपयोग करने वालों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. साथ ही साथ डेटा चोरी की भी कई घटनाए सामने आती रही हैं. इसीके मद्देनजर सरकार देश में पहली बार डेटा संरक्षण बिल लाने की तैयारी कर रही है.

हालांकि विपक्षी पार्टियों के पुरजोर विरोध के बाद सरकार ने उसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेज दिया है, वहीं दूसरी तरफ इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के एक्जक्यूटिव डायरेक्टर अपार गुप्ता ने इस बिल के वर्तमान प्रारूप को अपर्याप्त बताया है.

अपार गुप्ता ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में इटंरनेट डेटा सुरक्षा बिल के सारे आयामों और महत्वों पर विस्तार से चर्चा की है. उन्होंने कहा, 'आज हमारा समाज डिजिटल हो रहा है, जहां बड़े पैमाने पर डेटा एक जगह जमा हो रहा है, इसलिए जमा हो रहे डेटा की सुरक्षा और इसे पुन: प्राप्त करने की एक सुनिश्चित विधि होनी चाहिए.'

ईटीवी भारत से बात करते डेटा संरक्षण मामलों के जानकार अपार गुप्ता.

उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार द्वारा लाए जा रहे डेटा प्रोटेक्शन बिल का जो प्रारूप है, वह अपर्याप्त है. अपर्याप्त होने का कारण यह है कि यह इंटरनेट यूजर, सरकार और बड़ी संस्थाओं के बीच शक्तियों का संतुलन नहीं बनाता.

यह पूछे जाने पर कि क्या मौजूदा बिल सरकार को व्यापक अधिकार प्रदान करता है, गुप्ता ने कहा कि भारत में सभी डेटा पूरी तरह से केंद्रित हैं, जिनका कई बार दुरुपयोग किया जाता रहा है.

आपको बता दें कि इस बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजा गया है, कमेटी में लोकसभा के 20 और राज्यसभा के 10 सदस्य हैं. संभावना व्यक्त की जा रही है कि बजट सत्र 2020 की समाप्ति से पहले कमेटी अपनी रिपोर्ट सदन में पेश कर देगी.

नई दिल्ली : गत कुछ वर्षों में इंटरनेट उपयोग करने वालों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. साथ ही साथ डेटा चोरी की भी कई घटनाए सामने आती रही हैं. इसीके मद्देनजर सरकार देश में पहली बार डेटा संरक्षण बिल लाने की तैयारी कर रही है.

हालांकि विपक्षी पार्टियों के पुरजोर विरोध के बाद सरकार ने उसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेज दिया है, वहीं दूसरी तरफ इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के एक्जक्यूटिव डायरेक्टर अपार गुप्ता ने इस बिल के वर्तमान प्रारूप को अपर्याप्त बताया है.

अपार गुप्ता ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में इटंरनेट डेटा सुरक्षा बिल के सारे आयामों और महत्वों पर विस्तार से चर्चा की है. उन्होंने कहा, 'आज हमारा समाज डिजिटल हो रहा है, जहां बड़े पैमाने पर डेटा एक जगह जमा हो रहा है, इसलिए जमा हो रहे डेटा की सुरक्षा और इसे पुन: प्राप्त करने की एक सुनिश्चित विधि होनी चाहिए.'

ईटीवी भारत से बात करते डेटा संरक्षण मामलों के जानकार अपार गुप्ता.

उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार द्वारा लाए जा रहे डेटा प्रोटेक्शन बिल का जो प्रारूप है, वह अपर्याप्त है. अपर्याप्त होने का कारण यह है कि यह इंटरनेट यूजर, सरकार और बड़ी संस्थाओं के बीच शक्तियों का संतुलन नहीं बनाता.

यह पूछे जाने पर कि क्या मौजूदा बिल सरकार को व्यापक अधिकार प्रदान करता है, गुप्ता ने कहा कि भारत में सभी डेटा पूरी तरह से केंद्रित हैं, जिनका कई बार दुरुपयोग किया जाता रहा है.

आपको बता दें कि इस बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजा गया है, कमेटी में लोकसभा के 20 और राज्यसभा के 10 सदस्य हैं. संभावना व्यक्त की जा रही है कि बजट सत्र 2020 की समाप्ति से पहले कमेटी अपनी रिपोर्ट सदन में पेश कर देगी.

Intro:New Delhi: As the contentious Data Protection Bill has been sent to a select committee amid staunch opposition from many political parties, advocate and Internet Freedom Foundation's Executive Director Apar Gupta called it an inadequate legislative proposal in the current form.


Body:Speaking exclusively to ETV Bharat, Apar Gupta talked about the importance of the Data Protection Bill. He claimed in today's digital society a large data is being gathered without us being in control. For which, it's necessary to have rights which provides us clear remedy in order to limit the data which is stored back.

He asserted that the data protection bill in its current format is not an adequate legislative proposal in order to correct the power imbalance between the users, government and large corporations which is gathering their personal data.





Conclusion:When asked whether the current Bill gives sweeping powers to the government in the name of security, the Internet Freedom Foundation's Executive Director said, "framework which exists in India is abused very often because all our data is completely centralised. Its nobody argument that surveillance did not take place it takes place with legal safeguards in place which is to ensure that it is carried out for maintaining the security interest."

Presently, the bill has been forwarded to the select committee which will have 20 members from Lok Sabha and 10 from Rajya Sabha. The panel is expected to submit its profit before the end of the budget session in 2020.
Last Updated : Dec 31, 2019, 12:04 AM IST
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