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गांधीवाद पर अन्ना हजारे का विशेष साक्षात्कार, एक नजर

आजादी के आंदोलन के दौरान गांधीजी ने देश के अलग-अलग हिस्सों का दौरा किया था. जहां-जहां भी बापू जाते थे, वे वहां के लोगों पर अमिट छाप छोड़ जाते थे. वहां के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना घर कर जाती थी. ईटीवी भारत ऐसे ही जगहों से गांधी से जुड़ी कई यादें आपको प्रस्तुत कर रहा है. पेश है आज 15वीं कड़ी.

गांधी और अन्ना हजारे
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Published : Aug 30, 2019, 7:02 AM IST

Updated : Sep 28, 2019, 8:01 PM IST

अहमदनगर: प्रसिद्ध समाजसेवी और गांधीवादी विचारधारा के प्रखर अनुयायी अन्ना हजारे ने आज की पीढ़ी को गांधी के मार्ग को सही परिप्रेक्ष्य में समझने की सलाह दी है. उनका कहना है कि हमें गांव के विकास पर जोर देना चाहिए. हजारे ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि हमें ग्राम विकास पर बापू की अवधारणा का अनुसरण करना चाहिए. उनके अनुसार ऐसा करेंगे तभी हम बढ़ते शहरीकरण के कारण पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई कर सकते हैं.

अन्ना ने गांधीवाद पर बोलते हुए कहा कि ग्रामीण विकास राष्ट्र की प्रगति के लिए आवश्यक है. लेकिन दुर्भाग्य से हमने स्वतंत्रता के बाद गलत रास्ता अख्तियार कर लिया. आज हम गांवों के बजाए शहर की ओर बढ़ते जा रहे हैं. उनका कहना है कि आज लोग शहरों की ओर इसलिए जाना चाहते हैं क्योंकि गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. आने वाली सभी सरकारों ने गांवों के बजाए शहरों पर ध्यान केन्द्रित किया. और यह उनकी गलत रणनीति रही है.

अन्ना हजारे से खास बातचीत

अन्ना ने कहा कि सतत विकास के लिए गांधीवादी सोच पर आगे बढ़ना समय की आवश्यकता है. ऐसा नहीं होने की वजह से ही हमलोगों ने प्राकृतिक संसाधनों का अत्याधिक दोहन किया. उन्होंने कहा कि बढ़ते शहरीकरण से पर्यावरण का अत्यधिक नुकसान हो रहा है. गैर-नवीकरणीय संसाधनों की अत्यधिक खपत हो रही है. बदले में हमें प्रदूषण और बीमारियां मिल रही हैं. वैश्विक तापमान बढ़ रहा है. पूरी दुनिया इसको लेकर चिंतित है. जाहिर है ऐसे में हमें अपने मूल्यों को प्रभावी बनाने के लिए गांधी के जीवन का अनुसरण करने की आवश्यकता है.

अन्ना हजारे से खास बातचीत

अन्ना ने कहा कि आज के समय में भी गांधीवादी विचारधारा सौ फीसदी प्रासंगिक है. उसमें असीम संभावनाएं हैं. सत्य और अहिंसा में बड़ी शक्ति होती है. आप सिर्फ अंध अनुसरण करके इस शक्ति को महसूस नहीं कर सकते हैं, इसके लिए आपको समझना होगा. तभी दुनिया इस शक्ति को महसूस कर पाएगी.

अन्ना हजारे ने कहा कि गांधी का आचरण शुद्ध और निष्कलंक था. सत्याग्रहियों को भी उसी का अनुसरण करना चाहिए. उनका चरित्र, आचरण और विचार शुद्ध होना चाहिए. उन्हें जीवन में सामाजिक और राष्ट्रीय दृष्टिकोण रखना चाहिए. जो लोग त्याग के आधार पर जीवन जीते हैं, वे सत्याग्रह और अहिंसा को अपना सकते हैं. ये तभी होंगे, जब आपके चरित्र अच्छे होंगे. अन्यथा यह संभव नहीं होगा.

ये भी पढ़ें: आज की असहिष्णुता पर क्या करते गांधी, तुषार गांधी ने साझा की अपनी राय

उन्होंने आगे कहा, 'लोगों के पास अपमान सहने की शक्ति होनी चाहिए. गांधी का जीवन अपमान से भरा था. उन्हें ट्रेन से उतार दिया गया था. लेकिन उन्होंने इस पर गुस्सा नहीं किया. दुर्भाग्य ये है कि गांधीवाद को आज अच्छी तरह से पढ़ाया नहीं जा रहा है.

अन्ना हजारे से खास बातचीत

हजारे ने कहा कि गांधीवादी विचार को हर किसी के जीवन में अपना रास्ता बनाना चाहिए. बच्चों को इन मूल्यों के बारे में बताया जाना चाहिए. सिर्फ किताबी ज्ञान देने से कुछ नहीं होगा. बच्चों को कम उम्र में इसके बारे में पढ़ाना चाहिए. परिवार को ऐसे मूल्यों को बढ़ावा देना चाहिए. वास्तविक जीवन में इसे कैसे अपनाएं, इस पर जोर देने की आवश्यकता है.

अन्ना हजारे ने कहा कि आज सत्य और अहिंसा पूरी तरह से सफल नहीं है क्योंकि लोगों में स्वार्थ अधिक है.

अहमदनगर: प्रसिद्ध समाजसेवी और गांधीवादी विचारधारा के प्रखर अनुयायी अन्ना हजारे ने आज की पीढ़ी को गांधी के मार्ग को सही परिप्रेक्ष्य में समझने की सलाह दी है. उनका कहना है कि हमें गांव के विकास पर जोर देना चाहिए. हजारे ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि हमें ग्राम विकास पर बापू की अवधारणा का अनुसरण करना चाहिए. उनके अनुसार ऐसा करेंगे तभी हम बढ़ते शहरीकरण के कारण पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई कर सकते हैं.

अन्ना ने गांधीवाद पर बोलते हुए कहा कि ग्रामीण विकास राष्ट्र की प्रगति के लिए आवश्यक है. लेकिन दुर्भाग्य से हमने स्वतंत्रता के बाद गलत रास्ता अख्तियार कर लिया. आज हम गांवों के बजाए शहर की ओर बढ़ते जा रहे हैं. उनका कहना है कि आज लोग शहरों की ओर इसलिए जाना चाहते हैं क्योंकि गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. आने वाली सभी सरकारों ने गांवों के बजाए शहरों पर ध्यान केन्द्रित किया. और यह उनकी गलत रणनीति रही है.

अन्ना हजारे से खास बातचीत

अन्ना ने कहा कि सतत विकास के लिए गांधीवादी सोच पर आगे बढ़ना समय की आवश्यकता है. ऐसा नहीं होने की वजह से ही हमलोगों ने प्राकृतिक संसाधनों का अत्याधिक दोहन किया. उन्होंने कहा कि बढ़ते शहरीकरण से पर्यावरण का अत्यधिक नुकसान हो रहा है. गैर-नवीकरणीय संसाधनों की अत्यधिक खपत हो रही है. बदले में हमें प्रदूषण और बीमारियां मिल रही हैं. वैश्विक तापमान बढ़ रहा है. पूरी दुनिया इसको लेकर चिंतित है. जाहिर है ऐसे में हमें अपने मूल्यों को प्रभावी बनाने के लिए गांधी के जीवन का अनुसरण करने की आवश्यकता है.

अन्ना हजारे से खास बातचीत

अन्ना ने कहा कि आज के समय में भी गांधीवादी विचारधारा सौ फीसदी प्रासंगिक है. उसमें असीम संभावनाएं हैं. सत्य और अहिंसा में बड़ी शक्ति होती है. आप सिर्फ अंध अनुसरण करके इस शक्ति को महसूस नहीं कर सकते हैं, इसके लिए आपको समझना होगा. तभी दुनिया इस शक्ति को महसूस कर पाएगी.

अन्ना हजारे ने कहा कि गांधी का आचरण शुद्ध और निष्कलंक था. सत्याग्रहियों को भी उसी का अनुसरण करना चाहिए. उनका चरित्र, आचरण और विचार शुद्ध होना चाहिए. उन्हें जीवन में सामाजिक और राष्ट्रीय दृष्टिकोण रखना चाहिए. जो लोग त्याग के आधार पर जीवन जीते हैं, वे सत्याग्रह और अहिंसा को अपना सकते हैं. ये तभी होंगे, जब आपके चरित्र अच्छे होंगे. अन्यथा यह संभव नहीं होगा.

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उन्होंने आगे कहा, 'लोगों के पास अपमान सहने की शक्ति होनी चाहिए. गांधी का जीवन अपमान से भरा था. उन्हें ट्रेन से उतार दिया गया था. लेकिन उन्होंने इस पर गुस्सा नहीं किया. दुर्भाग्य ये है कि गांधीवाद को आज अच्छी तरह से पढ़ाया नहीं जा रहा है.

अन्ना हजारे से खास बातचीत

हजारे ने कहा कि गांधीवादी विचार को हर किसी के जीवन में अपना रास्ता बनाना चाहिए. बच्चों को इन मूल्यों के बारे में बताया जाना चाहिए. सिर्फ किताबी ज्ञान देने से कुछ नहीं होगा. बच्चों को कम उम्र में इसके बारे में पढ़ाना चाहिए. परिवार को ऐसे मूल्यों को बढ़ावा देना चाहिए. वास्तविक जीवन में इसे कैसे अपनाएं, इस पर जोर देने की आवश्यकता है.

अन्ना हजारे ने कहा कि आज सत्य और अहिंसा पूरी तरह से सफल नहीं है क्योंकि लोगों में स्वार्थ अधिक है.

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Last Updated : Sep 28, 2019, 8:01 PM IST
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