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नेताजी की पुत्री अनिता बोस फाफ ने की नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की मांग - कोलकाता

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुत्री अनिता बोस फाफ ने रेनकोजी मंदिर में रखी अस्थियों के डीएनए परीक्षण की अनुमति देने के लिए अनुरोध करने की खातिर वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से और जापानी अधिकारियों से भी मिलना चाहती हैं. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुत्री अनिता बोस फाफ ने उनकी अस्थियों की डीएनए जांच की मांग की है. पढ़ें क्या और विशेष मांग की हैं...

नेताजी सुभाष चंद्र बोस (फाइल फोटो)
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Published : Aug 23, 2019, 6:45 AM IST

Updated : Sep 27, 2019, 11:04 PM IST

कोलकाता: नेताजी सुभाष चंद्र बोस के निधन से जुड़े विवाद के बीच उनकी पुत्री अनिता बोस फाफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने की मांग की है. उन्होंने दावा किया कि पिछली सरकारों में कुछ खास लोग नहीं चाहते थे कि नेताजी के रहस्य से पर्दा उठे.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुत्री अनिता बोस फाफ ने उनकी अस्थियों की डीएनए जांच की मांग की है.

माना जाता है कि जापान के रेनकोजी मंदिर में रखी अस्थियां नेताजी की हैं.

हालांकि अनीता बोस फाफ ने बहुचर्चित स्वतंत्रता सेनानी नेताजी की मृत्यु से जुड़े रहस्य को सुलझाने के प्रयासों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की सराहना की.

उन्होंने कहा कि वह भी इस धारणा को साझा करती हैं कि उनके पिता की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को विमान दुर्घटना में हुई थी, अन्यथा कुछ और साबित नहीं हो जाता.

उन्होंने बताया कि रेनकोजी मंदिर में रखी अस्थियों के डीएनए परीक्षण की अनुमति देने के लिए अनुरोध करने की खातिर वह प्रधानमंत्री से और जापानी अधिकारियों से भी मिलना चाहेंगी.

दरअसल अनीता ने जर्मनी से टेलीफोन पर दिए साक्षात्कार में कहा, 'जब तक कुछ और साबित नहीं हो जाए, मुझे विश्वास है कि उनकी मृत्यु 18 अगस्त 1945 को विमान दुर्घटना में हुई, लेकिन बहुत लोग इसे नहीं मानते. मैं निश्चित रूप से चाहूंगी कि रहस्य सुलझ जाए.'

अनीता बोस फाफ ने कहा, 'मुझे लगता है कि रहस्य को सुलझाने का सबसे अच्छा तरीका जापान में मंदिर में रखी अस्थियों का डीएनए परीक्षण करना है. डीएनए परीक्षण से सच साबित हो जाएगा कि यह वास्तव में उनकी है या नहीं.'

बोस की पुत्री ने कहा कि वह केंद्र सरकार के पास रखी गई फाइलों को सार्वजनिक करके रहस्य को सुलझाने के प्रयासों को लेकर धन्यवाद देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से मिलना चाहुंगी.

साथ ही वह जापानी अधिकारियों से भी अनुरोध करेंगी कि अगर उनके पास नेताजी से जुड़ी कोई फाइल है तो वे उसे सार्वजनिक करें.

यह भी पढ़ें- नेताजी के प्रशंसक ने 'गुमनामी बाबा' पर बनी फिल्म को भेजा नोटिस

दरअसल उनकी टिप्पणी 18 अगस्त को केंद्र सरकार के प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) के एक ट्वीट पर पैदा हुए विवाद की पृष्ठभूमि में आयी है. पीआईबी ने ट्वीट कर कहा था कि पीआईबी महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी पुण्यतिथि पर याद करता है.

गौरतलब है नेताजी के परिवार के एक वर्ग द्वारा विरोध किए जाने के बाद इसे वापस ले लिया गया था.

बहरहाल अनिता ने तो इस सवाल का सीधा जवाब नहीं दिया कि क्या उन्हें लगता है कि पिछली सरकारों ने (कांग्रेस सरकार सहित) नेताजी की मौत के रहस्य को जानबूझकर नजरअंदाज किया.

जर्मनी में रह रही प्रख्यात अर्थशास्त्री अनिता ने कहा कि हालांकि उनके पास ऐसा कोई सबूत नहीं है कि कांग्रेस सरकारों ने इस मुद्दे की अनदेखी की है.

'पिछली सरकारों में कुछ लोग नहीं चाहते थे कि यह रहस्य सुलझे और इसकी अनदेखी की गई.'

बता दें, कई रिपोर्ट के अनुसार 1945 में 18 अगस्त को बोस ताइवान के थाइहोकू हवाई अड्डे से विमान में सवार हुए थे, जो बाद में दुर्घटनाग्रस्त हो गया.

हालांकि अनेक लोगों मानते है कि वह इस दुर्घटना में बच गए थे. बाद में गुमनामी में जीवन बिताया.

कोलकाता: नेताजी सुभाष चंद्र बोस के निधन से जुड़े विवाद के बीच उनकी पुत्री अनिता बोस फाफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने की मांग की है. उन्होंने दावा किया कि पिछली सरकारों में कुछ खास लोग नहीं चाहते थे कि नेताजी के रहस्य से पर्दा उठे.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुत्री अनिता बोस फाफ ने उनकी अस्थियों की डीएनए जांच की मांग की है.

माना जाता है कि जापान के रेनकोजी मंदिर में रखी अस्थियां नेताजी की हैं.

हालांकि अनीता बोस फाफ ने बहुचर्चित स्वतंत्रता सेनानी नेताजी की मृत्यु से जुड़े रहस्य को सुलझाने के प्रयासों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की सराहना की.

उन्होंने कहा कि वह भी इस धारणा को साझा करती हैं कि उनके पिता की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को विमान दुर्घटना में हुई थी, अन्यथा कुछ और साबित नहीं हो जाता.

उन्होंने बताया कि रेनकोजी मंदिर में रखी अस्थियों के डीएनए परीक्षण की अनुमति देने के लिए अनुरोध करने की खातिर वह प्रधानमंत्री से और जापानी अधिकारियों से भी मिलना चाहेंगी.

दरअसल अनीता ने जर्मनी से टेलीफोन पर दिए साक्षात्कार में कहा, 'जब तक कुछ और साबित नहीं हो जाए, मुझे विश्वास है कि उनकी मृत्यु 18 अगस्त 1945 को विमान दुर्घटना में हुई, लेकिन बहुत लोग इसे नहीं मानते. मैं निश्चित रूप से चाहूंगी कि रहस्य सुलझ जाए.'

अनीता बोस फाफ ने कहा, 'मुझे लगता है कि रहस्य को सुलझाने का सबसे अच्छा तरीका जापान में मंदिर में रखी अस्थियों का डीएनए परीक्षण करना है. डीएनए परीक्षण से सच साबित हो जाएगा कि यह वास्तव में उनकी है या नहीं.'

बोस की पुत्री ने कहा कि वह केंद्र सरकार के पास रखी गई फाइलों को सार्वजनिक करके रहस्य को सुलझाने के प्रयासों को लेकर धन्यवाद देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से मिलना चाहुंगी.

साथ ही वह जापानी अधिकारियों से भी अनुरोध करेंगी कि अगर उनके पास नेताजी से जुड़ी कोई फाइल है तो वे उसे सार्वजनिक करें.

यह भी पढ़ें- नेताजी के प्रशंसक ने 'गुमनामी बाबा' पर बनी फिल्म को भेजा नोटिस

दरअसल उनकी टिप्पणी 18 अगस्त को केंद्र सरकार के प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) के एक ट्वीट पर पैदा हुए विवाद की पृष्ठभूमि में आयी है. पीआईबी ने ट्वीट कर कहा था कि पीआईबी महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी पुण्यतिथि पर याद करता है.

गौरतलब है नेताजी के परिवार के एक वर्ग द्वारा विरोध किए जाने के बाद इसे वापस ले लिया गया था.

बहरहाल अनिता ने तो इस सवाल का सीधा जवाब नहीं दिया कि क्या उन्हें लगता है कि पिछली सरकारों ने (कांग्रेस सरकार सहित) नेताजी की मौत के रहस्य को जानबूझकर नजरअंदाज किया.

जर्मनी में रह रही प्रख्यात अर्थशास्त्री अनिता ने कहा कि हालांकि उनके पास ऐसा कोई सबूत नहीं है कि कांग्रेस सरकारों ने इस मुद्दे की अनदेखी की है.

'पिछली सरकारों में कुछ लोग नहीं चाहते थे कि यह रहस्य सुलझे और इसकी अनदेखी की गई.'

बता दें, कई रिपोर्ट के अनुसार 1945 में 18 अगस्त को बोस ताइवान के थाइहोकू हवाई अड्डे से विमान में सवार हुए थे, जो बाद में दुर्घटनाग्रस्त हो गया.

हालांकि अनेक लोगों मानते है कि वह इस दुर्घटना में बच गए थे. बाद में गुमनामी में जीवन बिताया.

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Last Updated : Sep 27, 2019, 11:04 PM IST
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