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बेंगलुरु हिंसा : न्यायिक जांच की मांग, पुलिस पर प्रताड़ना के आरोप

बेंगलुरु हिंसा मामले में पुलिस पर मुस्लिम युवकों को संदेह के आधार पर प्रताड़ित करने के आरोप लग रहे हैं. मुस्लिम महिलाओं ने पुलिस पर निर्दोष युवकों को गिरफ्तार करने का आरोप लगाया है. वहीं, कांग्रेस और जेडीएस ने हिंसा मामले की जांच उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश से कराए जाने की मांग की है.

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बेंगलुरु हिंसा
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Published : Aug 17, 2020, 10:46 PM IST

Updated : Aug 17, 2020, 11:12 PM IST

बेंगलुरु : कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में पिछले सप्ताह हुई हिंसा के मामले में पुलिस आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. हिंसा के बाद पुलिस ने संदेह के आधार पर कई मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार किया है. पुलिस कई लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. पुलिस पर निर्दोष युवकों को भी उठाने के आरोप लग रहे हैं. वहीं शहर के कुछ इलाकों में लागू निषेधाज्ञा 18 अगस्त से बढ़ा कर 21 अगस्त तक कर दी गई है. पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी.

पुलिस पर प्रताड़ना के आरोप

इस बीच पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस के संरक्षक एचडी देवगौड़ा ने बेंगलुरु हिंसा मामले में हाईकोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश के नेतृत्व में न्यायिक जांच कराए जाने की मांग की है. उन्होंने सोमवार को कहा कि घटना के संबंध में निर्दोष लोगों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए.

देवगौड़ा के कार्यालय ने उनके हवाले से जारी बयान में कहा, 'डीजे हल्ली और केजी हल्ली में हुई हिंसा के मामले की जांच उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश द्वारा कराई जानी चाहिए.'

हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री ने हिंसा के संभावित कारणों पर कोई टिप्पणी नहीं की.

हिंसा के मद्देनजर गृह विभाग और पुलिस पर विफल रहने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने भी शनिवार को हाईकोर्ट के न्यायाधीश से जांच कराए जाने की मांग की थी.

राज्य सरकार ने बेंगलुरु (शहरी) के उपायुक्त जीएन शिवमूर्ति को मजिस्ट्रेट जांच के लिए नियुक्त किया है.

गौड़ा ने कहा, 'मजिस्ट्रेट जांच से सच सामने नहीं आएगा, हम जानते हैं कि पिछली घटनाओं के दौरान क्या हुआ.'

पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया
बेंगलुरु के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त संदीप पाटिल ने सोमवार को बताया कि शहर के डीजे हल्ली में हुई हिंसा की जांच कर रही अपराध शाखा ने एक व्यक्ति को हिरासत में लिया है. यह व्यक्ति आरएसएस कार्यकर्ता रुद्रेश की हत्या के आरोपियों के संपर्क में था और पिछले कुछ साल से प्रतिबंधित संगठन अल-हिंद का सदस्य है.

पुलिस के मुताबिक निषेधाज्ञा की अवधि बढ़ाये जाने का उद्देश्य 11 अगस्त की रात हुई घटना में संलिप्त लोगों द्वारा साक्ष्य को नुकसान पहुंचने, गवाहों और पीड़ितों को धमकाये जाने से बचाना है.

बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त कमलपंत ने अपने आदेश में कहा कि पुलिस को निषेधाज्ञा आदेश की अवधि विस्तारित करने की जरूरत महसूस हुई.

पंत ने कहा , 'यदि निषेधाज्ञा आदेश हटा दिया गया, तो आरोपी व्यक्ति अपने सहयोगियों के साथ साक्ष्य नष्ट कर सकते हैं, गवाहों को धमकी दे सकते हैं, हिंसा कर सकते हैं तथा निजी एवं सार्वजनिक संपत्ति को और अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं. इससे कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो जाएगी.'

बेंगलुरु : कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में पिछले सप्ताह हुई हिंसा के मामले में पुलिस आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. हिंसा के बाद पुलिस ने संदेह के आधार पर कई मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार किया है. पुलिस कई लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. पुलिस पर निर्दोष युवकों को भी उठाने के आरोप लग रहे हैं. वहीं शहर के कुछ इलाकों में लागू निषेधाज्ञा 18 अगस्त से बढ़ा कर 21 अगस्त तक कर दी गई है. पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी.

पुलिस पर प्रताड़ना के आरोप

इस बीच पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस के संरक्षक एचडी देवगौड़ा ने बेंगलुरु हिंसा मामले में हाईकोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश के नेतृत्व में न्यायिक जांच कराए जाने की मांग की है. उन्होंने सोमवार को कहा कि घटना के संबंध में निर्दोष लोगों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए.

देवगौड़ा के कार्यालय ने उनके हवाले से जारी बयान में कहा, 'डीजे हल्ली और केजी हल्ली में हुई हिंसा के मामले की जांच उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश द्वारा कराई जानी चाहिए.'

हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री ने हिंसा के संभावित कारणों पर कोई टिप्पणी नहीं की.

हिंसा के मद्देनजर गृह विभाग और पुलिस पर विफल रहने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने भी शनिवार को हाईकोर्ट के न्यायाधीश से जांच कराए जाने की मांग की थी.

राज्य सरकार ने बेंगलुरु (शहरी) के उपायुक्त जीएन शिवमूर्ति को मजिस्ट्रेट जांच के लिए नियुक्त किया है.

गौड़ा ने कहा, 'मजिस्ट्रेट जांच से सच सामने नहीं आएगा, हम जानते हैं कि पिछली घटनाओं के दौरान क्या हुआ.'

पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया
बेंगलुरु के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त संदीप पाटिल ने सोमवार को बताया कि शहर के डीजे हल्ली में हुई हिंसा की जांच कर रही अपराध शाखा ने एक व्यक्ति को हिरासत में लिया है. यह व्यक्ति आरएसएस कार्यकर्ता रुद्रेश की हत्या के आरोपियों के संपर्क में था और पिछले कुछ साल से प्रतिबंधित संगठन अल-हिंद का सदस्य है.

पुलिस के मुताबिक निषेधाज्ञा की अवधि बढ़ाये जाने का उद्देश्य 11 अगस्त की रात हुई घटना में संलिप्त लोगों द्वारा साक्ष्य को नुकसान पहुंचने, गवाहों और पीड़ितों को धमकाये जाने से बचाना है.

बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त कमलपंत ने अपने आदेश में कहा कि पुलिस को निषेधाज्ञा आदेश की अवधि विस्तारित करने की जरूरत महसूस हुई.

पंत ने कहा , 'यदि निषेधाज्ञा आदेश हटा दिया गया, तो आरोपी व्यक्ति अपने सहयोगियों के साथ साक्ष्य नष्ट कर सकते हैं, गवाहों को धमकी दे सकते हैं, हिंसा कर सकते हैं तथा निजी एवं सार्वजनिक संपत्ति को और अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं. इससे कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो जाएगी.'

Last Updated : Aug 17, 2020, 11:12 PM IST
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