मुंबई : 26 नवंबर, 2008 को हुए मुंबई आतंकी हमलों के पूरे ट्रायल में जो सबसे अधिक पुख्ता सबूत माना गया, वह था अजमल आमिर कसाब का पकड़ा जाना. वह 10 आतंकियों में से एकमात्र जीवित आतंकी था, जो पकड़ा गया. आतंकियों ने भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में करीब 60 घंटे तक विनाशकारी तांडव मचाया था. बाद में ट्रायल के बाद कसाब को फांसी दी गई.
कौन थी देविका एन. रोटावन ?
मुंबई की देविका एन. रोटावन तब 8 साल की थीं. कसाब और उसके सहयोगियों ने जब छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस बिल्डिंग के अंदर अंधाधुंध फायरिंग की थी, तो एक गोली देविका के पैर में जा लगी थी.
वह अपने पिता नटवरलाल के साथ 33 वर्षीय अपने भाई भरत से मिलने के लिए पुणे जाने के लिए ट्रेन पकड़ने की प्रतीक्षा कर रही थी.
अब 21 साल की हो चुकीं देविका ने उस भयावह रात का जिक्र करते हुए कहा, 'अचानक, हमने कुछ गोलियों के साथ ही जोरदार धमाके की आवाजें सुनीं. लोग चिल्ला रहे थे, रो रहे थे, इधर-उधर भाग रहे थे. चारों तरफ अराजकता थी, जैसा कि हमने भागने की कोशिश की, मैंने ठोकर खाई, मेरे पैर से खून निकल रहा था, मुझे एहसास हुआ कि मुझे गोली मार दी गई थी. मैं गिर गई और अगले दिन तक बेहोश थी.'
छह ऑपरेशनों से गुजरी देविका
किसी तरह उन्हें पास के सर जे.जे. अस्पताल ले जाया गया, जहां अगले दिन, उनके दाहिने पैर में एके -47 से मारी गई गोली निकालने के लिए एक सर्जरी की गई.
अगले छह महीनों में, उनके पैर की अन्य सर्जरी हुई और बाद के तीन वर्षों में 6 ऑपरेशन हुए.
नटवरलाल रोटावन ने बताया, 'वह बहुत छोटी थी. मैंने 2006 में अपनी पत्नी सारिका को खो दिया था, और मेरे दो बेटे भी हैं. हमने देविका की देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ी.'
देविका ने कहा, 'वे तीन साल खराब थे, मैं शुरू में पाली जिले (राजस्थान) के अपने मूल सुमेरपुर गांव में शिफ्ट हो गई, जहां मेरे पिता, भाइयों और अन्य रिश्तेदारों ने मेरी देखभाल की. जल्द ही, हमें अदालती मामलों के लिए वापस लौटना पड़ा.'
यह भी पढ़ें : पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड मसूद अजहर अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित
बेटी और पिता दोनों 26/11 के हमलों में न केवल जीवित बचे थे, बल्कि अहम गवाह भी थे और आखिरकार जून 2009 में न्यायालय में उनकी गवाही ने एक तरह से कसाब के ताबूत में आखिरी कील ठोंकने का काम किया.
भारतीय न्याय व्यवस्था के तहत सभी कानूनी दांवपेंचों का इस्तेमाल करने के बाद, कसाब को फांसी दी गई (21 नवंबर, 2012), लेकिन देविका को अपने बचपन, किशोरावस्था को त्याग करना पड़ा और अगले महीने वह 22 साल की हो जाएंगी.
वह किसी तरह आईईएस न्यू इंग्लिश हाई स्कूल, बांद्रा पूर्व से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने में कामयाब रहीं, उन्होंने सिद्धार्थ कॉलेज, चर्चगेट से एचएससी पूरा करने का रास्ता अपनाया और अब वह बांद्रा के चेतना कॉलेज से अपनी एफवाईबीए कर रही हैं.
मोदी सरकार के वादे खोखले
नटवरलाल ने कहा, 'शुरू में हमें मुआवजे के रूप में लगभग 3.50 लाख रुपये मिले. इसके अलावा, हमें ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत एक घर भी देने का वादा किया गया था, जिसका पूरा होना बाकी है.
उन्होंने कहा, 'हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, महाराष्ट्र सरकार को पत्र लिखा. पीएम मोदी 'बेटी बचाओ, बेटी पढाओ' के बारे में बात करते हैं. देविका के बारे में क्या? मेरी बेटी ने हमारे देश के लिए आतंकवादियों और पाकिस्तान को चुनौती दी, लेकिन हम केवल पीएम के खोखले वादों को सुनते हैं. उन्होंने कहा कि देविका आईपीएस अधिकारी बनना चाहती है. वह 12 वर्षों से यह सपना देख रही है.