कोयंबटूर : चीन से तानातनी के बीच आज स्वदेशी विमान तेजस की दूसरी स्क्वाड्रन वायुसेना में शामिल हो गई. इस स्क्वाड्रन का कूट नाम 'फ्लाइंग बुलेट्स' रखा गया है. इस मौके पर भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने बुधवार को लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस लड़ाकू विमान में उड़ान भरी.
बता दें कि भारतीय वायुसेना को आज तेजस लड़ाकू विमानों का दूसरा स्क्वाड्रन मिल गया है. वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने तमिलनाडु के सुलूर एयरबेस पर वायु सेना की 18वीं स्क्वाड्रन को सौंपा.
एयरफोर्स चीफ ने वायु सेना स्टेशन सुलूर में 45वीं स्क्वाड्रन के साथ लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस लड़ाकू विमान उड़ाया. उन्होंने सिंगल सीटर लड़ाकू विमान तेजस में उड़ान भरी.
कोयंबटूर के पास स्थित सुलुर एयरबेस पर भारतीय वायु सेना स्वदेश में निर्मित अपने हल्के लड़ाकू विमान तेजस की दूसरी स्क्वाड्रन के संचालन की शुरुआत बुधवार को हुई.
वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया 18वीं स्क्वाड्रन के संचालन की शुरुआत की.
इस स्क्वाड्रन का कूट नाम 'फ्लाइंग बुलेट्स' रखा गया है.
तेजस की ताकत
तेजस चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है जिसे एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा विकसित किया गया है.
भारतीय वायु सेना ने पहले ही 40 तेजस विमानों का आर्डर दिया है और जल्दी ही एचएएल को 83 और विमानों का आर्डर दिया जा सकता है जिसमें लगभग 38,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
वायु सेना की 18वीं स्क्वाड्रन की स्थापना 1965 में की गई थी और इसका आदर्श वाक्य है 'तीव्र और निर्भय.'
पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में सक्रिय भूमिका निभाने वाली इस स्क्वाड्रन को 15 अप्रैल 2016 को सेवा मुक्त कर दिया गया था और इससे पहले इसमें मिग-27 विमान शामिल थे.
स्क्वाड्रन को एक अप्रैल 2020 को पुनः शुरू किया गया था.
इस स्क्वाड्रन को नवंबर 2015 में राष्ट्रपति द्वारा ध्वज प्रदान किया गया था.