नई दिल्ली : देशभर में कोरोना से लड़ रहे योद्धाओं को सम्मानित किया जा रहा है. वहीं किसान संगठन ने आरोप सरकार पर आरोप लगाया कि देश में इस मुश्किल समय में भी राशन की कमी नहीं हुई है, इसके बावजूद सरकार किसानों को उचित सम्मान नहीं दे रही है. जबकि किसानों को खाद्य योद्धा के रूप में पहचान मिलनी चाहिए.
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) का कहना है कि इस मुश्किल समय में सरकार ने लगातार किसानों की समस्याओं की अनदेखी की है. किसान संगठन की यह समिति पांच मई को सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार के सामने अपनी बात रखेगी और देशभर के किसानों से एकजुट होने का आह्वान किया है.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए एआईकेएससीसी के राष्ट्रीय संयोजक सरदार वीएम सिंह ने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में किसान अग्रिम पंक्ति में खड़ा है, लेकिन सरकार ने अबतक उनको नजरंदाज किया है. फसल कटाई के समय अचानक लॉकडाउन होने से किसानों को काफी परेशानी हुई, उसके बाद ओलावृष्टि, बारिश इसके आलावा फसलों की सही कीमत न मिलने की वजह से भी समास्या हुई. इतनी विषम परिस्थिति में भी किसानों ने देश में खद्यान की कमी नहीं होने दी. आज देश में पर्याप्त खाद्यान है, लेकिन सरकार को हमेशा की तरह आज भी किसान की मेहनत नजर नहीं आ रही है. जबकि किसानों को खाद्य योद्धा के रूप में पहचान मिलनी चाहिए.
किसान संगठनों के माध्यम से देशभर के किसान प्रतिनिधियों ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए बैठक की. इस बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई है. बैठक में लॉकडाउन और ओलावृष्टि से नष्ट हुई फसलों को लेकर चर्चा हुई. समन्वय समिति की सरकार से मांग है कि सरकार को किसानों के केसीसी द्वारा लिए गए ऋण को माफ कर देना चाहिए.
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गौरतलब है कि सरकार ने लॉकडाउन के समय में कृषि क्षेत्र में कई छूट की घोषणा की है. वहीं किसान ई-मंडियों के माध्यम से फसलों की खरीद करने की मांग कर रहे हैं.
गत शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि क्षेत्र के लिए विशेष बैठक की और कई विषयों पर मंत्रियों के साथ चर्चा करने की बात भी सामने आई थी. सरकार का दावा है कि देश भर की 80% मंडियां खुली हुई हैं और मई महीने में 1000 मंडियों को कृषि मंत्रालय द्वारा ई-नाम पोर्टल से जोड़ने का लक्ष्य भी रखा गया है. सरकारी आंकड़े के मुताबिक अभी तक देश भर की 785 मंडियों को ई-नाम से जोड़ा जा चुका है.