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एम्स और बीईएल ने बनाया खास मॉनिटरिंग सिस्टम, घर बैठे होगा इलाज

एम्स ऋषिकेश और बीईएल बेंगलुरु ने मिलकर एक रिमोट हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम बनाया है. इस सिस्टम के तहत कोरोना संदिग्ध मरीजों की घर बैठे जांच की जा सकेगी. पढ़े विस्तार से....

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Published : Apr 16, 2020, 3:24 PM IST

हैदराबाद: ऋषिकेश स्थित एम्स और बेंगलुरु स्थित भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने मिलकर रिमोट हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित किया है. इसके जरिए कोविड-19 रोगियों की निगरानी घर बैठे ही की जा सकती है.

डॉक्टरों द्वारा टेलीमेडिसिन के माध्यम से रोगियों के शारीरिक तापमान, नाड़ी, रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा के स्तर और श्वसन दर की निगरानी की जा सकती है. इसके आधार पर आवश्यक सावधानियों और उपचार का सुझाव दिया जाएगा.

इस प्रणाली को अगर इजाजत मिल जाती है, तो डॉक्टरों पर बोझ कम पड़ेगा.

बीईएल के वैज्ञानिकों ने इसके लिए एक ऐप विकसित किया है. यह सेंसर के माध्यम से तापमान, पल्स रेट और अन्य मापदंडों का पता लगाता है. इन सेंसरों के माध्यम से दर्ज की गई जानकारी डॉक्टरों को दी जाती है.

कलाई पर एक सेंसर और दूसरा सेंसर दिल के पास रखकर डॉक्टर अपने मोबाइल फोन या लैपटॉप के जरिए मरीज के स्वास्थ्य की निगरानी कर सकते हैं.

अस्पताल में चेकअप के लिए आने पर कोविड ​​-19 संदिग्धों को सेंसर किट दी जाएगी. परिवार के सदस्यों को बताया जाएगा कि इसे किस तरीके से उपयोग करना है.

परिणामस्वरूप, रोगी को बार-बार अस्पताल आने की जरूरत नहीं होगी. उन्हें घर पर ही उपचार प्राप्त हो जाएगा. इस तरह, परिवार के सदस्य भी रोगी के नजदीक बार-बार आने से बच सकेंगे.

पढ़ें-एफएसएल अधिकारी अजय सोनी ने बनाया अल्ट्रावॉयलेट सेनिटाइजेशन ट्रंक

इस प्रणाली को इंटरनेट ऑफ थिंग्स और क्लाउड प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके बनाया गया है. सेंसर के माध्यम से एक बार में लाखों रोगियों की जानकारी को रिले किया जा सकता है.

डॉक्टर ऐप का उपयोग करके समय पर उपचार प्रदान कर सकते हैं. स्थानीय संगठन रोगी की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. अस्पतालों में मरीजों को आइसोलेशन वार्ड के दर्द से राहत दी जा सकती है.

हाइजीनिक प्रैक्टिस और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने से मरीज जल्दी ठीक हो सकते हैं. यह प्रणाली डॉक्टरों और नर्सों के बीच संक्रमण के जोखिम को कम करती है क्योंकि चिकित्सा कर्मचारियों का रोगी के साथ कोई शारीरिक संपर्क नहीं होता है. पीपीई की कोई जरूरत नहीं है.

एम्स ऋषिकेश के एमडी रेडियोलॉजी विभाग के एमडी डॉ मोहित ने कहा कि तकनीकी रूप से उन्नत इस प्रणाली से अस्पतालों और चिकित्सा कर्मचारियों का बोझ कम हो सकता है.

यह छूत की संभावना को कम करता है. डॉक्टरों के पास आपातकालीन मामलों पर ध्यान केंद्रित करने का लचीलापन होगा. इस उत्पाद का क्लिनिकल ट्रायल होना बाकी है.

हैदराबाद: ऋषिकेश स्थित एम्स और बेंगलुरु स्थित भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने मिलकर रिमोट हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित किया है. इसके जरिए कोविड-19 रोगियों की निगरानी घर बैठे ही की जा सकती है.

डॉक्टरों द्वारा टेलीमेडिसिन के माध्यम से रोगियों के शारीरिक तापमान, नाड़ी, रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा के स्तर और श्वसन दर की निगरानी की जा सकती है. इसके आधार पर आवश्यक सावधानियों और उपचार का सुझाव दिया जाएगा.

इस प्रणाली को अगर इजाजत मिल जाती है, तो डॉक्टरों पर बोझ कम पड़ेगा.

बीईएल के वैज्ञानिकों ने इसके लिए एक ऐप विकसित किया है. यह सेंसर के माध्यम से तापमान, पल्स रेट और अन्य मापदंडों का पता लगाता है. इन सेंसरों के माध्यम से दर्ज की गई जानकारी डॉक्टरों को दी जाती है.

कलाई पर एक सेंसर और दूसरा सेंसर दिल के पास रखकर डॉक्टर अपने मोबाइल फोन या लैपटॉप के जरिए मरीज के स्वास्थ्य की निगरानी कर सकते हैं.

अस्पताल में चेकअप के लिए आने पर कोविड ​​-19 संदिग्धों को सेंसर किट दी जाएगी. परिवार के सदस्यों को बताया जाएगा कि इसे किस तरीके से उपयोग करना है.

परिणामस्वरूप, रोगी को बार-बार अस्पताल आने की जरूरत नहीं होगी. उन्हें घर पर ही उपचार प्राप्त हो जाएगा. इस तरह, परिवार के सदस्य भी रोगी के नजदीक बार-बार आने से बच सकेंगे.

पढ़ें-एफएसएल अधिकारी अजय सोनी ने बनाया अल्ट्रावॉयलेट सेनिटाइजेशन ट्रंक

इस प्रणाली को इंटरनेट ऑफ थिंग्स और क्लाउड प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके बनाया गया है. सेंसर के माध्यम से एक बार में लाखों रोगियों की जानकारी को रिले किया जा सकता है.

डॉक्टर ऐप का उपयोग करके समय पर उपचार प्रदान कर सकते हैं. स्थानीय संगठन रोगी की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. अस्पतालों में मरीजों को आइसोलेशन वार्ड के दर्द से राहत दी जा सकती है.

हाइजीनिक प्रैक्टिस और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने से मरीज जल्दी ठीक हो सकते हैं. यह प्रणाली डॉक्टरों और नर्सों के बीच संक्रमण के जोखिम को कम करती है क्योंकि चिकित्सा कर्मचारियों का रोगी के साथ कोई शारीरिक संपर्क नहीं होता है. पीपीई की कोई जरूरत नहीं है.

एम्स ऋषिकेश के एमडी रेडियोलॉजी विभाग के एमडी डॉ मोहित ने कहा कि तकनीकी रूप से उन्नत इस प्रणाली से अस्पतालों और चिकित्सा कर्मचारियों का बोझ कम हो सकता है.

यह छूत की संभावना को कम करता है. डॉक्टरों के पास आपातकालीन मामलों पर ध्यान केंद्रित करने का लचीलापन होगा. इस उत्पाद का क्लिनिकल ट्रायल होना बाकी है.

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