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200 साल पुराना झरना उपेक्षा का शिकार, प्रशासन से रखरखाव की मांग

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकरनाग क्षेत्र में 200 साल पुराना झरना मौजूद है, जिससे यहां के लोगों को पीने का पानी उपलब्ध होता है. हालांकि, यह झरना प्रशासन की उपेक्षा का शिकार हो गया है. स्थानीय लोगों ने प्रशासन से झरने के रखरखाव के लिए चारों तरफ दीवार बनाने की मांग की है.

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Published : Oct 8, 2020, 4:04 PM IST

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200 साल पुराना झरना उपेक्षा का शिकार

श्रीनगर : कश्मीर घाटी को प्राकृतिक सुंदरता के लिहाज से पूरी दुनिया में अपना एक अलग मुकाम हासिल है. प्राकृतिक झरनें, झीलें और नदियां इसे अधिक आकर्षक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. यहां के झरने न केवल जगह की सुंदरता को बढ़ाते हैं, बल्कि घाटी के लाखों लोगों को भी सैराब करते हैं. लेकिन विडंबना यह है कि यह झरने दिन-ब-दिन सिकुड़ते जा रहे हैं. प्रशासन भी इन झरनों को बचाने में विफल रहा है.

200 साल पुराना झरना उपेक्षा का शिकार

अनंतनाग जिले में कोकरनाग क्षेत्र का खंडीपोरा दंडीपोरा प्राकृतिक सुंदरता से भरा हुआ है. स्थानीय लोगों के अनुसार, इस क्षेत्र में 200 साल पुराना झरना है, जो पूरे क्षेत्र को सिंचित करता है. लेकिन, यह झरना प्रशासन की उपेक्षा का शिकार हो गया.

लोगों का कहना है कि इलाके में दो साल पहले उनके पुरखों ने झरना खोदा था. तब से लेकर आज तक यह झरना यहां के निवासियों को सैराब कर रहा है. यह झरना 12 महीने स्वच्छ पानी मुहैया कराता है, जिससे यहां के लोगों की प्यास बुझती है.

यह भी पढ़ें- जम्मू कश्मीर : कुपवाड़ा में जल्द बनेगा बायोटेक्नोलॉजी पार्क

हालांकि, इस इलाके में जल आपूर्ति की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन स्थानीय लोग झरने के पानी को ही अपनी रोजाना की जिंदगी में इस्तमाल लाते हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक, झरने के पानी को न ही फिल्टर करने और न ही उबालने की जरूरत नहीं पड़ती है.

लोगों का कहना है कि वह कई बार प्रशासन से झरने के रखरखाव के लिए चारों तरफ दीवार बनाने की अपील कर चुके हैं, ताकि प्रकृति का यह तोहफा गंदगी से सुरक्षित रहे. लेकिन प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया गया.

श्रीनगर : कश्मीर घाटी को प्राकृतिक सुंदरता के लिहाज से पूरी दुनिया में अपना एक अलग मुकाम हासिल है. प्राकृतिक झरनें, झीलें और नदियां इसे अधिक आकर्षक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. यहां के झरने न केवल जगह की सुंदरता को बढ़ाते हैं, बल्कि घाटी के लाखों लोगों को भी सैराब करते हैं. लेकिन विडंबना यह है कि यह झरने दिन-ब-दिन सिकुड़ते जा रहे हैं. प्रशासन भी इन झरनों को बचाने में विफल रहा है.

200 साल पुराना झरना उपेक्षा का शिकार

अनंतनाग जिले में कोकरनाग क्षेत्र का खंडीपोरा दंडीपोरा प्राकृतिक सुंदरता से भरा हुआ है. स्थानीय लोगों के अनुसार, इस क्षेत्र में 200 साल पुराना झरना है, जो पूरे क्षेत्र को सिंचित करता है. लेकिन, यह झरना प्रशासन की उपेक्षा का शिकार हो गया.

लोगों का कहना है कि इलाके में दो साल पहले उनके पुरखों ने झरना खोदा था. तब से लेकर आज तक यह झरना यहां के निवासियों को सैराब कर रहा है. यह झरना 12 महीने स्वच्छ पानी मुहैया कराता है, जिससे यहां के लोगों की प्यास बुझती है.

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हालांकि, इस इलाके में जल आपूर्ति की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन स्थानीय लोग झरने के पानी को ही अपनी रोजाना की जिंदगी में इस्तमाल लाते हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक, झरने के पानी को न ही फिल्टर करने और न ही उबालने की जरूरत नहीं पड़ती है.

लोगों का कहना है कि वह कई बार प्रशासन से झरने के रखरखाव के लिए चारों तरफ दीवार बनाने की अपील कर चुके हैं, ताकि प्रकृति का यह तोहफा गंदगी से सुरक्षित रहे. लेकिन प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया गया.

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