नई दिल्ली : बीते रविवार जेएनयू हिंसा के बाद जब घायल छात्र दिल्ली के एम्स में अपना इलाज कराने पहुंचे तो वहां पर कई नेता और राजनेता भी घायल छात्रों का हालचाल जानने पहुंचे थे. अब इस पूरे घटनाक्रम में एक नई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है और सुर्खियों में छाई हुई है. जिसमें कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी एक छात्र से मिलती हैं लेकिन जब वह छात्र अपना हाल-चालउन्हें बता रहा होता है तो बीच में ही अपना मुंह मोड़ लेती हैं. इस वीडियो के बाद यह आरोप लग रहे हैं कि एम्स में घायल छात्रों का हालचाल जानने पहुंची कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के घायल छात्रों को नजरअंदाज कर दिया.
घायल छात्र का नाम शिवम है जोकि जेएनयू से पीएचडी की पढ़ाई कर रहे हैं और रविवार को हुई हिंसा में इनके सिर पर भी गंभीर चोट आई थी और इन्हें टांके भी लगे हैं.
ईटीवी भारत ने जेएनयू छात्र शिवम से बातचीत की और उसे रविवार रात के घटनाक्रम के बारे में जाना. शिवम का कहना था कि जब उन्हें पता चला कि कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी घायल छात्रों से मिलने के लिए एम्स पहुंची है.
उस वक्त वह अपने इलाज होने का इंतजार कर रहे थे और एम्स ट्रॉमा सेंटर में ही इमरजेंसी वार्ड में फर्श पर बैठे थे.
जब प्रियंका गांधी उसके सामने आए तो उन्होंने अपना हाल-चाल बताना शुरू किया और उन्हें जानकारी देनी चाहिए कि लेफ्ट विंग स्टूडेंट यूनियन के छात्रों ने उनके ऊपर हमला किया जिसमें वह घायल हो गए हैं.
लेकिन जैसे ही उन्होंने वामपंथी छात्र संगठनों पर अपने साथ हुई मारपीट का आरोप लगाया प्रियंका गांधी दूसरी तरफ मुड़ गई और अगर इनके अनुसार कहें तो सिरे से इन्हें नजरअंदाज कर दिया गया.
अब ऐसे में सवाल उठने लाजमी है कि क्या प्रियंका गांधी ने छात्रों के साथ भेदभाव किया? आरोप कुछ ऐसे ही लग रहे हैं की एक राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी की नेता होने के नाते जब प्रियंका गांधी घायल छात्रों का हालचाल जानने एम्स पहुंची थी तो उन्हें सभी छात्रों से बातचीत कर उनका हाल चाल लेना चाहिए था ना कि किसी को नजरअंदाज कर देना चाहिए था.
छात्र चाहे किसी भी संगठन से ताल्लुक क्यों ना रखता हो इस छोटे से वीडियो फुटेज और प्रियंका गांधी के एम्स दौरे ने बीजेपी और एबीवीपी को एक मौका जरूर दे दिया है.
कुल मिलाकर एबीवीपी के छात्रों का आरोप है कि प्रियंका गांधी ने राजनीतिक मनसे से एम्स में छात्रों का हालचाल जाना और इसलिए केवल चुनिंदा लोगों से ही मिली और उन्हें समय दिया.
शिवम ने कैंपस के अंदर के मौजूदा हालात के बारे में भी बताया. बहर हाल जेएनयू कैंपस के बाहर भारी पुलिस बल की तैनाती है और कैंपस के अंदर मीडिया का प्रवेश भी वर्जित है. कैंपस के भीतर लगभग 100 मीटर की दूरी तक कुछ पुलिसकर्मियों को सुरक्षा के नजरिए से तैनात किया गया है.
हालांकि बतौर शिवम हॉस्टल परिसर या कैंपस के मुख्य परिसर के भीतर में कहीं भी पुलिस की तैनाती नहीं है.
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एबीवीपी के छात्रों का कहना है कि जो कि कैंपस के अंदर लेफ्ट विंग स्टूडेंट्स का वर्चस्व है और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के समर्थक छात्रों की संख्या कम है. इसलिए उनके बीच भय का माहौल है और पुलिस को हर छात्र की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए.
ऐसे छात्रों की संख्या भी बहुत है जो हड़ताल करने की बजाय सामान्य रूप से पढ़ाई करना चाहते हैं और चाहते हैं कि कैंपस का माहौल सामान्य हो, समय पर क्लासेस हो और परीक्षाएं भी समय से हो सके लेकिन सिलसिलेवार तरीके से चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच पढ़ाई लिखाई का माहौल कहीं ना कहीं बिगड़ सा गया है.