नई दिल्ली/नोएडा : 21 दिनों के लॉकडाउन के कारण दिल्ली-एनसीआर में मजदूरी करने वाले लोगों के लिए यह समय बहुत मुसीबत भरा गुजर रहा है. मजदूर दिन में 300 से लेकर 500 रुपये तक कमा लेते थे, लेकिन कोरोना वायरस के कारण देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से कहीं भी कोई काम न होने के कारण अब उनके पास ना तो खाने के लिए सामान है और ना ही कुछ खरीदने के लिए पैसे.
इसी बीच दादरी से फतेहपुर जाने के लिए दिलीप भी अपनी हिम्मत के साथ निकल पड़ा है, लेकिन उसको यह भी नहीं पता कि वह कितने दिनों बाद फतेहपुर तक पहुंचेगा.
बसों में मांगा जा रहा किराया
दिलीप नाम का युवक अपने दिव्यांग साथी को कंधे पर बैठाकर निकल तो पड़ा. जब वह रोडवेज बस में बैठा तो कंडक्टर ने उससे रुपये मांगे, लेकिन पास में पैसे ना होने के कारण उसे बस से उतार दिया गया. अब वह अपने साथी के साथ फतेहपुर तक पैदल ही निकल पड़ा है.
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दिपीप ने बताया कि उसे पता चला था कि सरकार ने मजबूर लोगों को अपने गंतव्य तक जाने के लिए बसें शुरू की हैं, जिसमें कोई भी रुपया नहीं लिया जा रहा है. लेकिन रोडवेज बस में उससे पैसे मांगे गए. अब वह खुद अपने दिव्यांग साथी के साथ कई किलोमीटर पैदल चलकर फतेहपुर जाने के लिए मजबूर है.