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पश्चिम बंगाल के एक संगठन ने की सरकार से CAB में राहत की मांग

पश्चिम बंगाल की निखिल भारत बंगाली उदबस्तु समन्वय समिति ने नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) पर सरकार से राहत की मांग की है. अपनी मांग के समर्थन में उन्होने दिल्ली में प्रदर्शन भी किया. समिति के प्रवक्ता सुबोध बिस्वास ने केंद्र सरकार से भारत में नागरिकता पाने वाले नियमों में राहत देने की मांग की है.

नागरिकता संशोधन विधेयक सुधार के लिए हो रहे प्रदर्शन
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Published : Nov 25, 2019, 10:59 PM IST

नई दिल्ली: ऐसे समय में जब पूर्वोत्तर के कई संगठन नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, सोमवार को निखिल भारत बंगाली उदबस्तु समन्वय समिति ने विधेयक में राहत देने की मांग की है. समिति ते सदस्यों ने दिल्ली में इसको लेकर प्रदर्शन किया है.

देश की राजधानी दिल्ली मेें समित के हजारों सदस्यों ने अपनी मांग का समर्थन में प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में लगभग 18 राज्यों से सदस्य ने हिस्सा लिया. इस दौरान समिति के सदस्यों ने गृहमंत्री अमित शाह को ज्ञापन भी सौंपा.

NBBUSS का प्रदर्शन

इस विधेयक को केवल तथाकथित प्रवासियों को प्राकृतिककरण के माध्यम से नागरिकता के लिए आवेदन करने के योग्य बनाने के लिए प्रस्तवित किया गया है.

निखिल भारत बंगाली उदबस्तु समन्वय समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुबोध बिस्वास ने कहा कि यह साफ है की ज्यादातर प्रवासी और शरणार्थी सरकार द्वारा नागरिकता प्रमाण पत्र पाने के लिए जटिल प्रक्रिया को पूरा नहीं कर पाएंगे. जिसकी वजह से उन्हे डर है की अगर इस समय पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू हुई तो वे उनका नाम लिस्ट में नहीं शामिल होगा और वो बेघर हो जाएंगे.

पढ़ें : CAB के खिलाफ सीसीटीओ मुखर, असम में आर्थिक नाकाबंदी की तैयारी

बिस्वास ने कहा की पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं और अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को बिना प्राकृतिकरण से नागरिकता प्रमाण पत्र के बिना ही भारत की नागरिकता दे देनी चाहिए.

मौजूदा नागरिकता संशोधन विधेयक के तहत भारत की नागरिकता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को भारत में कम से कम 6 साल रहना होता है.

विधेयक के नियम के अनुसार यदि कोई प्रवासी भारतीय नागरिक (ओसीआई) कार्डधारक अगर किसी कानून का उल्लंघन करते हैं तो उनका पंजीकरण रद्द हो सकता है.

बिस्वास ने कहा कि हमें उम्मीद है कि केंद्र सरकार विधेयक में आवश्यक संशोधन करेगी ताकि इन छह समुदायों के लोगों को स्वचालित रूप से नागरिकता मिल जाए.

नई दिल्ली: ऐसे समय में जब पूर्वोत्तर के कई संगठन नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, सोमवार को निखिल भारत बंगाली उदबस्तु समन्वय समिति ने विधेयक में राहत देने की मांग की है. समिति ते सदस्यों ने दिल्ली में इसको लेकर प्रदर्शन किया है.

देश की राजधानी दिल्ली मेें समित के हजारों सदस्यों ने अपनी मांग का समर्थन में प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में लगभग 18 राज्यों से सदस्य ने हिस्सा लिया. इस दौरान समिति के सदस्यों ने गृहमंत्री अमित शाह को ज्ञापन भी सौंपा.

NBBUSS का प्रदर्शन

इस विधेयक को केवल तथाकथित प्रवासियों को प्राकृतिककरण के माध्यम से नागरिकता के लिए आवेदन करने के योग्य बनाने के लिए प्रस्तवित किया गया है.

निखिल भारत बंगाली उदबस्तु समन्वय समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुबोध बिस्वास ने कहा कि यह साफ है की ज्यादातर प्रवासी और शरणार्थी सरकार द्वारा नागरिकता प्रमाण पत्र पाने के लिए जटिल प्रक्रिया को पूरा नहीं कर पाएंगे. जिसकी वजह से उन्हे डर है की अगर इस समय पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू हुई तो वे उनका नाम लिस्ट में नहीं शामिल होगा और वो बेघर हो जाएंगे.

पढ़ें : CAB के खिलाफ सीसीटीओ मुखर, असम में आर्थिक नाकाबंदी की तैयारी

बिस्वास ने कहा की पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं और अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को बिना प्राकृतिकरण से नागरिकता प्रमाण पत्र के बिना ही भारत की नागरिकता दे देनी चाहिए.

मौजूदा नागरिकता संशोधन विधेयक के तहत भारत की नागरिकता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को भारत में कम से कम 6 साल रहना होता है.

विधेयक के नियम के अनुसार यदि कोई प्रवासी भारतीय नागरिक (ओसीआई) कार्डधारक अगर किसी कानून का उल्लंघन करते हैं तो उनका पंजीकरण रद्द हो सकता है.

बिस्वास ने कहा कि हमें उम्मीद है कि केंद्र सरकार विधेयक में आवश्यक संशोधन करेगी ताकि इन छह समुदायों के लोगों को स्वचालित रूप से नागरिकता मिल जाए.

Intro:New Delhi: At a time when several organisations from Northeast have been demanding withdrawal of the Citizenship Amendment Bill (CAB), the Nikhil Bharat Bengali Udbastu Samanway Samitiy on Monday has demanded for relaxation in CAB.


Body:In support of their demands, thousands of samity members staged a demonstration in the national capital.

Coming from as many as 18 states, the samity members also submitted a memorandum to Home Minister Amit Shah.

The existing CAB only proposed to make the so called list migrants only eligible to apply for citizenship through naturalization.

"It is clear that most of these refugees as well as migrants will not be able to obtain citizenship certificate from the government by completing the complex process...They are now in constant fear that if NRC is exercised in West Bengal and other states they will be left out of final NRC and will be stateless," said Subodh Biswas, national president of Nikhil Bharat Bengali Udbastu Samanway Samitiy.

Biswas said that the Hindus including the other specified minority communities coming from Pakistan, Bangladehs and Afghanistan should be granted Indian citizenship automatically without requiring them to obtain citizenship certificate through naturalization.


Conclusion:Under the existing CAB, people will get citizenship after six years of residency in India.

The CAB also says that the registration of Overseas Citizen of India (OCI) cardholders may get cancelled if they violate any law.

"We hope that central government will make necessary amendments in the bill so that people of these six communities get citizenship automatically," said Biswas.

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