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बछड़े के इलाज के लिए गाय ने रोकी एंबुलेंस

जानवरों में भी मां के निस्वार्थ प्रेम को देखकर आप हैरान रह जाएंगे. पिछले चार दिनों से अहमदाबाद जिले के ढोलका तालुका के वटमन गांव में एक गाय अपने बछड़े के इलाज के लिए एक एंबुलेंस तक को रोक दिया.

एंबुलेंस
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Published : Oct 13, 2020, 11:03 PM IST

Updated : Oct 13, 2020, 11:47 PM IST

अहमदाबाद : एक सड़क दुर्घटना में गाय के साथ चल रहे बछड़े का एक पैर टूट गया और उसके दूसरे पैर में भी चोट आ गई. 1962, जो की जानवरों के लिए स्पेशल एंबुलेंस है, की टीम घटनास्थल पर पहुंची और बछड़े का पूरी तरह से इलाज किया.

गाय ने रोकी एंबुलेंस

मेडिकल टीम ने टूटे हुए पैर को हटा दिया, उसे कपड़े पहनाए और फ्रैक्चर वाले पैर को प्लास्टर किया.

हैरानी की बात है कि दो दिन बाद आठ अक्टूबर को, 1962 टीम के जाने के बाद गाय ने 1962 टीम को देखते ही पहचान लिया. ऐसा लग रहा था जैसे वह 1962 का इंतजार कर रही हो. गाय 1962 एंबुलेंस के साथ दौड़ने लगी.

टीम ने उसे समझते हुए अपना कर्तव्य निभाया और गाय का पीछा किया, जिसके बाद बछड़े का फिर से इसाज किया गया.

1962 की टीम के प्रयासों के बाद गाय और बछड़े को एक गौशाला में रखा गया है.

पढ़ें :- महाराष्ट्र : गाय के पेट से निकले 35 किलो प्लास्टिक और लोहे के टुकड़े

मोबाइल पशु चिकित्सा अस्पताल - 1962 एक आपातकालीन सेवा है जो 22 जून को, मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की गई थी.

जानकारी के अनुसार, एंबुलेंस नियमित रूप से गांवों का दौरा करती है और बीमार जानवरों का इलाज करती है. आपातकालीन सेवाओं के अलावा, मोबाइल पशु चिकित्सा क्लीनिक-1962 कुल 12 घंटों के लिए उपलब्ध होती है.

अहमदाबाद : एक सड़क दुर्घटना में गाय के साथ चल रहे बछड़े का एक पैर टूट गया और उसके दूसरे पैर में भी चोट आ गई. 1962, जो की जानवरों के लिए स्पेशल एंबुलेंस है, की टीम घटनास्थल पर पहुंची और बछड़े का पूरी तरह से इलाज किया.

गाय ने रोकी एंबुलेंस

मेडिकल टीम ने टूटे हुए पैर को हटा दिया, उसे कपड़े पहनाए और फ्रैक्चर वाले पैर को प्लास्टर किया.

हैरानी की बात है कि दो दिन बाद आठ अक्टूबर को, 1962 टीम के जाने के बाद गाय ने 1962 टीम को देखते ही पहचान लिया. ऐसा लग रहा था जैसे वह 1962 का इंतजार कर रही हो. गाय 1962 एंबुलेंस के साथ दौड़ने लगी.

टीम ने उसे समझते हुए अपना कर्तव्य निभाया और गाय का पीछा किया, जिसके बाद बछड़े का फिर से इसाज किया गया.

1962 की टीम के प्रयासों के बाद गाय और बछड़े को एक गौशाला में रखा गया है.

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मोबाइल पशु चिकित्सा अस्पताल - 1962 एक आपातकालीन सेवा है जो 22 जून को, मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की गई थी.

जानकारी के अनुसार, एंबुलेंस नियमित रूप से गांवों का दौरा करती है और बीमार जानवरों का इलाज करती है. आपातकालीन सेवाओं के अलावा, मोबाइल पशु चिकित्सा क्लीनिक-1962 कुल 12 घंटों के लिए उपलब्ध होती है.

Last Updated : Oct 13, 2020, 11:47 PM IST
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