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तमिलनाडु : मदुरै में मिला 400 साल पुराना हीरो स्टोन

तमिलनाडु के मदुरै में 400 साल पुराने हीरो स्टोन की खोज की गई है. मदुरै के मुनिसलई में शोधकर्ता शहर में मंदिरों की मूर्तियों और शिलालेखों का अध्ययन करते समय हीरो पत्थर की खोज की.

400 साल पुराना हीरो स्टोन
400 साल पुराना हीरो स्टोन
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Published : Oct 13, 2020, 11:08 PM IST

मदुरै : युद्ध में शहीद हुए लोगों के लिए स्मारक वीर पत्थर लगाना एक प्राचीन परंपरा रही है. मदुरै के मध्य भाग नेलपेट्टई के लोग उनकी मूर्ति को हीरो पत्थर के रूप में पूजा करते हैं. पुरातत्वविद् वास्तुकार शशिकला ने अरविचेल्वम में 400 साल पुराने हीरो पत्थर की खोज की है.

मदुरै के मुनिसलई में शोधकर्ता शहर में मंदिरों की मूर्तियों और शिलालेखों का अध्ययन कर रहे थे, उसी समय हीरो पत्थर की खोज की गई.

प्राचीन समय में शहीद हुए लोगों की याद में हीरो पत्थर लगाने की प्रथा थी. यह पत्थर विशेष रूप से युद्ध में मारे गए व्यक्ति और उसकी पत्नी की याद में बनाया गया है, जिसने सती होकर अपने प्राणों की आहुति दी थी.

पढ़ें- कर्नाटक : आसमान से पत्थर गिरने से हैरत में ग्रामीण

पत्थर के आयताकार स्लैब पर दो आकृतियां उभरी हुई हैं. मूर्तिकला की वेशभूषा और हेडगेयर का अध्ययन करने पर पता चलता है कि पत्थर नायक वंश का है और 400 साल पुराना है. जो योद्धा लड़ते हुए मर गए थे, उसके दाहिने हाथ में एक तलवार दिखाया गया है.

योद्धा का बायां हाथ बाईं जांघ पर है और खंजर पकड़े हुए है. उसके पैरों को गति में दिखाया गया है. पत्थर पर उसका चेहरा क्षतिग्रस्त हालत में है. उनकी पत्नी को उनके बगल में मृत दिखाया गया है. दोनों को बायीं ओर एक साइड बान दिखाया गया है और झुमके और चूड़ियां पहने हुए हैं. जबकि मदुरै के विभिन्न हिस्सों में हीरो पत्थरों की खोज की गई थी, लेकिन यह पहली बार है कि यह शहर के बीच में पाया गया है.

मदुरै : युद्ध में शहीद हुए लोगों के लिए स्मारक वीर पत्थर लगाना एक प्राचीन परंपरा रही है. मदुरै के मध्य भाग नेलपेट्टई के लोग उनकी मूर्ति को हीरो पत्थर के रूप में पूजा करते हैं. पुरातत्वविद् वास्तुकार शशिकला ने अरविचेल्वम में 400 साल पुराने हीरो पत्थर की खोज की है.

मदुरै के मुनिसलई में शोधकर्ता शहर में मंदिरों की मूर्तियों और शिलालेखों का अध्ययन कर रहे थे, उसी समय हीरो पत्थर की खोज की गई.

प्राचीन समय में शहीद हुए लोगों की याद में हीरो पत्थर लगाने की प्रथा थी. यह पत्थर विशेष रूप से युद्ध में मारे गए व्यक्ति और उसकी पत्नी की याद में बनाया गया है, जिसने सती होकर अपने प्राणों की आहुति दी थी.

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पत्थर के आयताकार स्लैब पर दो आकृतियां उभरी हुई हैं. मूर्तिकला की वेशभूषा और हेडगेयर का अध्ययन करने पर पता चलता है कि पत्थर नायक वंश का है और 400 साल पुराना है. जो योद्धा लड़ते हुए मर गए थे, उसके दाहिने हाथ में एक तलवार दिखाया गया है.

योद्धा का बायां हाथ बाईं जांघ पर है और खंजर पकड़े हुए है. उसके पैरों को गति में दिखाया गया है. पत्थर पर उसका चेहरा क्षतिग्रस्त हालत में है. उनकी पत्नी को उनके बगल में मृत दिखाया गया है. दोनों को बायीं ओर एक साइड बान दिखाया गया है और झुमके और चूड़ियां पहने हुए हैं. जबकि मदुरै के विभिन्न हिस्सों में हीरो पत्थरों की खोज की गई थी, लेकिन यह पहली बार है कि यह शहर के बीच में पाया गया है.

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