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चंद्रयान-2 मिशन के 95% मकसद हुए पूरे

चंद्रयान-2 अपने मिशन के 95 प्रतिशत उद्देश्यों में सफल रहा है. ऑर्बिटर सही है चंद्रमा की कक्षा में सामान्य रूप से काम कर रहा है. चंद्रयान-2 के चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने सहित कई अन्य उद्देश्य थे. पढ़ें पूरी खबर...

ISRO सेंटर की तस्वीर
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Published : Sep 7, 2019, 2:37 PM IST

Updated : Sep 29, 2019, 6:41 PM IST

बेंगलुरु: इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने कहा कि चंद्रयान-2 अपने मिशन के 95 प्रतिशत उद्देश्यों में सफल रहा है. अंतरिक्ष विभाग के पूर्व सचिव एवं अंतरिक्ष आयोग के पूर्व अध्यक्ष नायर ने कहा कि ऑर्बिटर सही है चंद्रमा की कक्षा में सामान्य रूप से काम कर रहा है.

वहीं चंद्रयान-2 के चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने सहित कई अन्य उद्देश्य थे.

चंद्रयान-2 के लैंडर 'विक्रम' का चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूटने पर नायर ने कहा, 'मुझे लगता है कि हमें ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है... मैं कहूंगा कि मिशन के 95 प्रतिशत से अधिक उद्देश्य पूरे हुए हैं.'

पढ़ें: चंद्रयान-2 से भारत को भविष्य में मदद मिलेगी : NASA के पूर्व अंतरिक्ष यात्री

उन्होंने कहा, 'आर्बिटर अंतरिक्ष में पहुंच गया है और उसे मानचित्रण का काम अच्छे से करना चाहिए.' करीब एक दशक पहले चंद्रयान-1 मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद चंद्रयान-2 मिशन शुरू किया गया, जिसमें एक ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल था.

नायर ने हालांकि कहा कि लैंडर से संपर्क टूट जाना बेहद निराशाजनक है और उन्होंने इसकी कल्पना कभी नहीं की थी. उन्होंने कहा, 'यह हम सभी के लिए निराशाजनक है. पूरे देश को इससे उम्मीद थे.'

पूर्व इसरो प्रमुख ने कहा, 'जब 2.1 किलोमीटर तक दूरी बची थी, उस समय अभियान बेहद जटिल था. हममें से आधे लोग हाथ थामकर बैठे थे क्योंकि कई यंत्रों और थ्रस्टर को सही तरह से काम करना था. तभी अंतिम उद्देश्य को पाया जा सकता था.'

नायर ने कहा कि कम से कम 10 ऐसे बिंदु हैं, जहां गलती गलती हो सकती थी, हालांकि वास्तव में गलती कहां हुई इसके बारे में अभी अनुमान लगाना कठिन होगा.

उन्होंने कहा कि अभी तक उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर उन्हें भरोसा है कि इसरो गलती कहां हुई इसकी पहचान कर लेगा.
गौरतलब है कि चंद्रयान -2 के लैंडर ‘विक्रम' का चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था. संपर्क तब टूटा, जब लैंडर चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था.

लैंडर को शुक्रवार देर रात लगभग एक बजकर 38 मिनट पर चांद की सतह पर उतारने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन चांद पर नीचे की तरफ आते समय 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर जमीनी स्टेशन से इसका संपर्क टूट गया.

बेंगलुरु: इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने कहा कि चंद्रयान-2 अपने मिशन के 95 प्रतिशत उद्देश्यों में सफल रहा है. अंतरिक्ष विभाग के पूर्व सचिव एवं अंतरिक्ष आयोग के पूर्व अध्यक्ष नायर ने कहा कि ऑर्बिटर सही है चंद्रमा की कक्षा में सामान्य रूप से काम कर रहा है.

वहीं चंद्रयान-2 के चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने सहित कई अन्य उद्देश्य थे.

चंद्रयान-2 के लैंडर 'विक्रम' का चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूटने पर नायर ने कहा, 'मुझे लगता है कि हमें ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है... मैं कहूंगा कि मिशन के 95 प्रतिशत से अधिक उद्देश्य पूरे हुए हैं.'

पढ़ें: चंद्रयान-2 से भारत को भविष्य में मदद मिलेगी : NASA के पूर्व अंतरिक्ष यात्री

उन्होंने कहा, 'आर्बिटर अंतरिक्ष में पहुंच गया है और उसे मानचित्रण का काम अच्छे से करना चाहिए.' करीब एक दशक पहले चंद्रयान-1 मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद चंद्रयान-2 मिशन शुरू किया गया, जिसमें एक ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल था.

नायर ने हालांकि कहा कि लैंडर से संपर्क टूट जाना बेहद निराशाजनक है और उन्होंने इसकी कल्पना कभी नहीं की थी. उन्होंने कहा, 'यह हम सभी के लिए निराशाजनक है. पूरे देश को इससे उम्मीद थे.'

पूर्व इसरो प्रमुख ने कहा, 'जब 2.1 किलोमीटर तक दूरी बची थी, उस समय अभियान बेहद जटिल था. हममें से आधे लोग हाथ थामकर बैठे थे क्योंकि कई यंत्रों और थ्रस्टर को सही तरह से काम करना था. तभी अंतिम उद्देश्य को पाया जा सकता था.'

नायर ने कहा कि कम से कम 10 ऐसे बिंदु हैं, जहां गलती गलती हो सकती थी, हालांकि वास्तव में गलती कहां हुई इसके बारे में अभी अनुमान लगाना कठिन होगा.

उन्होंने कहा कि अभी तक उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर उन्हें भरोसा है कि इसरो गलती कहां हुई इसकी पहचान कर लेगा.
गौरतलब है कि चंद्रयान -2 के लैंडर ‘विक्रम' का चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था. संपर्क तब टूटा, जब लैंडर चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था.

लैंडर को शुक्रवार देर रात लगभग एक बजकर 38 मिनट पर चांद की सतह पर उतारने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन चांद पर नीचे की तरफ आते समय 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर जमीनी स्टेशन से इसका संपर्क टूट गया.

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Last Updated : Sep 29, 2019, 6:41 PM IST
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