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कोरोना से लड़ाई के लिए 80 वर्षीय अम्मा बना रहीं मास्क - वायरस से निबटने के लिए मास्क

कोरोना के साथ जंग में समाज के सभी वर्ग मदद के लिए आगे आ रहे हैं. ऐसे में 80 साल की इस अम्मा का यह प्रयास प्रेरणादायक है. अम्मा इस वायरस से निबटने के लिए मास्क बना रही हैं और इसे लोगों में वितरित कर रही हैं. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Apr 29, 2020, 2:57 PM IST

शिमला : वैश्विक महामारी कोरोना से जीतने के दो ही मार्ग हैं. एक तो सोशल डिस्टेंसिंग और दूसरा फेस कवर करना यानी मास्क पहनना. इस समय जहां बाजारों में फेस कवर महंगे मिल रहे हैं, तो वहीं कई लोग घर पर मास्क बना कर मुफ्त में वितरित कर रहे हैं. हर एक शख्स कोरोना से जंग जीतने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

ईटीवी भारत आज आपको 80 साल की एक ऐसी 'अम्मा' से रूबरू करवाने जा रहा है, जो कि उम्र के इस पड़ाव में भी कोरोना से जंग में आशा की किरण बनकर अपना अहम योगदान दे रही हैं.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

प्रदेश के नाहन से ताल्लुक रखने वाली अम्मा का नाम आशा लता पुंडीर है, जो सांसद सुरेश कश्यप की रिश्तेदार हैं. अध्यापिका आशा लता 58 साल की उम्र में सेवानिवृत्त हो गई थीं और उसके बाद से उन्होंने कभी सिलाई मशीन का इस्तेमाल नहीं किया.

अब देश सहित प्रदेश पर कोरोना महामारी का संकट छाया है, तो उन्होंने करीब 20 साल बाद 80 साल की उम्र में पुनः सिलाई मशीन पर काम करना शुरू किया. उनका मकसद कोरोना वायरस के मद्देनजर लोगों की सुरक्षा के लिए मास्क तैयार करना है.

इन दिनों आशा लता खुद ही कटिंग कर मशीन पर मास्क बनाने के कार्य में जुटी हुई हैं. कपड़े से बने यह मास्क धोकर फिर से प्रयोग किए जा सकते हैं. वह रोजाना करीब 15 से 20 मार्च तक अपनी मशीन से तैयार कर जरूरतमंद लोगों तक पहुंचा रही हैं.

पढ़ें : इरफान खान के निधन पर पीएम मोदी समेत देशभर की हस्तियों ने जताया शोक

वह करीब 300 मास्क लोगों को बांट चुकी हैं. आशा लता का मानना है कि इस महामारी से लड़ने के लिए सभी लोग अपने घरों में मास्क बनाएं और अपने आस पड़ोस में बांटे. संकट के इस समय में इससे अच्छा और कोई कार्य नहीं है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए आशा लता पुंडीर ने कहा कि वह बतौर सिलाई अध्यापिका कार्य करती थीं और उन्हें 20 साल से ज्यादा का समय सेवानिवृत हुए हो गया है.

शिमला : वैश्विक महामारी कोरोना से जीतने के दो ही मार्ग हैं. एक तो सोशल डिस्टेंसिंग और दूसरा फेस कवर करना यानी मास्क पहनना. इस समय जहां बाजारों में फेस कवर महंगे मिल रहे हैं, तो वहीं कई लोग घर पर मास्क बना कर मुफ्त में वितरित कर रहे हैं. हर एक शख्स कोरोना से जंग जीतने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

ईटीवी भारत आज आपको 80 साल की एक ऐसी 'अम्मा' से रूबरू करवाने जा रहा है, जो कि उम्र के इस पड़ाव में भी कोरोना से जंग में आशा की किरण बनकर अपना अहम योगदान दे रही हैं.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

प्रदेश के नाहन से ताल्लुक रखने वाली अम्मा का नाम आशा लता पुंडीर है, जो सांसद सुरेश कश्यप की रिश्तेदार हैं. अध्यापिका आशा लता 58 साल की उम्र में सेवानिवृत्त हो गई थीं और उसके बाद से उन्होंने कभी सिलाई मशीन का इस्तेमाल नहीं किया.

अब देश सहित प्रदेश पर कोरोना महामारी का संकट छाया है, तो उन्होंने करीब 20 साल बाद 80 साल की उम्र में पुनः सिलाई मशीन पर काम करना शुरू किया. उनका मकसद कोरोना वायरस के मद्देनजर लोगों की सुरक्षा के लिए मास्क तैयार करना है.

इन दिनों आशा लता खुद ही कटिंग कर मशीन पर मास्क बनाने के कार्य में जुटी हुई हैं. कपड़े से बने यह मास्क धोकर फिर से प्रयोग किए जा सकते हैं. वह रोजाना करीब 15 से 20 मार्च तक अपनी मशीन से तैयार कर जरूरतमंद लोगों तक पहुंचा रही हैं.

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वह करीब 300 मास्क लोगों को बांट चुकी हैं. आशा लता का मानना है कि इस महामारी से लड़ने के लिए सभी लोग अपने घरों में मास्क बनाएं और अपने आस पड़ोस में बांटे. संकट के इस समय में इससे अच्छा और कोई कार्य नहीं है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए आशा लता पुंडीर ने कहा कि वह बतौर सिलाई अध्यापिका कार्य करती थीं और उन्हें 20 साल से ज्यादा का समय सेवानिवृत हुए हो गया है.

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