नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एसपी सिंह ने संविधान की स्थापना के 70 साल पूरे होने पर इसमें हुए बदलाव पर ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की. उन्होंने कहा कि संविधान में बदलाव और विकास दोनों ही साफ तौर पर दिख रहे हैं.
सिंह ने कहा, 'संविधान को अपनाने के बाद देश के सामने कई प्राथमिकताएं थीं. गरीबी को दूर करना, न्यायपालिका, वित्तीय प्रणाली, कृषि और रक्षा समेत विभिन्न क्षेत्रों में वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी और विकास को सुनिश्चित करना.'
उन्होंने कहा कि यदि हमने आज रक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है, तो यकीन मानिए विकास हुआ है. हम विकसित देशों के समानान्तर आ गए हैं. अगर आप समानान्तर ना भी कहें, यह जरूर कह सकते हैं कि उन्हें छू रहे हैं.
सिंह ने आगे कहा कि कृषि सुधारों ने भारत को आत्मनिर्भर बनाया है. उन्होंने कहा कि एक समय में हम खाद्यान का आयात करते थे, लेकिन अब हम निर्यात भी कर रहे हैं. भारतीय उद्योगों का भी विकास हुआ है.
सिंह ने कहा कि 1950 के बाद भारत ने अपने मानक खुद निर्धारित किए हैं. इससे हमें विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने में सुविधा हुई. हम आत्मनिर्भर बने. सामाजिक संतुलन में बदलाव हुआ.
अनुच्छेद 370 पर एसपी सिंह ने कहा कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. इसमें कोई विवाद नहीं है. अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था. लिहाजा, इसका निरस्तीकरण जरूरी था. वैसे लोग रो रहे हैं, जो उन प्रावधानों से लाभान्वित हो रहे थे.
हालांकि, सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कुछ प्रतिबंध लगाए गए हैं, जिसे हटाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि कोई भी प्रतिबंध स्थायी नहीं हो सकता है.
नागरिकता संशोधन कानून के मुद्दे पर सिंह ने कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है. इसे बहुत पहले ही पारित कर दिया गया था. 1971 की लड़ाई के बाद, जब बंगाल में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न हुआ था, तो संसद में विभिन्न नेताओं ने उचित कानून और उचित संरक्षण का मुद्दा उठाया था.
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उन्होंने जोड़ा, 'नागरिकता, नागरिकता प्रदान करने या भारतीय नागरिकों की सुरक्षा में कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए. मैं विपक्ष को दोष नहीं दे रहा हूं, क्योंकि लोकतंत्र में सभी को अपनी आवाज उठाने का अधिकार है, ना ही मैं सत्तारूढ़ पार्टी को दोष देने वाला हूं.'
सिंह ने कहा कि मेरा मानना है कि दोनों ही पक्षों को संयम बरतने की जरूरत है, तभी देश विकास की पटरी पर दौड़ पाएगी.