नई दिल्ली: इंडो तिब्बतियन बॉर्डर पुलिस (ITBP) के 15 जांबाज जवानों ने सात पर्वतारोहियों के शव बरामद कर, उनके परिवारों को सौंप दिये. जवानों ने हिमालय के 20 हजार फीट की ऊंचाई पर सभी विषम जलवायु से लड़ते हुए इस काम को अंजाम दिया है.
बता दें, ITBP के जवानों को ये जीत करीब 500 घंटे के लंबे संघर्ष के बाद हासिल हुई है.
अहम बात ये है कि ITBP के जवानों के लिए ये कार्य काफी कठिन था, बावजूद इसके उन्होंने इस काम को अंजाम दिया. दरअसल, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में नंदा देवी पूर्व में करीब आठ पर्वतारोहियों के शव बर्फ में फंसे हुए थे. ITBP जवानों ने इनमें से सात के शव बरामद कर उनके परिवार वालों को सौंप दिये हैं.
इस बारे में ईटीवी भारत ने ITBP प्रवक्ता विवेक पांडे से खास बातचीत की. इस दौरान विवेक ने बताया कि हमने एक खास मिशन 'डेयरडेविल्स' के तहत ये कार्य किया है. उन्होंने बताया कि ये मिशन लगभग 500 घंटे में पूरा किया जा सका.
विवेक पांडे ने कहा कि ITBP के जवानों ने पिथौरागढ़ के नंदादेवी पूर्व के पास पर्वतारोहियों के सात शवों की तलाश की. उन्होंने बताया कि 'डेयरडेविल्स' मिशन की टीम का नेतृत्व सहायक अध्यक्ष रतन सिंह सोनल ने किया. पांडे ने बताया, 'इतनी ऊंचाई और विशिष्ट इलाके पर किया गया यह मिशन दुनिया के कठिन मिशनों में से एक था.'
गौरतलब है, तीन विदेशियों सहित एक भारतीय व्यक्ति ने पर्वतारोहण के दौरान अपनी जान गवाई थी. इस बारे में आगे बात करते हुए विवेक ने बताया कि नंदा देवी पूर्व की चढ़ाई के दौरान 12 पर्वतारोही यहां फंस गए थे. वह 13 मई से यहां फंसे हुए थे. उन्होंने बताया कि इसके बाद 30 मई को पिथौरागढ़ जिला प्रशासन को घटना के संबंध में एक इमरजेंसी कॉल आई.
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पांडे ने कहा, 'बचाव प्रयासों में चार ब्रिटिश पर्वतारोहियों को दो जून को नंदा देवी बेस कैंप से एयरलिफ्ट किया गया, जो 12 सदस्यीय टीम का हिस्सा थे.' जानकारी के मुताबिक, नंदा देवी पर्वत पर 26 मई को अचानक हिमस्खलन हुआ था. इस हिमस्खलन में सात विदेशी और एक भारतीय पर्वतारोही की मौत हो गई थी. जिसके बाद शवों की तलाश के लिए आईटीबीपी ने ऑपरेशन डेयर डेविल शुरू किया और सात पर्वतारोहियों के शवों को खोज निकाला.
बता दें, इस ऑपरेशन के लिए 34 बेस्ट जवानों को चुना गया. जिसमें से 18 सदस्यीय टीम ऑपरेशन को लीड कर रही थी, जबकि बाकी के जवान बेस कैंप में बैकअप के लिए थे. हादसे में मारे गए पर्वतरोहियों के शव बर्फ के काफी अंदर दबे थे. ऐसे में उन्हें निकालने के लिए आईटीबीपी जवानों ने खास तकनीक का प्रयोग किया. इस दौरान नंदा देवी की चोटियों पर लगातार बर्फबारी हो रही थी.
500 घंटे तक चले दुनिया के सबसे खतरनाक रेक्स्यू ऑपरेशन को हिमवीरों ने तीन जुलाई को पूरा कर लिया और सात पर्वतारोहियों के शवों को पिथौरागढ़ हेलीकॉप्टर की मदद से उनके परिवारों तक पहुंचा दिया गया.
पांडे ने कहा, 'ITBP पर्वतारोही तकनीकी चढ़ाई के माध्यम से साइट पर पहुंचे क्योंकि इलाके की स्थिति बहुत ही कठिन थी. वहां तेज बहाव, बर्फ जमाव और हवा की स्थिति थी.' लेकिन फिर भी आईटीबीपी की टीम ने 23 जून को सात शवों को बरामद कर लिया.
पांडे ने कहा, 'टीम ने आठवें शव की खोज करने की कोशिश की, लेकिन इलाके की ऊंचाई और मौसम के कारण आई बाधाओं के से उसे खोजने में कामयाबी नहीं मिली. पांडे ने बताया कि आईटीबीपी पांच उच्च ऊंचाई वाले बचाव दल बनाने की योजना बना रहा है, जिसमें पांच राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के पर्वतारोही शामिल हैं.
बता दें कि आईटीबीपी को मुख्य रूप से 1962 में अपनी स्थापना के बाद से भारत चीन सीमा पर तैनात किया गया है. बल ने अपने पर्वतारोहण कौशल का उपयोग कर 2013 में 33 हजार से अधिक लोगों को उत्तराखंड जल प्रलय के खतरे से बचाया था.