ETV Bharat / bharat

उत्तराखंड: 434 गांवों में आज भी नहीं बजती मोबाइल की घंटी, जानिए क्यों

दुनिया जब संचार क्रांति का आनंद ले रही है. भारत में भी इस साल की पहली तिमाही में 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी होने की संभावना है. उसी समय हमारे देश के उत्तराखंड में 434 ऐसे गांव हैं जहां मोबाइल की घंटी ही नहीं बजती. दरअसल, यहां मोबाइल नेटवर्क है ही नहीं.

no Network in 434 villages news
434 गांवों में नहीं है नेटवर्क
author img

By

Published : Jan 16, 2021, 8:14 PM IST

देहरादून : देशभर में लोग जहां 5G की ओर कदम बढ़ा रहे हैं तो वहीं, उत्तराखंड में कुछ ऐसे गांव भी हैं जहां अभी तक 2G सेवा भी उपलब्ध नहीं हो पाई है. इसके चलते प्रदेश के ये गांव मोबाइल फोन से महरूम हैं. आखिर क्या है प्रदेश में नेटवर्क कनेक्टिविटी की स्थिति, कितने गांव ऐसे हैं जहां अभी तक नहीं पहुंच पाए हैं मोबाइल टॉवर? देखिए ईटीवी भारत की स्पेशल स्टोरी…

देखें स्पेशल रिपोर्ट

इसी साल आने वाला है 5G

आधुनिक युग में मोबाइल फोन लोगों के जीवन का एक जरूरी हिस्सा बन गया है. लगभग हर व्यक्ति के पास मोबाइल फोन है. देश के भीतर 4G का इस्तेमाल किया जा रहा है. जल्द ही 5G के आने की भी उम्मीद है. इससे ना सिर्फ इंटरनेट की कनेक्टिविटी बेहतर होगी, बल्कि मोबाइल फोन से बातचीत के दौरान आने वाली समस्या भी समाप्त हो जाएगी.

वर्तमान समय में मोबाइल फोन एक महत्वपूर्ण यंत्र हो गया है. मोबाइल फोन के माध्यम से लगभग सभी कार्य कर सकते हैं. जिसके लिए पहले डेस्कटॉप या फिर लैपटॉप की जरूरत होती थी अब मोबाइल वही काम रहे हैं. यहां तक कि मोबाइल फोन ने डिजिटल कैमरे की भी जगह ले ली है, लेकिन मोबाइल फोन को इस्तेमाल करने के लिए मोबाइल कनेक्टिविटी की अहम भूमिका है. इसके ना होने से मोबाइल फोन किसी काम का नहीं रह जाता. मोबाइल फोन से बातचीत करने या फिर इंटरनेट चलाने के लिए मोबाइल फोन में नेटवर्क होना बहुत आवश्यक है. बिना इसके ना ही आप फोन पर किसी से बातचीत कर सकेंगे ना ही इंटरनेट चला सकेंगे.

no Network in 434 villages news
आकड़ों पर डालें एक नजर

उत्तराखंड के 434 गांवों में नहीं है मोबाइल नेटवर्क

उत्तराखंड राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते राज्य की परिस्थितियां अन्य राज्यों से काफी भिन्न हैं. प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में विकास करना, पहाड़ चढ़ने जितनी बड़ी चुनौती है. यही वजह है कि उत्तराखंड गठन के बाद राज्य को जिस मुकाम पर पहुंचना चाहिए था वह मुकाम अभी तक हासिल नहीं कर पाया है क्योंकि किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए उस क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं को व्यवस्थित करना होता है. लेकिन प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में अभी भी बहुत व्यवस्थाएं उपलब्ध नहीं हैं. इसी तरह प्रदेश के 434 गांव ऐसे हैं, जहां अभी तक मोबाइल नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई है. जी हां, आज के इस आधुनिक युग में उत्तराखंड राज्य में ऐसे गांव हैं जहां के लोग मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करते हैं.

पढ़ें: कम नहीं हुई पलायन की रफ्तार, 10 साल में पांच लाख से ज्यादा लोगों ने छोड़ा घरबार

राज्य के सभी 13 जिलों की समस्या

आईटीडीए से मिली जानकारी के अनुसार मई 2020 तक प्रदेश के 15,745 गांव में से 434 गांव ऐसे हैं जिनमें अभी तक मोबाइल नेटवर्क की सेवा उपलब्ध नहीं है. यानी जहां वर्तमान समय में हम शहरों में 4G का इस्तेमाल कर रहे हैं तो वहीं, उत्तराखंड के ये 434 गांव ऐसे हैं जहां 2G सेवा भी उपलब्ध नहीं है. इसके साथ ही प्रदेश के करीब 3,738 गांव ऐसे भी हैं जहां मात्र 2G की सुविधा उपलब्ध है. इन गांवों में 3G या 4G मोबाइल नेटवर्क पहुंचाया जाना है.

आईटीडीए के डायरेक्टर अमित कुमार सिन्हा ने बताया कि वर्तमान समय में भारत नेट परियोजना चल रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य ये है कि सभी गांव तक इंटरनेट कनेक्टिविटी और फाइबर पहुंचाया जा सके. साथ ही बताया कि प्रदेश के 434 गांव ऐसे हैं जहां मोबाइल कनेक्टिविटी की सुविधा बिल्कुल भी नहीं है. यानी ये डार्क जोन विलेज हैं जहां मोबाइल कनेक्टिविटी पहुंचाई जानी है. इसके साथ ही 3,738 गांव ऐसे हैं जिन गांव में 3G/4G मोबाइल नेटवर्क की सुविधा पहुंचाया जाना है. यह सारा कार्य भारत नेट परियोजना के सेकंड फेस के तहत होने की संभावना है. जिस पर जल्द ही कार्य शुरू कर दिया जाएगा.

शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध कराने को टावर लगाने के लिए पॉलिसी बनाई गई थी. ताकि जिन गांवों में नेटवर्क नहीं है उन गांव तक नेटवर्क को पहुंचाया जा सके. इसके साथ ही प्रदेश के ग्राम प्रधान, ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत से लेकर मुख्यालय तक मोबाइल नेटवर्क से जुड़े हुए हैं.

देहरादून : देशभर में लोग जहां 5G की ओर कदम बढ़ा रहे हैं तो वहीं, उत्तराखंड में कुछ ऐसे गांव भी हैं जहां अभी तक 2G सेवा भी उपलब्ध नहीं हो पाई है. इसके चलते प्रदेश के ये गांव मोबाइल फोन से महरूम हैं. आखिर क्या है प्रदेश में नेटवर्क कनेक्टिविटी की स्थिति, कितने गांव ऐसे हैं जहां अभी तक नहीं पहुंच पाए हैं मोबाइल टॉवर? देखिए ईटीवी भारत की स्पेशल स्टोरी…

देखें स्पेशल रिपोर्ट

इसी साल आने वाला है 5G

आधुनिक युग में मोबाइल फोन लोगों के जीवन का एक जरूरी हिस्सा बन गया है. लगभग हर व्यक्ति के पास मोबाइल फोन है. देश के भीतर 4G का इस्तेमाल किया जा रहा है. जल्द ही 5G के आने की भी उम्मीद है. इससे ना सिर्फ इंटरनेट की कनेक्टिविटी बेहतर होगी, बल्कि मोबाइल फोन से बातचीत के दौरान आने वाली समस्या भी समाप्त हो जाएगी.

वर्तमान समय में मोबाइल फोन एक महत्वपूर्ण यंत्र हो गया है. मोबाइल फोन के माध्यम से लगभग सभी कार्य कर सकते हैं. जिसके लिए पहले डेस्कटॉप या फिर लैपटॉप की जरूरत होती थी अब मोबाइल वही काम रहे हैं. यहां तक कि मोबाइल फोन ने डिजिटल कैमरे की भी जगह ले ली है, लेकिन मोबाइल फोन को इस्तेमाल करने के लिए मोबाइल कनेक्टिविटी की अहम भूमिका है. इसके ना होने से मोबाइल फोन किसी काम का नहीं रह जाता. मोबाइल फोन से बातचीत करने या फिर इंटरनेट चलाने के लिए मोबाइल फोन में नेटवर्क होना बहुत आवश्यक है. बिना इसके ना ही आप फोन पर किसी से बातचीत कर सकेंगे ना ही इंटरनेट चला सकेंगे.

no Network in 434 villages news
आकड़ों पर डालें एक नजर

उत्तराखंड के 434 गांवों में नहीं है मोबाइल नेटवर्क

उत्तराखंड राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते राज्य की परिस्थितियां अन्य राज्यों से काफी भिन्न हैं. प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में विकास करना, पहाड़ चढ़ने जितनी बड़ी चुनौती है. यही वजह है कि उत्तराखंड गठन के बाद राज्य को जिस मुकाम पर पहुंचना चाहिए था वह मुकाम अभी तक हासिल नहीं कर पाया है क्योंकि किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए उस क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं को व्यवस्थित करना होता है. लेकिन प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में अभी भी बहुत व्यवस्थाएं उपलब्ध नहीं हैं. इसी तरह प्रदेश के 434 गांव ऐसे हैं, जहां अभी तक मोबाइल नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई है. जी हां, आज के इस आधुनिक युग में उत्तराखंड राज्य में ऐसे गांव हैं जहां के लोग मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करते हैं.

पढ़ें: कम नहीं हुई पलायन की रफ्तार, 10 साल में पांच लाख से ज्यादा लोगों ने छोड़ा घरबार

राज्य के सभी 13 जिलों की समस्या

आईटीडीए से मिली जानकारी के अनुसार मई 2020 तक प्रदेश के 15,745 गांव में से 434 गांव ऐसे हैं जिनमें अभी तक मोबाइल नेटवर्क की सेवा उपलब्ध नहीं है. यानी जहां वर्तमान समय में हम शहरों में 4G का इस्तेमाल कर रहे हैं तो वहीं, उत्तराखंड के ये 434 गांव ऐसे हैं जहां 2G सेवा भी उपलब्ध नहीं है. इसके साथ ही प्रदेश के करीब 3,738 गांव ऐसे भी हैं जहां मात्र 2G की सुविधा उपलब्ध है. इन गांवों में 3G या 4G मोबाइल नेटवर्क पहुंचाया जाना है.

आईटीडीए के डायरेक्टर अमित कुमार सिन्हा ने बताया कि वर्तमान समय में भारत नेट परियोजना चल रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य ये है कि सभी गांव तक इंटरनेट कनेक्टिविटी और फाइबर पहुंचाया जा सके. साथ ही बताया कि प्रदेश के 434 गांव ऐसे हैं जहां मोबाइल कनेक्टिविटी की सुविधा बिल्कुल भी नहीं है. यानी ये डार्क जोन विलेज हैं जहां मोबाइल कनेक्टिविटी पहुंचाई जानी है. इसके साथ ही 3,738 गांव ऐसे हैं जिन गांव में 3G/4G मोबाइल नेटवर्क की सुविधा पहुंचाया जाना है. यह सारा कार्य भारत नेट परियोजना के सेकंड फेस के तहत होने की संभावना है. जिस पर जल्द ही कार्य शुरू कर दिया जाएगा.

शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध कराने को टावर लगाने के लिए पॉलिसी बनाई गई थी. ताकि जिन गांवों में नेटवर्क नहीं है उन गांव तक नेटवर्क को पहुंचाया जा सके. इसके साथ ही प्रदेश के ग्राम प्रधान, ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत से लेकर मुख्यालय तक मोबाइल नेटवर्क से जुड़े हुए हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.